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राष्‍ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने एचआईवी आकलन 2017 जारी की

देश-विदेश

नई दिल्ली: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने नई दिल्‍ली में एक कार्यक्रम में एचआईवी आकलन रिपोर्ट 2017 जारी की। राष्‍ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के तहत एचआईवी आकलन रिपोर्ट एचआईवी श्रृंखला का 14वां संस्‍करण है। नाको भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा सांख्यिकीय संस्‍थान (एनआईएमएस) के सहयोग से द्विवार्षिक एचआईवी आकलन रिपोर्ट जारी करता है। भारत में एचआईवी आकलन का पहला संस्‍करण 1998 में आया था, जबकि पिछला संस्‍करण वर्ष 2015 में जारी हुआ था।

रिपोर्ट में एड्स बचाव के साथ-साथ इलाज के मोर्चे पर राष्‍ट्रीय एड्स प्रतिक्रिया की महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। रिपोर्ट में एड्स नियंत्रण को लेकर आत्‍मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं रखी गई है, क्‍योंकि यह देश वर्ष 2030 तक ‘एड्स का खात्‍मा’ के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ चुका है। रिपोर्ट के अनुसार 2017 में भारत में एचआईवी पीडि़त लोगों (पीएलएचआईवी) की संख्‍या लगभग 21.40 लाख थी, इनमें वयस्‍क पीडि़तों की संख्‍या 0.22 फीसदी थी। वर्ष 2017 में एचआईवी संक्रमण के लगभग 87,58,000 नये मामले सामने आए और 69,11,000 लोगों की एड्स से संबंधित बीमारियों से मौत हुई। इस दौरान मां से बच्‍चों में एचआईवी के संक्रमण को रोकने के लिए 22,675 माताओं को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) की जरूरत पड़ी। भारत में एचआईवी महामारी के स्‍वरूप को लेकर एचआईवी आकलन रिपोर्ट 2017 पिछले संस्‍करण का समर्थन करता है, मतलब राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसकी गति कम रही, लेकिन देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्रों और कुछ खास समुदायों में यह महामारी बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों की तुलना में एचआईवी संक्रमण के नये मामलों की गति में कमी आई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1995 में एड्स महामारी की अधिकता की तुलना में कार्यक्रम के प्रभाव में इसके संक्रमण में 80 फीसदी से अधिक की कमी आई है। इसी तरह 2005 में एड्स से संबंधित मौत की अधिकता की तुलना में 71 फीसदी की कमी आई है। यूएन-एड्स 2018 की रिपोर्ट के अनुसार एड्स के नये संक्रमण और एड्स से संबंधित मौतों का वैश्विक औसत घटकर क्रमश: 47 फीसदी और 51 फीसदी तक आ गया है।

एचआईवी आकलन का उद्देश्‍य भारत में राष्‍ट्रीय और राज्‍य/केन्‍द्र शासित प्रदेश  स्‍तर पर एचआईवी महामारी की स्थिति पर अद्यतन सूचना उपलब्‍ध कराना है। वयस्‍क एचआईवी फैलाव, वार्षिक नये संक्रमण (एचआईवी), एड्स संबंधित मौत और मां से बच्‍चों में संक्रमण के बचाव (पीएमटीसीटी) के आकलन की जरूरतों को एचआईवी आकलन के नतीजे के रूप में प्रस्‍तुत किया गया है। ऐसे आकलन की जरूरत इसलिए पड़ती है, क्‍योंकि ऐसे महत्‍वपूर्ण संकेतकों को मापने का कोई भरोसेमंद उपाय नहीं है, जिनका इस्‍तेमाल दुनियाभर के देशों में महामारी की निगरानी करने और इस दिशा में उठाये जाने वाले कदमों के आकलन के लिए किया जाता है।

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