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राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन के तत्वधान में आयोजित शैक्षिक उन्नयन गोष्ठी व प्रान्तीय अधिवेशन को सम्बोधित करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड

देहरादून: राजकीय विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के जितने पदों को पदोन्नति से भरा जाना है, उन्हें भरने के लिए जल्द से जल्द पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। मंगलवार को एमकेपी इंटर कालेज में राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन के तत्वाधान में आयोजित शैक्षिक उन्नयन गोष्ठी व प्रान्तीय अधिवेशन का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ये बात कही। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दुनिया में स्थान बनाना है तो शिक्षा में नवाचार लाने होंगे। इसमें अध्यापकों व प्रधानाचार्यों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रधानाचार्य शिक्षा व्यवस्था के प्रोमोटर, मार्गदर्शक व दार्शनिक हैं। शिक्षा जगत में नवाचार लाने में प्रधानाचार्य आगे आएं। समकालीन चुनौतियों के लिए शिक्षा व्यवस्था को तैयार करने की जिम्मेवारी प्रधानाचार्यों पर है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दो वर्ष पूर्व केवल 25 प्रतिशत पदो ंपर ही प्रधानाचार्य कार्यरत थे। हमने यथासम्भव रिक्त पदों को भरने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रधानाचार्य अपने स्तर पर अपने विद्यालय के लिए सफाई कर्मचारी रख सकेंगे। शिक्षकों सहित सभी कर्मचारियों की वाजिब मांगों को पूरा करने का प्रत्येक कोशिश की जा रही है। विभिन्न कैडरों में परस्पर विरोधाभास होने से समस्याएं उत्पन्न होती हैं। सातवें वेतन आयोग को जल्द लागू किया जाएगा। यदि छठे वेतन आयोग की कहीं पर विसंगतियां रह जाती हैं तो सातवां वेतन आयोग लागू होने पर भी ऐसे मामलों पर विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें अपने संसाधन बढ़ाने होंगे। शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए माॅडल स्कूल व राजीव गांधी अभिनव विद्यालय प्रारम्भ किए जा रहे हैं। प्रसन्न्ता का विषय है कि एक वर्ष में परीक्षा के परिणाम में 4 से 5 प्रतिशत तक सुधार देखने को मिला है। आज उŸाराखण्ड तेजी से आगे बढ़ता राज्य है। हम ईज आॅफ डूईंग बिजनेस में नम्बर एक रैंकिंग पर हैं। आगामी 9 नवम्बर तक हम पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त (ओ.डी.एफ.) राज्य बन चुके होंगे। हमें अब आगे की ओर देखना है। मिल जुलकर प्रयास करें तो एक समुन्नत राज्य के रूप में हमारी पहचान बनेगी।
शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में बहुत सी जटिलताएं थीं जिन्हें धीरे-धीरे सुलझाया जा रहा है। एक ओर शिक्षकों की समस्याओं को हल किया जा रहा है, दूसरी ओर शिक्षा की गुणवŸाा में सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम व योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारी व एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे।

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