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भारत के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ हर क्षेत्र में प्रगति का अवसर: डीएसटी सचिव

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने भारत में अनुसंधान और नवाचार को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए आवश्यक नीतियों पर चर्चा के दौरान जोर देकर कहा कि भारत उस मोड़ पर है जहां से देश हर क्षेत्र में ऊंचाई को छू सकता है। साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकता है।

“हमारे पास ज्ञान उत्पन्न करने की क्षमता है, लेकिन हम उस ज्ञान को अवशोषित नहीं कर पाए हैं। उद्योग संबंधी ज्ञान पर जोर देने की जरूरत है। विज्ञान नीति मंच के साथ साझेदारी में कौटिल्य विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पैनल चर्चा में प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि आविष्कार और नवाचार को अकादमिक और उद्योग, अनुसंधान, विकास एवं बाजार के बीच सहज संपर्क के साथ मिलकर काम करना है।

उन्होंने ‘लेट्स टॉक पॉलिसी सेशन- भारत में अनुसंधान और नवाचार अधिक प्रभावशाली कैसे हों’ विषय पर बोलते हुए भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण, ड्रोन और उपग्रह पर उदार नीतियों के साथ-साथ स्वामित्व योजना,जो देश की अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा देंगी, के बारे में अपनी बात रखी।

‘लेट्स टॉक पॉलिसी’ कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी द्वारा शुरू की गई एक पैनल चर्चा श्रृंखला है। यह पैनलिस्टों के एक चुनिंदा समूह को सामने लाती है जो राष्ट्रीय और वैश्विक प्रासंगिकता के प्रमुख मुद्दों पर अलग-अलग विचार साझा करती है और छात्र समुदाय के लिए संवाद का जरिया बनती है। श्रृंखला का उद्देश्य लोकतंत्र, राजनीति और मानवाधिकारों के आसपास के प्रमुख विषयों को उजागर करना है। साथ ही सबसे अधिक जरूरी मुद्दों के आसपास एक स्वस्थ संवाद को बढ़ावा देने के लिए एक समेकित मंच बनाने और विषयगत विशेषज्ञों को बुलाकर इसकी चुनौतियों और इससे होने वाले फायदों पर मंथन करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। 3 अगस्त को ‘भारत में अनुसंधान और नवाचार कैसे अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं’ विषय पर आयोजित चर्चा देश में नवाचार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के तरीकों पर केंद्रित थी।

डॉ. चंद्रिमा शाह, अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच विश्वास की कमी को पाटने की आवश्यकता को रेखांकित किया और निजी क्षेत्र से योग्य लोगों को प्रशिक्षित करने और शामिल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ये लोग अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने में भूमिका निभा सकते हैं।

पहली बार ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई, 2020) में भारत के शीर्ष 50 देशों (भारत मध्य और दक्षिणी एशिया में देशों के बीच अग्रणी स्थान रखते हुए, चार स्थान ऊपर 48वें स्थान पर पहुंच गया।) में शामिल होने जैसी उपलब्धियों के संदर्भ में हुई बातचीत इस बात पर केंद्रित रही कि भारतीय अनुसंधान और नवाचार को वास्तव में प्रभावशाली होने से कौन रोक रहा है। यहां इस बात का भी उल्लेख हुआ कि विश्व स्तर पर निम्न-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में नवाचार के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।

कौटिल्य के संस्थापक निदेशक श्रीधर पब्बिसेटी और सेफ्टी सिक्युरिटी के सीईओ और सह-संस्थापक साकेत मोदी ने भी इस चर्चा में भाग लिया, जिसे कौटिल्य की अतिथि संकाय निधि राजदान द्वारा संचालित किया गया।

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