पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत अनेक विभिन्नताओं को एक साथ लेकर चलने वाला देश है। हमें ऐसे भारत को बनाने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए जहां सबसे पीछे रहने वाले नागरिक को भी इस बात का एहसास होना चाहिए कि उसे सबसे बड़े अवसरों को पाने के लिए उतनी ही आजादी मिली हुई है जितनी कि किसी अन्य नागरिक को। उन्होंने कहा कि तभी भारत का वह असली सपना साकार हो पाएगा जिसे हमारे पूर्वजों ने हमें सौंपा है।
समुद्र भारत फाउंडेशन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मंथन शब्द में इस बात के भाव निहित हैं कि यह सत्य और असत्य के बीच के संघर्ष को दिखाता है। इस मंथन से हमेशा रत्न निकलते हैं। इसी तरह के एक मंथन से अमृत निकला जो मनुष्यमात्र की भलाई के लिए काम आया। उन्होंने कहा कि भारत भी एक तरह के मंथन से निकला है। अनेक विचारधाराओं के टकराव के साथ भारत के मूल में यह भाव समाहित हो गया है कि विभिन्न विचारों के लोगों को एक साथ चलना और आगे बढ़ना चाहिए। अपने विचार व्यक्त करते हुए मुखर्जी ने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की बात को याद किया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में जारी हुए विश्व खुशहाली सूचकांक में भारत का स्थान 133 वां था। 156 देशों के बीच भारत का यह स्थान बेहद निम्न कहा जाएगा। हमें ऐसे भारत का निर्माण करना चाहिए जहां हर एक नागरिक को देश के सभी संसाधनों और अवसरों तक समान पहुंच होनी चाहिए।
किसी के साथ किसी तरह का भेदभाव लोगों के मन में नकारात्मक विचार पैदा करता है, जिससे लंबे समय में गलत असर पड़ता है। एक अच्छी व्यवस्था बनने के लिए हमें ऐसे विचार को जगह देने से बचना चाहिए। न्यूज सोर्स अमर उजाला