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प्रधानमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया: सीएम

उत्तर प्रदेश

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि योग भारत के द्वारा विश्व को दिया हुआ अद्वितीय उपहार है। ’शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात शरीर ही सारे कर्तव्यों को पूरा करने का एक मात्र साधन है। अतः शरीर का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। स्वस्थ शरीर योग से ही प्राप्त हो सकता है। एक स्वस्थ मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर में ही सम्भव है, जो योग साधना से प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति चाहे वह नौकरशाह हो, उद्योगपति हो या फिर किसान-मजदूर अपना कार्य अच्छे से तभी कर पाएगा, जब उसका शरीर स्वस्थ होगा। योग मानसिक और शारीरिक शान्ति के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है।
मुख्यमंत्री जी आज 9वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर श्री गोरखनाथ मन्दिर परिसर, गोरखपुर में आयोजित सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने भारत की प्राचीन ऋषि परम्परा के अन्तर्गत योग के महत्व को बताते हुए पूरे प्रदेश वासियों को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने योग साधकों के साथ योगाभ्यास किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में योग की महत्ता को अंगीकार कर आज दुनिया के लगभग 200 देश अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ जुड़कर भारत की ऋषि परम्परा के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस बात के लिए लोगों को नई प्रेरणा दी कि वास्तव में अगर विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है तो केवल और केवल योग से हम इसको आगे बढ़ा सकते हैं। विश्व शांति का मार्ग आगे बढ़ाने में योग माध्यम बन सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हजारां वर्षों से चली आ रही योग की इस ऋषि परम्परा पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। भारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं हुआ। यहां जो कुछ भी है वह व्यावहारिक है, पहले से प्रमाणित है। योग भी उसी परम्परा का हिस्सा है। यह परम्परा आज पूरी दुनिया को आकर्षित कर रही है। दुनिया में पिछले तीन-साढ़े तीन वर्षां में कोरोना महामारी की चपेट में पूरी दुनिया आई थी, उस कोरोना कालखण्ड में भी दुनिया के अन्दर सर्वाधिक मांग भारतीय आयुष पद्धति की हो रही थी। सभी ने यह माना कि भारतीय आयुष पद्धति सम्पूर्ण आरोग्यता प्रदान कर सकती है। वास्तव में भारतीय आयुष पद्धति हमारी ऋषि परम्परा की तरफ से सम्पूर्ण आरोग्यता की लक्ष्य प्राप्ति हेतु मानवता के कल्याण का प्रशस्त पथ है, जिसकी ओर पूरी दुनिया आकर्षित हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राणायाम करने वाले लोगों पर कोरोना का प्रभाव न्यूनतम रहा। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ा था। लोगों को श्वांस लेने में दिक्कत हो रही थी। पर प्राणायाम से शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत लोगों को कोरोना या तो छू नहीं पाया या फिर संक्रमित होने पर भी वे कुछ ही दिनों में आरोग्यता को प्राप्त कर लिए। उनके बीच मृत्यु दर न्यूनतम थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राणायाम हमें न केवल मजबूत करते हैं, बल्कि शारीरिक शुद्धि का भी माध्यम बनते हैं।
आयुष की मांग लगातार बढ़ रही है। जो लोग पहले चाय पीते थे, कोल्ड ड्रिंक लेते थे, कोरोना कालखण्ड में उनमें से बहुतायत काढ़ा पीने लगे। यह भारत के आयुष की देन है। हल्दी भारत की रसोई का प्रमुख हिस्सा है। आज दुनिया के अन्दर इसकी बढ़ती हुई मांग भारत के किसानों के लिए एक नए अवसर को भी प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक योगी के लिए योग आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने का मार्ग होता है, जो चेतना के विस्तृत आयाम को आगे बढ़ाता है। चेतना के बहुत छोटे से भाग का हम उपयोग कर पाते हैं, लेकिन इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। उस चेतना के विस्तृत क्षेत्र में प्रवेश करने का माध्यम है योग। जबकि एक सामान्य गृहस्थ या सामान्य नागरिक के लिए योग शारीरिक और मानसिक आरोग्यता प्राप्त करने का माध्यम है। योग की परम्परा के साथ आज दुनिया जुड़ती दिखाई दे रही है। दुनिया में लोगों के सामने विभिन्न प्रकार की चुनौतियां हैं। कोई शारीरिक बीमारियों से तो कोई मानसिक रूप से परेशान है। ऐसे में सम्पूर्ण आरोग्यता प्रदान करने की दिशा में योग की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योग शारीरिक सुदृढ़ता, सुन्दरता और चंचल मन को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न भौतिक बीमारियों को भी समाप्त करता है, जो एक सुन्दर जीवन जीने की प्रेरणा देता है। योग परम्परा में हम सामान्यतः अष्टांग योग को महत्व देते हैं। इसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि अलग-अलग क्रियाएं हैं। देश काल, परिस्थिति, खान-पान या अन्य कारणों से व्यक्ति में कोई शारीरिक विकार आ गया है तो यह क्रियाएं शारीरिक शुद्धि का माध्यम बनती हैं। योग वात, कफ, पित्त जनित विकारों से मुक्ति दिलाता है। प्राणायाम नाड़ियों की शुद्धि का माध्यम बनता है। आगे की क्रियाएं मन से जुड़ी हुई क्रियाएं होती हैं। मन की विचित्र स्थिति होती है। ‘मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः’ अर्थात व्यक्ति के बंधन और मोक्ष दोनों का कारण मन होता है। एक स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मन आवश्यक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि चंचल मन व्यक्ति को चलायमान करता है। मन को एकाग्र न कर पाने के कारण भी बहुत से लोग प्रतिभा होने के बावजूद जीवन में सफलता को प्राप्त नहीं कर पाते। इसलिए मन की चंचल वृत्ति को नियंत्रित करने का माध्यम योगासन है। उन्होंने कहा कि यद्यपि मन को नियंत्रित करना अत्यन्त दुरुह कार्य है लेकिन व्यक्ति के जीने के लिए प्राणायाम से यह सम्भव है। नाथ पंथ की परम्परा में जिसे अजपा जप कहते हैं, श्वांस पर ध्यान केन्द्रित कर मन को साधा जा सकता है। प्राणायाम के माध्यम से मन को नियंत्रित कर लिया गया तो योग के अन्य उच्चतर सोपान को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हो सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज के भाग दौड़ वाले जीवन में तनाव, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां तीव्रगति से बढ़ रही हैं। इन सभी का पूर्ण रूप से समाधान योग से ही सम्भव है। लोगों में बढ़ रहा क्रोध, हिंसा की भावना आदि को भी योग की विभिन्न क्रियाओं के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। योग का नियमित अभ्यास आपको आरोग्यता की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योग को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में प्राप्त हो चुकी है। आज सम्पूर्ण विश्व, योग दिवस को गर्व के साथ मना रहा है। इस वैश्विक मान्यता को संरक्षित करना हम सबका कर्तव्य है। योग को जीवन में निरन्तर प्रगति का अनिवार्य साधन बनाना चाहिए। योग से व्यक्ति न केवल वृद्धावस्था को रोक सकता है, बल्कि विभिन्न योग क्रियाओं द्वारा असामयिक मृत्यु को भी रोका जा सकता है। योग साधकों के लिए भारतीय शास्त्र परम्परा में कहा गया है कि जो लोग नियमित योग करते हैं, उनको बुढ़ापा नहीं आता और न ही किसी प्रकार का रोग पकड़ता है। योग दिवस प्रेरणादायक, विश्व कल्याण और विश्व शान्ति की कामना का पर्याय है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी लोग योग को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। आयुष मंत्रालय ने प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से जो प्रोटोकॉल दिए हैं, उससे जुड़ें। हम सभी सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन, भुजंगासन को आसानी से अपना सकते हैं। बस ध्यान यह देना है कि यदि एक आसन झुकने वाला आपने किया है, तो उसके विपरीत आसन को भी समन्वय के साथ जोड़ना होगा।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने वर्चुअल उद्बोधन में कहा कि ’युज्यते अनेन इति योगः’ अर्थात जो जोड़ता है वही योग है। योग विचार पूरे संसार को परिवार की तरह जोड़ता है और ’वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारत की प्राचीन परम्परा को आगे बढ़ाता है। इस वर्ष भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन में भी वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर थीम के साथ आयोजित हो रहा है। आज योग से आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक के लोग जुड़ रहे हैं। योग के लाभ से भली-भांति परिचित हो रहे हैं।
बढ़ते स्वास्थ्य संकटों से उत्पन्न पारिवारिक तनाव आदि के निदान में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का आह्वान करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति, सामाजिक संरचना और आध्यात्मिक दृष्टि ने हमेशा जोड़ने का काम किया। देश ने हमेशा नये विचारों, विविधताओं का संरक्षण किया। ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात योग से ही कर्म की कुशलता है। निष्काम कर्म योग के माध्यम से ही चेतना शक्ति, सामूहिक ऊर्जा और एक विकसित भारत का विकास हो रहा है। इसी संकल्प के साथ हम अपनी इस ऋषि परम्परा एवं विरासत को संरक्षित कर भारत को विश्वगुरु बनाये रखें।
इस अवसर पर सांसद श्री रवि किशन शुक्ला एवं महापौर डॉ0 मंगलेश श्रीवास्तव शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी योगाभ्यास में सम्मिलित हुए।

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