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पीयूष गोयल ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के व्यापार मंत्रियों के साथ विशेष बैठक को संबोधित किया

देश-विदेश

वाणिज्य एवं उद्योग, रेलवे, उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने आज हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बिजनेस समुदाय को इस क्षेत्र के विकास, व्यापार और आर्थिक विकास को मजबूत करने के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने  “साझा समृद्धि के लिए रोड मैप विकसित करने” के विषय पर भारत-प्रशांत क्षेत्र के व्यापार मंत्रियों के साथ सीआईआई की विशेष बैठक में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि भारत के ट्रैक रिकॉर्ड को मित्रों को विश्वास दिलाना चाहिए कि आने वाले वर्षों में यह उनका स्वाभाविक और सबसे विश्वसनीय सहयोगी होगा।

श्री गोयल ने कहा कि जब हम साझा समृद्धि की बात करते हैं तो हमें यह याद रखना चाहिए कि “साझा प्रतिबद्धता के बिना साझा समृद्धि असंभव है”। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबद्धता है जिसमें चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों और जोखिमों के साथ-साथ पुरस्कारों को साझा करने पर जोर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि महामारी के कारण होने वाली सभी पीड़ा के बीच उम्मीद है। यह उम्मीद है राष्ट्रों के बीच एक दूसरे को मदद करने के लिए भाईचारे की बढ़ती भावना। उन्होंने कहा कि भाईचारे की इस भावना ने किसी और बात से अधिक एक मजबूत नींव रखी है, जिस पर हमें आशाजनक साझेदारी कायम करने का मौका मिलता है।

श्री गोयल ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को वैश्वीकृत विश्व का नया आर्थिक केंद्र बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में भारत-प्रशांत के लिए एक शब्द सागर में क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि इसे इस क्षेत्र के सभी राष्ट्रों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करना चाहिए, क्योंकि एक सुरक्षित और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र सभी के लिए शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

श्री गोयल ने कहा कि जब दुनिया लचीली आपूर्ति की तलाश में होती है तो वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के पूर्व की ओर देखती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि दुनिया केंद्रित और जोखिम भरी आपूर्ति श्रृंखलाओं से फिर से संगठित होने के लिए आगे बढ़ती है, इसलिए वे निवेश और विनिर्माण के अवसरों के लिए भारत पर भरोसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत पारदर्शी, भरोसेमंद और विश्वसनीय श्रृंखला सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने की अवधारणा का समर्थन करता है। लचीली आपूर्ति श्रृंखला निर्माण की दिशा में एक दृढ़ कदम के रूप में सितंबर 2020 में शुरू की गई आपूर्ति श्रृंखला का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अन्य मित्र देशों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।

श्री गोयल ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार समझौतों की अधिकता के कारण समय के साथ टैरिफ दरों में गिरावट आई है। हालांकि उन्होंने कहा कि गैर-टैरिफ उपाय इस क्षेत्र में एक प्रमुख व्यापार बाधा के रूप में कार्य करते हैं। व्यापार सुगमता से माल की सीमा पार आवाजाही में आसानी हो सकती है।

श्री गोयल ने भारत की शक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि महामारी के शुरुआती महीनों के दौरान भी जब देश लॉकडाउन में था तब भी किसी भी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित नहीं होने दिया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि देश आईटी सेक्टर में अपनी सभी अंतर्राष्ट्रीय सेवा प्रतिबद्धताओं को पूरा करे। उन्होंने कहा कि हमारे ट्रैक रिकॉर्ड को मित्रों  को विश्वास दिलाना चाहिए कि आने वाले वर्षों में भारत उनका स्वाभाविक और सबसे विश्वसनीय सहयोगी होगा।

“आत्मनिर्भर भारत” की बात करते हुए श्री गोयल ने कहा कि आज देश एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है जहां वह अपनी और अपने 130 अरब लोगों की नियति की तलाश में है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अपने अंदर झांकने के लिए नहीं है बल्कि यह प्रतिस्पर्धा की भावना और शक्ति की स्थिति से दुनिया के साथ जुड़ने के बारे में है।

श्री गोयल ने कहा कि वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग चैंपियन बनाने और उनके पोषण के लिए 13 क्षेत्रों में 26 बिलियन  डॉलर की पीएलआई योजनाओं की घोषणा की गई है। उन्होंने इस क्षेत्र की कंपनियों को इन प्रोत्साहनों का उपयोग करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने उन  उपायों का भी उल्लेख किया जिनके परिणामस्वरूप कई मौजूदा नियमों और विनियमों का सरलीकरण हुआ है , विवेक संगत बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम मंजूरी की एकल खिड़की प्रणाली शुरू करने वाले हैं। उन्होंने बताया कि डूइंग बिजनेस रिपोर्ट, 2020 में भारत को लगातार तीसरी बार शीर्ष 10 सुधारकों में से एक के रूप में देखा गया है, जिसमें 3 वर्षों में 67 रैंकों का सुधार हुआ है। भारत के वृहद आर्थिक परिदृश्य के बारे उन्होंने कहा कि देश को कोविड-19 के बावजूद अपने इतिहास में अब तक का सबसे अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ है जबकि दुनिया भर में निवेश नीचे गिर गया। उन्होंने कहा कि हमारे स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में एक नई ऊर्जा है- 6 महीने में 2021 तक भारत में 15 और स्टार्ट-अप कंपनियां हैं। भारत ने इतिहास में अब तक का सबसे अधिक माल निर्यात किया है, जो 2019-20 की पहली तिमाही के निर्यात से 18 प्रतिशत अधिक है।

श्री गोयल ने कहा कि हम स्वच्छ तकनीक, पर्यटन, लॉजिस्टिक्स, टिकाऊ कृषि, स्टार्टअप, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और जीवन विज्ञान के क्षेत्रों में अपने निर्यात-आयात सहयोग का विस्तार कर सकते हैं। उन्होंने कंपनियों को अपना मैन्यूफैक्चरिंग आधार स्थापित करने और एक-दूसरे की आपूर्ति श्रृंखलाओं में तेजी लाने के लिए आमंत्रित किया।

श्री गोयल ने स्थिरता के विषय में कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो नियमित रूप से  यूएनएफसीसीसी को राष्ट्रीय संचार और द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। इससे पता चलता है कि भारत ने न केवल कार्बन मिशन को कम करने के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को पूरा किया है, बल्कि वास्तव में लक्ष्य से अधिक किया है।  श्री गोयल ने कहा कि भारत ने “क्लाइमेट जस्टिस एंड सस्टेनेबल लाइफस्टाइल” की अवधारणा को दुनिया के सामने पेश किया था और अब भारत दुनिया को दिखा रहा है कि यह कैसे किया जाता है।

कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति की समिति के अध्यक्ष श्री योआन सुंग रोह, केन्या गणराज्य के औद्योगिकीकरण, व्यापार और उद्यम विकास मंत्रालय में कैबिनेट सचिवसुश्री बेट्टी सी मैना, संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार मंत्री और प्रतिभा आकर्षण प्रभारी मंत्री डॉ. थानी अहमद अल जेयुडी, फिजी गणराज्य के वाणिज्य, व्यापार, पर्यटन और परिवहन मंत्री श्री फैयाज सिद्दीक कोया और श्रीलंका गणराज्य के व्यापार मंत्री श्री बंदुला गुणवरदना ने भी बैठक को को संबोधित किया।

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