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निराश्रित गोवंश का संरक्षण एवं भरण-पोषण सरकार की शीर्ष प्राथमिकता: धर्मपाल सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने आज यहां विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में गो आश्रय स्थलों को डी०बी०टी० के माध्यम से धनराशि प्रेषित किये जाने की प्रक्रिया का शुभारम्भ किया। इसके द्वारा गोआश्रय स्थलांे को त्वरित गति से धनराशि प्राप्त होगी और पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। प्रथम चरण में 20 जनपदों के 776 गो आश्रय स्थलों को नौ करोड़ ग्यारह लाख सत्ताइस हजार छः सौ दस रूपये की धनराशि डी०बी०टी० के माध्यम से हस्तान्तरित की गई। शेष 55 जनपदों को अगले एक सप्ताह में धनराशि डी०बी०टी० के माध्यम से हस्तान्तरित की जायेगी।
इस अवसर पर पशुधन मंत्री ने कहा कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण एवं भरण-पोषण वर्तमान सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से है। डी०बी०टी० प्रक्रिया अन्तर्गत गो आश्रय स्थल से संबंधित पंचायत सचिव गोवंश की संख्या के सापेक्ष गो आश्रय स्थल के भरण-पोषण की डिमान्ड पोर्टल व मोबाइल एप के माध्यम से करेगा, जो कि संबंधित खण्ड विकास अधिकारी व पशुचिकित्साधिकारी को प्रदर्शित होगी और उनके द्वारा स्वीकृत करने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के गो आश्रय पोर्टल के पेज पर प्रदर्शित होगी, जिसके सत्यापन उपरान्त मुख्य पशु चिकित्साधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी संयुक्त हस्ताक्षरित रिपोर्ट पोर्टल में अपलोड करेगें व उक्त रिपोर्ट निदेशालय में प्रदर्शित होगी। जहाँ से स्वीकृति उपरान्त डी०बी०टी० प्रक्रिया से गो आश्रय स्थलों के खातों में धनराशि हस्तान्तरित हो जायेगी।
श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि प्रतिदिन संरक्षित गोवंश के अनुश्रवण हेतु विभाग द्वारा गो आश्रय पोर्टल ’’संकल्प से स्वरूप’’ तक विकसित किया गया है। गो आश्रय स्थलों पर संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण हेतु राज्य सरकार द्वारा धनराशि की व्यवस्था की जाती है। गो आश्रय स्थलों के प्रबन्धन को और सुगठित किये जाने के उद्देश्य से स्थापित सेन्ट्रल प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग यूनिट (ब्च्डन्) निरन्तर अपडेट किया जा रहा है जिसके क्रम में गो आश्रय स्थलों को सीधे डी०बी०टी० से माध्यम से धनराशि हस्तान्तरित किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास डा0 रजनीश दुबे ने कहा कि प्रदेश में प्रथम बार डीबीटी प्रक्रिया के माध्यम से धनराशि हस्तान्तरित किये जाने की शुरूआत की गयी है। इससे गोआश्रय स्थलों को त्वरित रूप से निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए धनराशि उपलब्ध होगी और गोसंरक्षण कार्यों में तेजी आयेगी। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में डीबीटी प्रक्रिया द्वारा यह धनराशि जनपद अम्बेडकरनगर, अमेठी, अमरोहा, आजमगढ़, बलरामपुर, बाराबंकी, बिजनौर, देवरिया, एटा, फर्रूखाबाद, गोरखपुर, जौनपुर, लखीमपुरखीरी, लखनऊ, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, सुल्तानपुर तथा उन्नाव के गोआश्रय स्थलों के लिए प्रेषित की गयी है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में कुल 6874 गो आश्रय स्थलों में लगभग 11,75,807 निराश्रित गोवंश संरक्षित किए गए है। किसानों, वंचितों के आय में वृद्धि एवं कुपोषण को दूर करने के लिए मा० मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना के अन्तर्गत 183937 गोवंश को इच्छुक परिवारों के सुपुर्दगी में दिया गया है। संरक्षित गोवंश के आनलाईन अनुश्रवण हेतु निदेशालय स्तर पर एक अत्याधुनिक ’’सेन्ट्रल प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग यूनिट’’ (ब्च्डन्) स्थापना की गई है एवं जनपदों में भी जिला प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग यूनिट स्थापित की गयी है। उन्होंने कहा कि निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश की समस्या से मुक्ति दिलाने एवं निराश्रित गोवंश के संरक्षण में पशुधन विभाग द्वारा निरन्तर कार्य किया जा रहा है।
कार्यक्रम के अवसर पर विशेष सचिव, पशुधन श्री शिवसहाय अवस्थी, निदेशक (प्रशासन एवं विकास) पशुपालन विभाग, डॉ० इन्द्रमनि एवं अपर (गोधन विकास) पशुपालन विभाग, डॉ० जयकेश कुमार पाण्डेय उपस्थित रहे।

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