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पीएमएनसीएच पार्टनर फोरम (मातृत्व, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य सहभागिता मंच) में प्रधानमंत्री का सम्बोधन

देश-विदेश

नई दिल्ली: केवल सहभागिता से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। नागरिकों के बीच में सहभागिता, समुदायों के बीच सहभागिता, देशों के बीच सहभागिता। सतत विकास एजेंडा इसकी झांकी है।

देश एकल प्रयासों से आगे बढ़ चुके हैं। वे सभी समुदायों को शक्ति सम्पन्न बनाने, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करने, निर्धनता समाप्त करने, आर्थिक विकास में तेजी लाने और अंत में किसी को भी पीछे न रहने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मां के स्वास्थ्य से बच्चों का स्वास्थ्य तय होता है और बच्चों के स्वास्थ्य से आने वाले कल का स्वास्थ्य तय होता है।

हम यहां स्वास्थ्य में सुधार करने तथा माताओं और बच्चों के आरोग्य में विकास करने के उपायों पर चर्चा करने के लिए जमा हुए हैं। हमारी चर्चा के नतीजों से हमारे आने वाले कल पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

पार्टनर फोरम का विजन भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ संबंधी प्राचीन विचार से मेल खाता है। यह मेरी सरकार के दर्शन ‘सबका साथ, सबका विकास’ के भी अनुरूप है, जिसका अर्थ समावेशी विकास के लिए सामूहिक प्रयास और सहभागिता है।

मातृत्व, नवजात और बाल विकास के लिए सहभागिता एक अनोखा और प्रभावशाली मंच है। हम केवल बेहतर स्वास्थ्य की बात नहीं करते। हम तेज विकास के लिए भी बात करते हैं।

जहां पूरी दुनिया तेज विकास के नए-नए तरीके तलाश रही है, वहीं इस काम को करने का सबसे बढ़िया तरीका महिलाओं के लिए अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है। इस दिशा में पिछले चंद वर्षों के दौरान हमने बहुत प्रगति की है। इसके बावजूद अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बड़े बजट से बेहतर नतीजों तक और मानसिकता में बदलाव से सघन निगरानी तक, बहुत कुछ किया जाना है।

भारत की दास्तान उम्मीदों वाली है। उम्मीद है कि अड़चनें दूर होंगी। उम्मीद है कि व्यवहारों में बदलाव लाया जा सकेगा। उम्मीद है कि तेज प्रगति प्राप्त की जा सकती है।

जब सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों पर सहमति बनी थी, उस समय भारत में महिलाओं और बच्चों की मृत्यु दर दुनिया में सबसे अधिक थी। सतत गति और पिछले कुछ वर्षों के दौरान मृत्यु दर में तेजी से आने वाली कमी के बल पर भारत मातृत्व और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में चल पड़ा था। यह 2030 की स्वीकृत तिथि से बहुत आगे है।

भारत उन पहले देशों में शामिल है, जो किशोरावस्था पर विशेष ध्यान देने की बात करते हैं तथा किशोरों के लिए सघन स्वास्थ्य संवर्धन और रोकथाम कार्यक्रम लागू करते हैं। हमारे प्रयासों से यह सुनिश्चित हो सका कि 2015 में अपनाए जाने वाली महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य संबंधी वैश्विक रणनीति में उन्हें उनकी पहचान मिल सके।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस मंच के आयोजन के दौरान लातीनी अमेरिका, कैरिबियाई क्षेत्र और भारत वैश्विक रणनीति को अपनाने के संबंध में अपनी पेशकश कर रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि इन संयोजनों से समान रणनीतियां विकसित करने के लिए अन्य देशों और क्षेत्रों को प्रेरणा मिलेगी।

हमारे धार्मिक ग्रंथ कहते हैं ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’, अर्थात ‘जहां नारी का आदर होता है, वहीं देवताओं का वास होता है।’ मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक राष्ट्र तभी समृद्ध होता है, जब वहां के लोग विशेषकर महिलाएं और बच्चे शिक्षित हों तथा वे स्वतंत्र, शक्ति सम्पन्न और स्वस्थ्य जीवन जीने में सक्षम हों।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत के टीकाकरण कार्यक्रम को इस फोरम में भारत की सफलता के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है। यह विषय मेरे दिल के बहुत करीब है। इन्द्रधनुष मिशन के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान हम 32.8 मिलियन बच्चों और 8.4 मिलियन गर्भवती महिलाओं तक पहुंचे हैं। हमने सर्वव्यापी टीकाकरण के तहत टीकों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की हैं। हमारे टीकों के दायरे में निमोनिया और डायरिया जैसे प्राणघातक रोग भी शामिल हैं।

जब 2014 में मेरी सरकार ने कार्यभार संभाला था, उस समय हर वर्ष प्रसव के दौरान 44,000 से अधिक माताओं को हम खो देते थे। हमने गर्भ के दौरान माताओं को हर संभव सुविधा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरूआत की थी। हमने अपने डॉक्टरों से आग्रह किया था कि वे इस अभियान के लिए प्रतिमाह एक दिन सेवा देने का संकल्प करें। इस अभियान के तहत 16 मिलियन प्रसव-पूर्व जांच की गईं।

देश में 25 मिलियन नवजात शिशु हैं। हमारे यहां नवजात शिशुओं की देखभाल की शानदार प्रणाली मौजूद है, जो 794 उत्कृष्ट विशेष नवजात शिशु सुविधा इकाइयों के जरिये 10 लाख से अधिक नवजात शिशुओं की देखभाल करती है। यह हमारी एक सफल प्रणाली है। हमारी इस पहल से 4 वर्ष पहले की तुलना में प्रतिदिन 5 वर्ष से कम आयु वाले 840 अतिरिक्त बच्चों के जीवन की रक्षा होती है।

बच्चों के पोषाहार की समस्या का समाधान पोषण अभियान के माध्यम से किया जा रहा है। इसमें विभिन्न योजनाएं शामिल हैं जो भारत को कुपोषणमुक्त बनाने के समान लक्ष्य की दिशा में काम कर रही है। बच्चों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए हम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू कर रहे हैं। पिछले चार वर्षों में इससे 800 मिलियन बच्चों की स्वास्थ्य जांच हुई है और 20 मिलियन बच्चे ईलाज के लिए निःशुल्क रेफर किए गए हैं।

चिकित्सा पर परिवारों द्वारा जेब से अधिक खर्च किए जाने की चिंता हमेशा हमें सताती रही। इसलिए हमने आयुष्मान भारत योजना लांच की। आयुष्मान भारत की दोतरफा रणनीति है।

पहली, इसमें समुदाय के निकट व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा का प्रावधान है जिसमें स्वस्थ्य जीवनशैली तथा स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटरों के माध्यम से योग शामिल हैं। स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए ‘फिट इंडिया’ तथा ‘इट राईट’ आंदोलन भी हमारी रणनीति के महत्वपूर्ण अंग हैं। इससे समुदाय को उच्च तनावग्रस्तता, मधुमेह तथा स्तन, गर्भाशय तथा मुंह के कैंसर सहित सामान्य बीमारियों की निःशुल्क जांच और चिकित्सा में मदद मिलेगी। मरीज अपने घर के नजदीक निःशुल्क दवाएं तथा नैदानिक समर्थन प्राप्त कर सकेंगे। हमारी योजना 2022 तक ऐसे 150 हजार स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र प्रारंभ करने की है।

आयुष्मान भारत योजना का दूसरा घटक प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना है। इसके अंतर्गत प्रति वर्ष प्रति परिवार पांच लाख रुपये का नकद रहित स्वास्थ्य बीमा देने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत सर्वाधिक गरीब और कमजोर तबके के 500 मिलियन नागरिकों को कवर किया जाएगा। यह संख्या कनाडा, मेक्सिको और अमेरिका की कुल आबादी के लगभग बराबर है। हमने इस योजना के प्रारंभ होने के दस सप्ताह के अंदर निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए 700 करोड़ रुपये पांच लाख परिवारों को दिए हैं।

आज वैश्विक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस है। इस अवसर पर मैं फिर कहता हूं कि हम सभी के लिए व्यापक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने की दिशा में संकल्पबद्ध हैं। हमारे पास एक मिलियन पंजीकृत सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशाकर्मी तथा 2.32 लाख आंगनवाड़ी नर्स हैं जो अग्रिम पंक्ति की महिला स्वास्थ्यकर्मियों का बल है। यह हमारे कार्यक्रम की शक्ति है।

भारत एक विशाल देश है। कुछ राज्यों और जिलों ने विकसित देशों के समकक्ष कार्य प्रदर्शन किया है। अन्य को अभी कार्य करना है। मैंने अपने अधिकारियों को 117 ‘आकांक्षी जिलों’ की पहचान करने का निर्देश दिया है। ऐसे प्रत्येक जिले को एक टीम उपलब्ध कराई गई है जो शिक्षा, जल तथा स्वच्छता, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में स्वास्थ्य और पोषाहार को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए काम करेंगे।

हम अन्य विभागों के माध्यम से महिला केन्द्रित योजनाओं पर काम कर रहे हैं। 2015 तक भारत की आधी से अधिक महिलाओँ के पास रसोई के लिए स्वच्छ ईंधन नहीं था। हमने उज्जवला योजना के माध्यम से इसमें परिवर्तन किया। उज्जवला योजना ने 58 मिलियन महिलाओँ को स्वच्छ रसोई के विकल्प उपलब्ध कराए।

हम युद्धस्तर पर स्वच्छ भारत मिशन चला रहे है ताकि भारत 2019 तक खुले में शौच से मुक्त हो जाए। पिछले चार वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज 39 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत हो गया है।

हम सभी यह कहावत जानते हैं कि अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित बनाते हैं। इसे हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के रूप में अपनाया है। इस कार्यक्रम का फोकस लड़की पर तथा उसे सबसे अच्छा जीवन और शिक्षा प्रदान करने पर है। इसके अतिरिक्त हमने लड़कियों के लिए जमा बचत योजना- ‘सुकन्या समृद्धि योजना’- प्रारंभ की है। इस योजना के अंतर्गत 12.6 मिलियन खाते खोले गए हैं और यह योजना लड़की का भविष्य सुनिश्चित करने में हमारी मदद कर रही है।

हमने प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना भी प्रारंभ की है। इस योजना से 50 लाख गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं को लाभ होगा। यह योजना वेतन नुकसान, बच्चे को जन्म देने से पहले और बाद में बेहतर पोषाहार और पर्याप्त आराम के लिए उनके खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से राशि देने में सक्षम है।

हमने मातृत्व अवकाश को पहले के 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया है। हम 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। यह 100 बिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक है। इसका अर्थ यह होगा कि केवल आठ वर्षों में वर्तमान हिस्से से 345 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि होगी। हम लोगों की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे। प्रत्येक नीति, कार्यक्रम और पहल के केन्द्र में महिलाओं, बच्चों और युवाओं को रखेंगे।

मैं सफलता प्राप्ति के लिए बहु-हितधारकों की साझेदारी की आवश्यकता पर बल देना चाहूंगा। हमें मालूम है कि कारगर स्वास्थ्य देखभाल विशेषकर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए मिश्रित कार्रवाई सबसे उत्तम कदम है।

मैं समझता हूं कि अगले दो दिनों में यह फोरम पूरी दुनिया की 12 सफल कहानियों पर चर्चा करेगा। वास्तव में यह विभिन्न देशों के बीच संवाद का अवसर है, यह साझा करने का अवसर है कि हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं। भारत कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रमों, रियायती औषाधियों के प्रावधान तथा टीकाकरण, ज्ञान हस्तांतरण और आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से सहयोगी देशों को उनके विकास लक्ष्यों को हासिल करने में समर्थन देने के लिए तैयार है।

मैं मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के परिणामों को सुनना चाहूंगा। यह फोरम एक जीवंत मंच के रूप में हमें ‘सरवाइव- थ्राइव- ट्रासफॉर्म’ के प्रति दृढ़ता प्रदान करेगा।

हमारे कार्यक्रम तय हैं और हम सर्वाधिक समर्पण के साथ सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए काम करते रहेंगे। भारत सभी सहयोगियों के साथ हमेशा साथ खड़ा रहेगा। यहां मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि इसे सही भाव से अपनाएं ताकि हम सम्पूर्ण मानवता को अपना समर्थन देने में समर्थ हो सकें।

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