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प्रधानमंत्री ने 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में उद्घाटन व्याख्यान दिया। इस कांग्रेस की विषयवस्तु ‘भावी भारतःविज्ञान और प्रौद्योगिकी’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की असली ताकत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को लोगों के साथ जोड़ने में है।

प्रधानमंत्री ने अतीत के महान वैज्ञानिकों जेसी बोस, सीवी रमण, मेघनाद साहा  और एसएम बोस जैसे आचार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन लोगों ने ‘ न्यूनतम संसाधन’ और ‘अधिकतम प्रयास’ के जरिए जनता की सेवा की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सैकड़ों भारतीय वैज्ञानिकों का जीवन और कार्य प्रौद्योगिकी विकास और राष्ट्र निर्माण के संबंध में उनके गहरे बुनियादी दृष्टिकोण की समग्रता का परिचायक है। हमारे विज्ञान के आधुनिक मंदिरों के माध्यम से भारत अपने वर्तमान को बदल रहा है और अपने भविष्य को सुरक्षित करने का काम कर रहा है।”

प्रधानमंत्री ने हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों श्री लाल बहादुर शास्त्री और श्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ नारा दिया, जबकि अटल जी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ को जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम एक कदम आगे बढ़ें और इसमें ‘जय अनुसंधान’ को संलग्न करें।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि विज्ञान का लक्ष्य दो उद्देश्यों को प्राप्त करने से पूरा होता है-सघन ज्ञान का सृजन और इस ज्ञान को सामाजिक-आर्थिक भलाई में लगाना।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विज्ञान ईको-प्रणाली की खोज को बढ़ावा देने के साथ हमें नवाचार और स्टार्ट-अप पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने वैज्ञानिकों में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए अटल नवोन्मेष मिशन की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि 40 वर्षों की तुलना में पिछले 4 वर्षों के दौरान ज्यादा टेक्नॉलाजी बिजनेस इंक्यूबेटर्स स्थापित किये गये।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे वैज्ञानिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा, आवास, स्वच्छ पानी, जल एवं ऊर्जा, कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण की समस्याओं को हल करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करना होगा। विज्ञान सार्वभौमिक है, इसलिए प्रौद्योगिकी को स्थानीय आवश्यकाताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हल प्रदान करने के लिए स्थानीय नज़रिया रखना होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि बिग डाटा विश्लेषण, कृत्रिम बौद्धिकता, ब्लॉक-चेन इत्यादि को कृषि सेक्टर, विशेषकर छोटी जोत वाले किसानों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से अपील की वे लोगों का जीवन सुगम बनाने के लिए काम करें। इस संदर्भ में उन्होंने कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा प्रबंधन, आपदा की पूर्व-चेतावनी प्रणाली, कुपोषण दूर करने, बच्चों में दिमागी बुखार जैसी बिमारियों से निपटने, स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अनुसंधान के जरिए समयबद्ध तरीके से समाधान निकाला जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने 2018 में भारतीय विज्ञान की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं-

  • विमानों में इस्तेमाल करने योग्य जैव-ईंधन का उत्पादन
  • दिव्य नयन – दृष्टि बाधितों के लिए मशीन
  • ग्रीवा का कैंसर, तपेदिक और डेंगू के निदान के लिए सस्ते उपकरण
  • सिक्किम-दार्जलिंग क्षेत्र में वास्तविक समय में भूस्खलन चेतावनी प्रणाली

उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्पादों के जरिए हमारी अनुसंधान और विकास उपलब्धियों का लाभ उठाने के लिए व्यापार और वाणिज्य की मजूबती आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान को कला एवं मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जाना चाहिए।

      प्रधानमंत्री ने हमारी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएससी, टीआईएफआर और आईआईएसईआर पर आधारित अनुसंधान और विकास के आधार पर देश की शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में भी मजबूत अनुसंधान ई-प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर भौतिक प्रणालियों को मंजूरी दे दी है, जिसमें 3600 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होना है। इस मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी विकास, मानव संसाधन एवं कौशल, नवाचार, स्टार्टअप ईको-प्रणाली, मजबूत उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को रखा गया है।

      अंतरिक्ष में प्राप्त कि जाने वाली उपलब्धियों के बारे में प्रधानमंत्री ने कॉर्टोसेट-2 और अन्य उपग्रहों की सफलता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में गगनयान के जरिए अंतरिक्ष में तीन भारतीयों को भेजने की तैयारी चल रही है। उन्होंने सिकल सेल अनीमिया का कारगर हल खोजने के लिए अनुसंधान शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

      प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष परामर्श परिषद’ से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समुचित उपाय करने के लिए मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमने ‘प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो’योजना शुरू की है, जिसके तहत देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों से प्रतिभाशालियों को आईआईटी और आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रमों के लिए सीधा प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना से बेहतर अनुसंधान का रास्ता खुलेगा और प्रमुख शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर होगी।

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