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कुमाऊं मण्डल के वन पंचायत सम्मेलन का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
हल्द्वानी/देहरादून: कुमाऊं मण्डल के वन पंचायत सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधान सभा अध्यक्ष गोविन्द सिह कुंजवाल, वित्तमंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश, वन मंत्री दिनेश अग्रवाल व श्रम मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट कार्य के लिए महिला किसान नर्सरी योजना में अल्मोडा जनपद के स्वयं सहायता समूह चांदनी व बागेश्वर के वजूला स्वयं सहायता समूह को बीस हजार रूपये की धनराशि व प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया।

इन महिला समूहों द्वारा नर्सरी स्थापित कर विभिन्न प्रजातियों के एक लाख से अधिक पौधे उगाकर विभिन्न वन पंचायतों को विक्रय कर दो लाख से ढाई लाख की आय उपार्जित कर महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने व महिला उत्थान मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  कार्यक्रम मे लगभग दो सौ वन पंचायत सरपंचों को मुख्यमंत्री वन संवर्द्धन एवं मुख्य चाराहगाह योजना के अन्तर्गत उन्होनें दो लाख व ढाई लाख के चैक वितरित किये।
वन पंचायत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ऐसे सम्मेलन वन पंचायतो के पुर्नोत्थान मे मील के पत्थर साबित होगें। इससे एक ओर जहां वन सरपंच प्रोत्साहित होगें, वही दूसरी ओर पंचायतें सुसंगठित व सम्वर्धित हांेगी। उन्होने कहा कि अगला सम्मेलन गैरसैण में शीघ्र आयोजित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वन विकास समिति का शीघ्र विस्तार किया जायेगा व वन पंचायतो को अधिकार सम्पन्न बनाया जायेगा। सरपंच अपने वन पंचायत एक्ट के तहत कार्य सम्पादित करेंगे। वन सरपंच अपने अधिकारो व कर्तव्यों का पालन करते हुये पंचायतों को विकसित कर आर्थिक रूप से सम्पन्न होगें। उन्होने कहा कि वन पंचायतें व ग्राम सभायंे प्राथमिकता से कार्य करें, ग्राम सभाओं की तरह वन पंचायतों को भी अधिकार दिये जायेंगे, इसके लिए सरपंच मानसिक तौर पर तैयार रहें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 800 करोड की धनराशि से प्रदेश की वन पंचायतों को सुदृढ कराये जाने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होने वन मंत्री दिनेश अग्रवाल से हरेले महोत्सव की तरह अगले वर्ष से बुरांस व काफल महोत्सव भी आयोजित कराने को कहा। इन महोत्सवों के साथ बांस व बांज संरक्षण एवं संवर्धन को भी जोडा जाए। उन्होने प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिये कि वे प्रदेश की सभी वन पंचायतों को आॅन लाइन करना सुनिश्चिित करें। उन्होनें यह भी कहा कि जिले में वन महकमें के खोले गये कार्यालयों की भांति वन पंचायतों के अनुश्रवण के लिए जिला वन पंचायत कार्यालय स्थापित करें। वन महकमा जनता व वन सरपंचों से आत्मीयता बढ़ाए ताकि संवादहीनता दूर हो सके। उन्होने वन सरपंचो का आह्वान करते हुये कहा कि पंचायतों में फलदार पौध के साथ ही चारा प्रजाति के पौध भी लगाये, तथा स्वयं आर्थिक सम्पन्न होकर वन पंचायत सदस्यों को गाय, भैसें भी उपलब्ध करायें। उन्होने कहा कि वन विकास एवं संवर्धन हेतु जायका, कैम्पा योजना के साथ ही वन विभाग, जलागम, उद्यान आदि द्वारा भी योजनाये चलाई जा रही है। उन्होने कहा कि जंगलांे में बहुतायत मात्रा में टुटे पेड व लकडिया गिरी रहती ह,ै वन निगम उन्हे उठाने का शीघ्र प्रबन्ध करें तथा जिनको इसकी ईधन आदि हेतु आवश्यकता है, उन्हे उपलब्ध करायें ताकि वन सम्पदा का पूर्ण उपयोग किया जा सके।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये विधान सभा अध्यक्ष गोविन्द सिह कुंजवाल ने कहा कि ऐसे सम्मेलन प्रत्येक जनपद में कराये जाए, तभी वन पंचायते संदृढ होगी। आर्थिकी, तरक्की वन संरक्षण में वन पंचायतो की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन्हे और सुदृढ एवं अधिकार सम्पन्न बनाया जाए।
वित्तमंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश ने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी विकास के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रो की महिलाओ के आर्थिक उन्नयन तथा स्थानीय तौर पर रोजगार उपलब्ध कराने मे वनो की भूमिका है उन्होने कहा कि देश का सबसे अधिक वन क्षेत्रफल उत्तराखण्ड के पास है इसके बाद भी वन सम्पदा के माध्यम से आर्थिक संसाधन जुटा पाने में पीछे है। वनों का अधिक से अधिक उपयोग हो वनों के जरिये लोगो को रोजगार मिल इस दिशा में प्रदेश सरकार कार्य कर रही है।
अपने सम्बोधन मंे वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में पांच हजार हेक्टेअर से अधिक भूमि वन पंचायतांे की है। इसको अनिवार्य रूप से वन महकमे को सीमांकन कराया जाने के निर्देश दे दिये गये है। सीमांकन कार्य में राजस्व महकमे का सहयोग भी लिया जायेगा। उन्होने वन पंचायतें वन विभाग का स्तम्भ हैं, वनो के संरक्षण एवं संवर्धन में वन पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होने इको टूरिज्म की अपार सम्भावनाये हैं इसको आर्थिकी विकास हेतु जोडा जा रहा है। महिलाओं को नर्सरी स्थापना हेतु 50 हजार की धनराशि देने की योजना बनाई गयी है। जायका के माध्यम से मुख्यमंत्री वन संवर्धन एवं मुख्यमंत्री चारा विकास योजना के अन्तर्गत वन पंचायतों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा कार्य कराये जायेंगे।
अपने सम्बोधन में श्रम मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल  ने कहा कि उत्तराखण्ड में वन पंचायतो का पुराना इतिहास रहा है। उन्होने कहा कि वन पंचायतो के सरपंच भी निर्वाचन प्रक्रिया से आते है लिहाजा इन्हे भी अधिकार दिये जाएं तथा वन विभाग के अधिकारी क्षेत्र मे जाकर दोरफा संवाद करें तथा इनकी समस्याओ का अध्ययन कर निराकरण की कायवाही करंे। सरकार द्वारा वन ंपंचायतो की योजनाओ के बारे मे जानकारी उपलब्ध करायें। उन्होने वन पंचायत सरपंचो से कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों मंे दूध का उत्पान बढाने की जरूरी है। वन पंचायतें चारा उत्पान को बढाने के लिए चारा प्रजाति के पौधो का रोपण करें, आज प्रदेश में लगभग चारे की आधी मंाग की ही पूर्ति हो पाती है। इसलिए लोगो का पशुपालन की ओर रूझान भी कम होता जा रहा है।

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