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पीएमकेएसवाई के प्रचलनात्मक मार्गदर्शिका के मसौदे का अनुमोदन

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह जी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के प्रचलनात्मक मार्गदर्शिका के मसौदे का अनुमोदन कर दिया है जो की विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के सलाह से तैयार किया गया है।

पीएमकेएसवाई की मार्गदर्शिका को कृषि एवं सहकारिता विभाग के वेबसाइट (www.agricoop.nic.in) पर अपलोड कर दिया गया है तथा साथ ही राज्य के मुख्य सचिवों को उनके मूल्यवान सुझाव हेतु भेज दिया गया है।

योजना के अनुमोदन एवं निगरानी तथा सुचारू रूप से चलाने तथा विभिन्न विभागों के समन्यवन हेतु विभिन्न कमेटी जैसे कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय संस्तुति समिति (एस.एल.एस.सी) तथा योजना में संसाधन के आवंटन, मंत्रालीय समन्वयन, मॉनीटरिंग, प्रशासनिक मुद्दों के समाधान हेतु नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) का गठन किया गया है। उपरोक्त के अलावा कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने, दिशा निर्देश जारी करने तथा मूंल्याकन आदि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में संबंधित मंत्रालयों के मंत्री को सम्मिलित करते हुए अंर्तमंत्रालीय राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनएससी) का गठन भी किया गया है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने इसकी 1 जुलाई, 2015 को हुई मीटिंग में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) का अनुमोदन प्रदान किया है।

पीएमकेएसवाई चालू योजनाओं जैसे जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्नउद्धार मंत्रालय के त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम(एआईबीपी), भू-संसाधन विकास विभाग के एकीकृत पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्लूएमपी) तथा कृषि एवं सहकारिता विभाग के खेत पर जल प्रबंधन (ओएफडब्लूएम) के एक एकीकरण के रूप में विकसित की गई है। इस योजना के लिए अगले पाँच वर्षों के लिए 50000 करोड़ रूपये आबंटन किया गया है तथा चालू वित्त वर्ष (2015-16) के लिए इस योजना में 5300 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है जिसमें 1800 करोड़ रूपये कृषि एवं सहकारिता विभाग के लिए; 1500 करोड़ रूपये भूमि संसाधन विभाग; 2000 करोड़ रूपये जल संसाधन मंत्रालय (ए.आई.बी.पी के लिए 1000 करोड़ रूपये; पीएमकेएसवाई के लिए 1000 करोड़ रूपये) के लिए शामिल है।

पीएमकेएसवाई का मुख्य उद्देश्य फील्ड स्तर पर सिंचाई में निवेशों का अभिसरण, सुनिश्चित सिंचाई अंतर्गत खेती योग्य क्षेत्र बढ़ाना, जल की बरबादी को रोकने हेतु खेत पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि, परिशुद्ध सिंचाई तथा जल बचत तकनीकों “(प्रति बूंद अधिक फसल)” को अपनाना, तथा उपचारित नगरीय व्यर्थ जल के पेरी-शहरी कृषि हेतु पुर्न उपयोग से सतत जल संरक्षण गतिविधियों को लाना तथा परिशुद्ध सिंचाई प्रणाली में अधिक निजी निवेश को आकर्षित करना है ।

ग्रामीण विकास मंत्रालय मुख्य रूप से मृदा एवं जल संरक्षण हेतु छोटे तालाब, जल संचयन संरचना के साथ-साथ छोटे बांधों तथा सम्मोच्च मेढ निर्माण आदि कार्यो का क्रियान्वयन समेकित पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत करेगा। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्नउद्धार मंत्रालय संरक्षित जल को खेत तक पहुँचाने के लिए नाली, लिफ्ट सिंचाई, जल वितरण नेटवर्क विकास इत्यादि के साथ-साथ त्वरित सिंचाई लाभ संबंधी कार्यक्रम समयबद्ध तरीके से पूर्ण करेगा।

कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग प्रभावी जल परिवहन और फार्म के भीतर क्षेत्र अनुप्रयोग उपकरणों यथा भूमिगत पाइप प्रणाली, पीवोट, रेनगन (जल सिंचन) का प्रोत्‍साहन, टयूबवेल और डगवेल सहित पूरक स्रोत निर्माण गतिविधियों के लिए सूक्ष्‍म सिंचाई संरचना का निर्माण, अत्‍यधिक उपलब्‍धता (वर्षा मौसम) के समय नहर प्रणाली के अंतिम मुहाने पर द्वितीयक भंडारण संरचना अथवा प्रभावी ऑन फार्म जल प्रबंधन के माध्‍यम से शुष्‍क अवधि के दौरान बारहमासी स्रोतों जैसे माध्‍यमों से जल भंडारण, पानी ले जाने वाले पाईपों, भूमिगत पाइप प्रणाली सहित पानी खींचने वाले उपकरणों जैसे डीजल/इलेक्‍ट्रिक/सौर पम्‍प सैट, वर्षा और न्‍यूनतम सिंचाई आवश्‍यकता (जल संरक्षण) सहित उपलब्‍ध जल के अधिकतम उपयोग के लिए फसल संयोजन सहित वैज्ञानिक आर्द्रता संरक्षण और कृषि विज्ञान उपायों के प्रोत्‍साहन के लिए विस्‍तार गतिविधियां , क्षमता निर्माण, सामुदायिक सिंचाई को शामिल करते हुए तकनीकी, शस्यीय तथा प्रबंधन गतिविधियों से जल स्त्रोत के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रशिक्षण, जल बचत तकनीकों, कार्यक्रमों इत्यादि पर जागृति अभियान हेतु एनईजीपी-ए के माध्‍यम से सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग आदि को बढ़ावा देगा।

जिला सिंचाई आयोजन (डीआईपी) को विस्तृत तथा व्यवहारिक बनाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जिसमें जिला स्तर के सभी कृषि विकास से संबंधित अधिकारी सदस्य होंगें और जिला वन अधिकारियों और लीड बैंक अधिकारी भी सदस्य होंगें। जिला सिंचाई आयोजन बनाते समय, उस क्षेत्र के माननीय सांसदों और विधायको के सुझाव आमंत्रित किए जाएगें तथा उनके सुझावों को तकनीकी और आर्थिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उच्च प्राथमिकता दी जाएगी। राज्य सिंचाई आयोजन (एसआईपी) जल क्षेत्र की गतिविधियां, पीने का पानी एवं स्वच्छता, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के अनुप्रयोग हेतु अभिसरण प्लेटफॉर्म के लिए जिला सिंचाई आयोजनों(डीआईपी) का एकीकरण होगा।

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