21 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

राष्ट्रीय महिला आयोग ने ‘नस्लीय विविधता के प्रति संवेदनशील होना’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया

देश-विदेश

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज यहां पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और दिल्ली पुलिस के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विशेष पुलिस इकाई (एसपीयूएनईआर) के सहयोग से ‘नस्लीय विविधता के प्रति संवेदनशील होना’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य भारत में विभिन्न संस्कृतियों के प्रति जागरूकता फैलाना और विविध रीति-रिवाजों के बीच आपसी समझ को मजबूत करने के लिए रणनीति की अनुशंसा करना था।

इस अवसर पर केन्द्रीय विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजकुमार रंजन सिंह; राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, सुश्री रेखा शर्मा; राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष, सुश्री सैयद शहजादी; महानिदेशक, बीपीआर एंड डी के अध्यक्ष श्री बालाजी श्रीवास्तव और एसपीयूएनईआर के संयुक्त पुलिस आयुक्त श्री हिबू तमांग उपस्थित थे।

केन्द्रीय विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजकुमार रंजन सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज के संगोष्ठी का उद्देश्य राष्ट्रीय अखण्डता और एकता की भावना को बढ़ावा देना है और इस तरह के संवेदनशील बनाने के कार्यक्रम निश्चित रूप से एक-दूसरे के प्रति हमारे व्यवहार में सहानुभूति लाने में योगदान देंगे।

अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श वाक्य पर जोर देते हुए कहा कि समय की मांग है कि सूचना का प्रसार हो, संस्कृति का आदान-प्रदान हो और लोग संवेदनशील हों। सुश्री शर्मा ने कहा कि आपसी समझ और विश्वास, भारत की ताकत की आधारशिला है और सभी नागरिकों को भारत के सभी क्षेत्रों में रहते हुए सांस्कृतिक रूप से एकीकृत या आपस में जुड़ा महसूस करना चाहिए। उन्होंने पुलिस को संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी जोर दिया और पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए आयोग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी साझा की।

विभिन्न तरह के विचार प्राप्त करने के लिए आयोग ने कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था; जिनमें प्रमुख हैं – बाइचुंग भूटिया, भारतीय फुटबॉल के पूर्व कप्तान; सोनम वांगचुक, लद्दाख के भारतीय इंजीनियर / नवोन्मेषी / शिक्षा सुधारक; हिबू तमांग, संयुक्त पुलिस आयुक्त, उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए विशेष पुलिस; आदित्य राज कौल, कार्यकारी संपादक, टीवी 9 / राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक मामले; रॉबिन हिबू, आईपीएस, विशेष पुलिस आयुक्त, सशस्त्र पुलिस डिवीजन, दिल्ली पुलिस और एनजीओ हेल्पिंग हैंड्स के अध्यक्ष; तजेंदर सिंह लूथरा, निदेशक, राष्ट्रीय पुलिस मिशन; रिनचेन ल्हामो, सदस्य, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग; सोसोशैज़ा, पूर्व सदस्य, एनसीडब्ल्यू; पूजा एलंगबम, आईएएस, एसडीओ, पोरोमपत, इंफाल पूर्व और प्रोफेसर अजेलिउ नियामई, प्रमुख, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी, हैदराबाद विश्वविद्यालय।

संगोष्ठी का उद्देश्य हमारे देश की विविधता में एकता का उत्सव मनाना और हमारे देश के लोगों के बीच पारंपरिक रूप से विद्यमान भावनात्मक बंधनों के ताने-बाने को बनाए रखना और मजबूत करना था। विभिन्न नस्लों और संस्कृतियों के प्रति अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाना एवं नस्लीय संघर्षों से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए दिल्ली में रहने वाले विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधियों को जागरूक बनाना जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

पैनल-सदस्यों के संबोधन के कुछ अंश निम्नलिखित हैं:

बाइचुंग भूटिया, भारतीय फुटबॉल के पूर्व कप्तान

खेल एक ऐसा माध्यम है, जहां आपकी पृष्ठभूमि के आधार पर आपके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। पूर्वोत्तर को अधिक प्रतिनिधित्व देने में खिलाड़ियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सोनम वांगचुक, लद्दाख के इंजीनियर / नवोन्मेषी / शिक्षा सुधारक

यह एक ऐसा देश है, जो अनेकता में एकता की बात करता है; जबकि कई राष्ट्र ऐसा नहीं करते हैं। एकीकरण में मीडिया को अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है। फिल्म, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समेत सभी तरह का मीडिया माध्यम, लोगों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

हिबू तमांग, संयुक्त पुलिस आयुक्त, उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए विशेष पुलिस

दिल्ली पुलिस ने पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए कई पहल की हैं। मैंने अपनी सेवा के पिछले 5 वर्षों में देखा है कि पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणियों में कमी आई है और लोग अधिक जागरूक हुए हैं।

रिनचेनलामो, सदस्य, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

मोदी सरकार लद्दाख के विकास के लिए काम कर रही है और इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने तथा लद्दाख में चल रहे विकास कार्यों के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं।

अजैलिउ नुमाई, प्रमुख, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी, हैदराबाद विश्वविद्यालय

पूर्वोत्तर की महिलाओं को आसान शिकार समझा जाता है। पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति नस्लीय दृष्टिकोण अज्ञानता से पैदा हुआ है। कई नस्लीय घटनाएं हुई हैं, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण हैं; हालांकि अब स्थितियां काफी बेहतर हुई हैं।

पूजा एलंगबम, आईएएस, एसडीओ, पोरोमपत, इंफाल पूर्व

नस्ल एक सामाजिक रचना है, जिस प्रकार लिंग एक सामाजिक रचना है। विभिन्न विभागों और संगठनों के लोगों के एक साथ आने के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है। शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिसके माध्यम से हम समस्या का समाधान कर सकते हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम भारत की विविधता को दर्शाते हैं। यदि बचपन से ही आवश्यक संवेदनशीलता की भावना पैदा की जाती है, तो हमारी शिक्षा प्रणाली बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होगी।

सोसोशैज़ा, पूर्व सदस्य, एनसीडब्ल्यू

सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे विभेदों को स्वीकार करना है। भारत के नागरिक के रूप में, यदि हम अन्य समुदायों को स्वीकार और सम्मान करते हैं, तो हम अलग-थलग होने की भावना महसूस नहीं करेंगे। इसलिए, स्वीकृति सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है।

तजेंदर सिंह लूथरा, निदेशक, राष्ट्रीय पुलिस मिशन

प्रकृति ने हम सभी को विशिष्ट बनाया है। हालांकि हमारे रंग अलग-अलग हैं और हम अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, लेकिन हम सभी अविश्वसनीय, अद्वितीय और विशेष हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More