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प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में प्रेरित, दृढ़प्रतिज्ञ और सतर्क रहने के विशेष महत्व को रेखांकित किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केंद्रीय मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री ने मंत्रियों के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि उनके द्वारा निरंतर दिए गए सुझाव कोविड-19 से निपटने की रणनीति बनाने में काफी प्रभावकारी साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि नेतागण राज्य एवं विशेषकर उन जिलों के जिला प्रशासन के साथ विस्‍तारपूर्वक संवाद करें, जो महामारी के हॉटस्पॉट हैं और इसके साथ ही वे जमीनी स्थिति से अवगत हों और आकस्मिक समस्याओं का समाधान भी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी अत्‍यंत महत्वपूर्ण है कि पीडीएस केंद्रों पर भीड़ न हो, प्रभावकारी निगरानी बनी रहे, शिकायतों पर ठोस कार्रवाई हो और आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी एवं उनकी कीमतों में वृद्धि को रोका जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों का कल्याण अत्‍यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों को फसल कटाई के सीजन में हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। इस संबंध में उन्‍होंने प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और मंडियों से किसानों को जोड़ने के लिए एप आधारित कैब सेवाओं की तर्ज पर ‘ट्रक एग्रीगेटर्स’ जैसे अभिनव समाधानों का उपयोग करने की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया। उन्होंने आदिवासी उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, ताकि स्‍वदेशी आदिवासी आबादी की आय का स्रोत बरकरार रह सके।

प्रधानमंत्री ने निरंतर निगरानी करने के महत्‍व और यह सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया कि ‘पीएम गरीब कल्याण योजना’ के लाभ निर्बाध रूप से निर्दिष्‍ट लाभार्थियों तक पहुंचते रहें। उन्होंने कहा कि वायरस के फि‍र से फैलने की संभावना को नियोजन में शामिल किया जाना चाहिए। आवश्यक दवाओं और सुरक्षा उपकरणों के उत्पादन की समयसीमा बनाए रखने के लिए निरंतर निगरानी होनी चाहिए। आपूर्ति स्तर और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सूक्ष्म स्तर पर योजना बनाना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन उपायों और सामाजिक दूरी बनाए रखने के मानदंडों पर एक साथ अमल करने की जरूरत है। उन्‍होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने पर उभर कर सामने आने वाली परिस्थितियों के लिए रणनीति बनाना आवश्‍यक है। उन्‍होंने मंत्रियों से लॉकडाउन समाप्त होने पर दस प्रमुख निर्णयों और फोकस वाले दस प्राथमिकता क्षेत्रों की पहचान करने को कहा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने उनसे अपने-अपने मंत्रालयों में लंबित सुधारों की पहचान करने और फि‍र उन्‍हें लागू करने को कहा। प्रधानमंत्री ने यह उल्लेख किया कि उभरती चुनौतियों के कारण भारत को अन्य देशों पर अपनी निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी विभागों से इस आशय के एक उद्देश्य सूचकांक को बनाए रखने को कहा और इसके साथ ही इस बात पर गौर करने को कहा कि उनका काम ‘मेक इन इंडिया’ को कैसे बढ़ावा देगा।

अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को इस प्रभाव को कम करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि मंत्रालयों को एक ‘कारोबार निरंतरता योजना’ तैयार करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन स्‍थानों पर विभागों को धीरे-धीरे खोलने के लिए एक श्रेणीबद्ध योजना बनाई जानी चाहिए जहां हॉटस्पॉट मौजूद नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संकट चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का एक अवसर प्रदान करता है। भारत के निर्यात पर पड़ रहे प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने मंत्रियों से कहा कि वे विनिर्माण एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उचित सुझाव पेश करें और इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें कि नए क्षेत्र तथा देश भारत के निर्यात दायरे में अवश्‍य शामिल हों। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से ग्रामीण क्षेत्रों एवं जमीनी संस्थानों में आरोग्य सेतु एप को लोकप्रिय बनाने को कहा, ताकि महामारी के बारे में जानकारी एवं जागरूकता बढ़ाई जा सके।

मंत्रियों ने #9pm9minute की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश के सभी कोनों में रहने वाले लोगों ने इसमें भाग लिया और इस तरह से महामारी के खिलाफ लड़ाई में पूरी आबादी को एकजुट किया। मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को प्रवासी श्रमि‍कों को होने वाली कठिनाइयों से निपटने, घबराहट का माहौल बनाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों पर अंकुश लगाने, आवश्यक आपूर्ति स्‍तर को बनाए रखने एवं इस लड़ाई में सबसे आगे रहने वाले कर्मियों द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों को सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों से अवगत कराया।

भारत सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।

भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों, प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस विचार-विमर्श में भाग लिया।

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