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नीति आयोग ने ‘नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म’ के लिए अपना विजन जारी किया

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नई दिल्ली: नीति आयोग ने आज नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (एनडीएपी) के लिए अपना विजन जारी किया। इस प्‍लेटफॉर्म का उद्देश्‍य सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध सरकारी डेटा तक पहुंच को सर्वसुलभ कराना है। इस प्‍लेटफॉर्म पर विभिन्‍न सरकारी वेबसाइटों के नवीनतम डेटा सेट उपलब्‍ध कराये जायेंगे। यह प्‍लेटफॉर्म इन सभी डेटा सेट को सुसंगत ढंग से प्रस्‍तुत करेगा तथा इसके साथ ही विश्‍लेषण एवं संकल्‍पना के लिए आवश्‍यक साधन उपलब्‍ध करायेगा। एनडीएपी ऐसे दृष्टिकोण को अपनायेगा, जो उपयोगकर्ताओं (यूजर) पर केन्द्रित होगा। एनडीएपी एक ऐसे सरल और सहज पोर्टल पर डेटा की पहुंच सुनिश्चित करेगा, जिसे विभिन्‍न हितधारकों की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा सकेगा।

एनडीएपी ऐसे विभिन्‍न प्रारूपों (फॉर्मेट) के मानकीकरण का मार्ग प्रशस्‍त करेगा, जिनमें समस्‍त सेक्‍टरों में डेटा प्रस्‍तुत किया जाता है। यह नीति निर्माताओं, अनुसंधानकर्ताओं, अन्‍वेषकों, डेटा वैज्ञानिकों, पत्रकारों एवं नागरिकों की जरूरतों को पूरा करेगा।

नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने यह विजन डाक्‍यूमेंट जारी किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, विभिन्‍न मंत्रालयों एवं राज्‍य सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारी, शिक्षाविद एवं अनुसंधानकर्ता भी उपस्थित थे।

डॉ. राजीव कुमार ने अपने आरंभिक भाषण में कहा, ‘भारत ने नीति निर्माताओं एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन के लिए डेटा सृजित करने एवं उनके उपयोग के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय प्रगति की है। अब समय आ गया है कि इन प्रयासों में और तेजी लाकर डेटा परिवेश को अधिक से अधिक सुदृढ़ किया जाए। एनडीएपी का मिशन एकल स्‍थल एवं उपयोगकर्ता अनुकूल डेटा प्‍लेटफॉर्म के रूप में विकसित होना है। अत: मुझे विश्‍वास है कि एनडीएपी आगे चलकर भारत के डेटा परिवेश में व्‍यापक बदलाव लाने में काफी मददगार साबित होगा।’

श्री अमिताभ कांत ने एनडीएपी के विकास से जुड़े संदर्भ के बारे में विस्‍तार से बताया। उन्‍होंने कहा, ‘नीति आयोग ने गवर्नेंस के सभी क्षेत्रों में डेटा के उपयोग को काफी बढ़ावा दिया है। अत: यह स्‍वाभाविक है कि नीति आयोग राष्‍ट्र को एक ऐसा सरल एवं अत्‍यंत उपयोगी प्‍लेटफॉर्म मुहैया कराने के मिशन की अगुवाई कर रहा है, जहां विभिन्‍न डेटा सेट तक पहुंच को एक साथ संभव किया जा सकता है। यह कमी डेटा परिवेश में लम्‍बे समय से रही है, जिसे नीति आयोग अब पूरा करने की कोशिश कर रहा है।’

नीति आयोग के अन्‍तर्गत इस पहल की अगुवाई कर रहे वरिष्‍ठ सलाहकार अन्‍ना रॉय ने एनडीएपी की जरूरत के बारे में विस्‍तार से बताया। उन्‍होंने कहा, ‘हम मुख्‍य कमियों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। पहली कमी यह है कि सभी डेटा सेट को एक ऐसे उपयोगकर्ता केन्द्रित तरीके से प्रकाशित नहीं किया जाता है, जिसका विश्‍लेषण करना संभव हो और जिसे विजुअल तरीके से पेश करना संभव हो। दूसरी कमी यह है कि मौजूदा समय में ऐसे अनगिनत डेटा सेट हैं, जिन तक आसानी से पहुंच संभव नहीं है। एक और विशेष बात यह है कि एनडीएपी ने एक ऐसा सरल, पारस्‍परिक संवादात्‍मक, विजुअल एवं सुदृढ़ प्‍लेटफॉर्म प्रस्‍तुत करने का प्रस्‍ताव किया है, जहां केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों के विभिन्‍न डेटा सेटों को उपलब्‍ध कराया जा सकेगा।’

एक अंतर-मंत्रालय समिति इस प्‍लेटफॉर्म के विकास की दिशा में हो रही प्रगति पर करीबी नजर रखेगी। इस प्‍लेटफॉर्म को विकसित करने हेतु तकनीकी मार्गदर्शन करने के‍ लिए प्रमुख विशेषज्ञों की एक टीम को एक सलाहकार समूह में शामिल किया गया है। इस प्रयास में सफलता दरअसल विभिन्‍न हितधारकों के सहयोग एवं सहायता पर निर्भर है।

एनडीएपी को विकसित करने में एक साल का समय लग जाएगा। इस प्‍लेटफॉर्म के पहले वर्जन को वर्ष 2021 में लॉन्‍च किये जाने की आशा है। इस प्रक्रिया में उपयोगकर्ताओं के अनुकूल दृष्टिकोण को अपनाया जाएगा और प्‍लेटफॉर्म को विकसित करने की पूरी प्रक्रिया के दौरान विभिन्‍न उपयोगकर्ताओं तथा हितधारकों से प्राप्‍त होने वाली जानकारियों एवं सूचनाओं को इसमें शामिल किया जाएगा।

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