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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र के 18वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

देश-विदेश

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), कुरुक्षेत्र के 18वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरे विश्व में तेजी के साथ बदलाव हो रहा है। तकनीकी क्रांति के कारण, नौकरियों के स्वरूप के साथ-साथ लोगों की मूलभूत आवश्यताएं भी बदल रही हैं। इन बदलावों ने इंजीनियरिंग के मौजूदा पद्धतियों को भी चुनौती प्रदान की है। तकनीकी बदलाव के कारण हो रहे बदलावों को घ्यान में रखते हुए यह बहुत ही आवश्यक हो चुका है कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र सहित हमारे तकनीकी संस्थान ‘भविष्य के लिए तैयार’ रहें। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त किया कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा साइंस, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन एवं इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों की शुरूआत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त किया कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र ने एक अत्याधुनिक ‘सीमेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना की है, जिसमें स्मार्ट विनिर्माण और ऑटोमेशन डिजाइन और ई-मोबिलिटी पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि एनआईटी कुरुक्षेत्र इस प्रकार के केंद्र की स्थापना करने वाला उत्तर भारत का पहला और देश का दूसरा एनआईटी है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र की स्थापना से उद्योग, शैक्षणिक क्षेत्र, डीआरडीओ और भेल जैसे अनुसंधान एवं विकास संगठनों के साथ सहयोग बढ़ा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हरियाणा और पंजाब का क्षेत्र देश के कृषि विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए हरित क्रांति को यथार्थ बनाया है और देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की है। लेकिन आज इस क्षेत्र में बढ़ती हुए वायु और भूमि प्रदूषण की समस्या और घटता हुआ भूजल स्तर एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि यह एनआईटी, कुरुक्षेत्र की जिम्मेदारी है कि वह इन समस्याओं का प्रौद्योगिकी समाधान की खोज करे। महामारी के दौरान यह साबित हो चुका है देश का आम नागरिक प्रौद्योगिकी के अनुकूल है। प्रौद्योगिकी समाज की भलाई के लिए होता है तो उसे आम लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है, जिसका एक उदाहरण डिजिटल भुगतान की सफलता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी न केवल विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक गौण उत्पाद है बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ भी है। हम सभी देशवासियों को ‘सामाजिक न्याय के लिए प्रौद्योगिकी’ वाले विचारों के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें कोशिश करनी चाहिए कि वंचित वर्ग इसमें पीछे न रह जाएं। भेदभावहीन समाज का निर्माण करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।

शिक्षा की सफलता को वेतन पैकेज वाले मापदंड बनाने की प्रवृत्ति की तरफ इशारा करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि ज्यादा वेतन पैकेज मिलना अच्छी बात है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिन छात्रों को अच्छा वेतन पैकेज नहीं प्राप्त होता है वह कम योग्य है। उन्होंने छात्रों को सलाह दिया कि वे कभी भी आपनी सफलता का आकलन पैकेज के आधार पर न करें।उन्होंने कहा कि छात्रों को सफलता की पारंपरिक धारणाओं और सामाजिक दबावों तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्हें निर्धारित करना चाहिए कि वे अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं। महामहिम ने छात्रों से एक ऐसा करियर चुनने का आग्रह किया जो उन्हें संतुष्टि और जीवन का सही उद्देश्य प्रदान करे। उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करें, उपलब्धियां अपने आप उनको प्राप्त हो जाएंगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र की स्थापना 1963 में हुई थी और यह देश के पहले एनआईटी में से एक है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने इस क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले छह दशकों में संस्थान ने देश और विदेश में उच्च शिक्षा के तकनीकी संस्थानों के बीच अपनी एक बनाई पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के 40,000 से ज्यादा पूर्व छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है और पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि एनआईटी, कुरुक्षेत्र के छात्रों ने सिंगापुर से लेकर सिलिकॉन वैली तक, नागरिक समाज से लेकर प्रशासनिक सेवाओं तक सभी क्षेत्रों में अपने लिए एक उल्लेखनीय जगह बनाया है।

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