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पर्वतीय चकबंदी सलाहकार समिति द्वारा प्रस्तावित ‘उत्तराखण्ड पर्वतीय भूमि जोत सुधार एवं व्यवस्था विधेयक’ का प्रारूप सौंपाते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: मंगलवार को पर्वतीय चकबंदी सलाहकार समिति ने रणसिंघा व ढ़ोल दमाऊ वाद्य यंत्रों की ध्वनि के बीच मुख्यमंत्री हरीश रावत व कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत को ‘उत्तराखण्ड पर्वतीय भूमि जोत सुधार एवं व्यवस्था विधेयक’ का प्रस्तावित प्रारूप सौंपा। वीर शिरोमणि माधो सिंह भण्डारी किसान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री रावत ने जनसहभागिता पर बल देते हुए कहा कि चकबंदी पर जनजागरूकता व लोगों के सुझाव लेने के लिए तीन महीने का व्यापक अभियान चलाया जाए। तीन माह बाद विधानसभा में पारित होने पर जिस दिन यह विधेयक जनता को समर्पित हो जाएगा, कृषि दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम प्रदेश में कृषि की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए अनेक प्रयोग कर रहे हैं। ‘क्लस्टर एप्रोच’ को भी अपनाया जा रहा है। इसमें एक क्षेत्र में एक ही फसल बोने के लिए किसानों व काश्तकारों को प्रेरित किया जा रहा है। खेतों को एक ही स्थान पर इकट्ठा करने के लिए लोगों की सहमति के साथ कानून बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसमें सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी को भी नुकसान न हो। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं का बहुत योगदान है। इसलिए पर्वतीय भूमि जोत सुधार में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित करनी होगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश के अनेक स्थानो पर किसान खेती के लीडर बन कर उभरे हैं। हमें इसे संस्थागत रूप देना होगा। कृषि में उत्पादकता के लिए या तो आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देना होगा या संस्थागत सुधार करते हुए क्लस्टर एप्रोच या चकबंदी जैसे उपायों पर जाना होगा। चकबंदी पर जनजागरूकता व लोगों के सुझाव लेने के लिए तीन महीने का व्यापक अभियान चलाया जाए। इस दौरान इस पर जनबहस हो। जब तीन माह बाद ‘‘उत्तराखण्ड पर्वतीय भूमि जोत सुधार एवं व्यवस्था विधेयक’’ पारित कर जनता को समर्पित कर दिया जाएगा तो सभी जिलों में भी इसकी परिषदें स्थापित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे द्वारा पर्वतीय उत्पादों के संबंध में लिए गए निर्णयों के अच्छे परिणाम मिलने लग गए हैं। देहरादून व दिल्ली में सेब महोत्सव के आयोजन से लोगों की जानकारी में आया है कि उत्तराखण्ड में सेब का उत्पादन होता है। मंडुवा, झंगोरा, गहत आदि कृषि उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी हुई है। मुख्यमंत्री ने उद्यान विभाग के अधिकारियों को माल्टा व नींबू खरीदने की कार्ययोजना शीघ्र बनाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इनके क्रय मूल्य बाजार पर आधारित होने चाहिए। अगले वर्ष कद्दू, कुमेड़ा व भुजेला को खरीदने की योजना भी तैयार की जाए।
कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री रावत के मार्गनिर्देशन में पर्वतीय चकबंदी सलाहकार समिति बनाई गई थी। इसमें विषय विशेषज्ञों की सेवाएं ली गईं। प्रस्तावित उत्तराखण्ड पर्वतीय भूमि जोत सुधार(चकबंदी) का प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादकता मे सुधार व युवाओं को कृषि के माध्यम से रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की आय व रोजगार के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन ही एकमात्र विकल्प हैं। हमें अपने बंजर खेतों को आबाद करना है तो चकबंदी जरूरी है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए हमने प्रारम्भिक तौर पर 200 गांव लिए हैं। हर ब्लाॅक में कम से कम 1 गांव को लिया गया है। हमारी प्राथमिकता स्वैच्छिक चकबंदी की है। मुख्यमंत्रीजी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि जो गांव चकबंदी को अपनाऐंगे, उनके विकास के लिए 1 करोड़ रूपए की राशि दी जाएगी। इसके लिए बजट में 5 करोड़ रूपए की टोकन मनी रखी गई है। चकबंदी अपनाने वाले गांवों को आदर्श गांव के तौर पर विकसित किया जाएगा।

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