32 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

प्रधानमंत्री का ‘प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण और अनुप्रयोगों को प्रोत्‍साहन देने’ पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में संबोधन।

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण और अनुप्रयोगों को प्रोत्‍साहन देने’ पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित किया। एक दिन के इस राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन से प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने के बारे में मंत्रालयों/ विभागों और राज्‍य सरकारों के बीच बातचीत करने का अवसर मिला।

इस सम्‍मेलन का मुख्‍य उद्देश्‍य योजना बनाने और विकास प्रक्रिया में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, देश के प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और परिवर्तन तथा रिमोट सेंसिंग के तालमेल के जरिये आपदा प्रबंधन में सुधार, संचार एवं नौवहन आधारित समाधान है। इसका लक्ष्‍य राज्‍य स्‍तरीय भू स्‍थानिक डाटा कोष तैयार करना और राज्‍य आधारित अनुप्रयोगों को लागू करने में राज्‍यों की मदद करना भी है।

आम व्‍यक्ति के लाभ के लिए अंतरिक्षक प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि आम आदमी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के बीच कोई दूरी नहीं रहना चाहिए। प्रौद्योगिकी का उपयोग आम व्‍यक्ति के फायदे के लिए होना चाहिए। प्रौद्योगिकी एक बेहद असरदार प्रेरक शक्ति है। उन्‍होंने सभी विभागों से प्रौद्योगिकी के लिए एक इकाई बनाने को कहा जहां वैज्ञानिक स्‍वभाव के युवक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर सकते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि मानव संसाधन विकास के जरिये क्षमता को बढाया जा सकता है जिसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मानव संसाधन मंत्रालय और राज्‍य सरकारों के साथ समन्‍वय कर कार्य कर सकता है। उन्‍होंने ‘स्‍टार्ट अप इंडिया, स्‍टैंड आप इंडिया’ पहलों को विज्ञान के संदर्भ में कार्यान्वित करने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक स्‍वभाव के युवकों से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शुरूआत करने की भी अपील की।

इससे पहले पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, सार्वजनिक कार्मिक लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में अंतरिक्ष विभाग के लिए पिछला वर्ष गौरव का वर्ष रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक विश्‍व शक्ति बन गया है। भारत, विदेशी सैटेलाइट को लॉच कर भारी आय कमा रहा है और अंतरिक्ष मार्केटिंग के युग में प्रवेश कर चुका है। मंत्री महोदय ने बताया कि जम्‍मू–कश्‍मीर में बाढ़ और नेपाल में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी बड़ी मददगार साबित हुई है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में स्‍थापित किए जा रहे परमाणु ऊर्जा के सभागृह की तर्ज पर राष्‍ट्रीय राजधानी में अंतरिक्ष सभागृह भी बनाया जा सकता है।

इस अवसर पर अंतरिक्ष विभाग के सचिव श्री ए.एस.किरण कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग की पहल को सभी मंत्रालयों और विभागों से सकारात्‍मक प्रतिक्रिया मिली है। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, डिजिटल इंडिया और स्‍वच्‍छ गंगा अभियान सहित सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के लिए उपयोगी हो सकती है। उन्‍होंने राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में ‘कार्यनीतियां और इससे आगे ’ तथा ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम’ पर प्रस्‍तुति भी दी।

उद्घाटन सत्र के दौरान नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष श्री अरविंद पनगढिया ने कहा कि इसरो विश्‍व की छह सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है और यह सबसे अधिक किफायती अंतरिक्ष एजेंसी है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बताया था कि भारत के मंगल अभियान का खर्च हॉलिवुड की ‘ग्रेविटी ’ फिल्‍म निर्माण की लागत से भी कम है। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कृषि, भू विज्ञान, वन, भू संसाधन, पेय जल और शहरी विकास जैसे विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों के लिए मददगार है। इनमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग फसल की भविष्‍यवाणी, संभावित मतस्‍य पालन क्षेत्रों, व्‍यर्थ पड़े भूखंड का विकास, शहर मास्‍टर योजना इत्‍यादि जैसे विभिन्‍न अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। उन्‍होंने बताया कि 2016 में आईआरएनएसएस शृखंला के सैटेलाइट शुरू होने पर यह देश के प्राकृतिक संसाधनों पर महत्‍वपूर्ण आंकड़े उपलब्‍ध कराएगा।

उद्घाटन सत्र के दौरान कैबिनेट सचिव श्री पी.के. सिन्‍हा ने कहा कि यह सम्‍मेलन जून 2014 में श्रीहरिकोटा में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सुझाव का परिणाम है, जहां उन्‍होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने की सलाह दी थी। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सक्रिय बातचीत करने के लिए इसरो में विशेषज्ञों की 18 टीमें गठित की गई थी। इसके बाद मंत्रालयों/ विभागों में ऐसी कई परियोजनाएं बनी जिनमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहायता कर सकती है।

सम्‍मेलन के दौरान विभिन्‍न विषयों पर नौ सत्र आयोजित किए गए जिनमें कृषि, ऊर्जा एवं पर्यावरण, बुनियादी ढांचा योजना, जल संसाधन, प्रौद्योगिकी प्रसार, विकास योजना, संचार एवं नौवहन, मौसम तथा आपदा प्रबंधन और स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा शामिल हैं। प्रभावी कार्य, योजना तैयार करने और निर्णय क्षमता को बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग पर केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों के सचिवों ने संयुक्‍त कार्रवाई योजना प्रस्‍तुत की। प्रधानमंत्री की गरिमामयी उप‍स्थिति में नौ सत्रों के अध्‍यक्षों ने इन सत्रों के मुख्‍य परिणामों को पेश किया।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की गई जिनमें पर्यावरण प्रभाव का आकलन, जंगल में आग की चेतावनी प्रणाली, जीआईएस आधारित बुनियादी ढांचा योजना, खनन के लिए भू रुपात्‍मक मानचित्रण, संरक्षित और तटवर्ती क्षेत्रों का मानचित्रण, दूर दराज के क्षेत्रों के लिए सैटेलाइट संचार, भू वन पोर्टल पर टोल सूचना प्रणाली, एएसआई, जीएजीएएन के तहत जीओ टैगिंग आधारित पर्यटक स्‍थलों के लिए प्रबंधन योजना और 3डी दृश्‍य, संभावित मतस्‍य पालन क्षेत्र की जानकारी, जलाशय और भूमिगत जल की संभावनाओं का मानचित्रण, अतिरिक्‍त सैटेलाइट ट्रांसपोंडर द्वारा सेवा देने वाले निजी चैनल नेटवर्क के विस्‍तार के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में डीटीएच कवरेज, दूर-शिक्षा, रोग निगरानी और व्‍यावसायिक स्‍वास्‍थ्‍य शामिल हैं। सम्‍मेलन के दौरान आंकड़ों के दोहराव से बचने के लिए आंकड़ों को साझा करना और राज्‍यों तथा अन्‍य विभागों के बीच समन्‍वय तथा सीमित क्षमताओं जैसी चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

Related posts

8 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More