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मोदी ने माओवादियों को मानवता का पाठ पढ़ाया और कहा कि कभी कंधे से बंदूक उतार कर भी देखो

देश-विदेश

जगदलपुर / दंतेवाड़ा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माओवादियों को मानवता का पाठ पढ़ाते हुए उनसे दो-चार दिनों के लिए बंदूकों को कंधे से नीचे उतारने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदूकें नीचे रखकर वे एक सामान्य व्यक्ति की तरह हिंसा पीडि़त बच्चों के साथ उनके घर में पांच दिन गुजारें और उनसे बातें करें।

मोदी ने कहा कि वे पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि इसके बाद उनका ह्रदय परिवर्तन होगा और उन्हें इस बात का अफसोस होगा कि हिंसा के कारण उनसे कितना बड़ा पाप हो गया है। मोदी ने कहा कि यह तय है कि माओवादियों की गोली से पीड़ा पाने वाला बालक उनको बदल देगा। इसके बाद उन्हें हिंसा के रास्ते में लौटने की नौबत नहीं आएगी।

दंतेवाड़ा के हाईस्कूल मैदान परिसर में शनिवार को आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का एक बड़ा हिस्सा बस्तर की माओ समस्या पर केंद्रित रखा। उन्होंने कहा कि हिंसा क कोई भविष्य नहीं है। भटके हुए नौजवानों से वे कहना चाहते हैं कि सिर्फ एक बार एक प्रयोग करें। दो-चार दिनों के लिए अपने कंधे से बंदूकें उतारकर नीचे रख दें। इसके बाद सामान्य कपड़े पहनकर, अपनी पहचान छिपाकर आदिवासी के रूप में उन बच्चों के घरों में जाएं, जो यह पीड़ा झेल रहे हैं। उनके घर में पांच दिन रहें और उनसे खूब बातें करें। मोदी ने कहा, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इसके बाद आपको अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ जाएगा। वह बालक आपका ह्रदय परिवर्तित कर देगा। तब आपको लगेगा कि आपसे कितना बड़ा पाप हो गया है।

मोदी ने कहा कि जिस नक्सलबाड़ी से इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, वहां के लोगों ने भी अब बंदूकों का साथ छोड़ दिया है। जिस समय पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि वहां शांति कायम होगी। इसी तरह यहां भी खूनी खेल बंद होगा। एक दिन जरूर आएगा, जब माओवादियों में भी मानवता जागेगी। मोदी ने कहा, मुझ पर भरोसा रखिए, निराश होने की जरूरत नहीं है, यहां भी यह खूनी खेल जल्द बंद हो जाएगा।

उन्होंने माओवादियों से कहा कि हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। अगर कोई समस्या है, तो मिल-बैठकर इसका हल निकाला जा सकता है। वैसे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ऐसे बच्चों के हाथों में कलम और कम्प्यूटर थमा दिया है, जिन्हें बंदूकें पकड़ाने की कोशिशें की जा रही थीं। इन बच्चों में गजब का आत्म विश्वास है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से बात करने से पहले बड़े-बड़े अफसरों को सेट होने में कुछ समय लगता है, पर आज बच्चों ने जिस आत्म विश्वास के साथ उनसे सवाल पूछे, उससे तय हो गया कि उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार विकास के रास्ते पर चलकर इस समस्या का जल्द समाधान करेगी।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में भारत का लोहा माना जाने लगा है। पहले तो दुनिया के देश भारत की तरफ देखते भी नहीं थे और जो देखते थे, वे हंसी-मजाक के रूप में भारत को लेते थे, पर अब पूरी दुनिया भारत को देख रही है। भारत के सवा सौ करोड़ देशवासी सीना तानकर जीने के लिए पैदा हुए हैं न कि सिर झुकाने के लिए। भारत को लेकर दुनिया भर में तेजी से परिवर्तन आ रहा है पर कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है क्योंकि ये वे लोग हैं, जिन्हें लोगों को गरीब और दुखी रखने में आनंद आता था।

यह परिवर्तन देखकर अब वे दुखी हो रहे हैं। देश की जनता ने तो उन्हें नकार दिया है, इसलिए अब वे झूठ बोलने, भ्रम फैलाने और गुमराह करने में लगे हैं। मोदी ने कहा कि उन वीरों को याद कीजिए, जो बात-बात पर भ्रष्टाचार की बातें करते थे, पर इस एक साल में साबित हो गया है कि देश को ईमानदारी से भी चलाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब एक जिले में 24 हजार करोड़ रुपए के निवेश का अनुबंध हुआ है। इससे साफ लगता है कि आने वाले दिनों में बस्तरवासियों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि कोयला पहले भी था, आयरन ओर भी पहले था, सरकारें भी थीं और बेरोजगारी भी थी, लेकिन इस समस्या का समाधान इतनी धीमी गति से होता था कि लोगों में निराशा हो जाती थी।

उन्होंने कहा कि आयरन ओर यहां से विदेश भेजा जाता है और वहां से स्टील मंगाई जाती है। अब ऐसा नहीं होगा। आयरन ओर से बस्तर के नौजवानों के पसीने को जोड़ा जाएगा। यहीं स्टील बनाई जाएगी और यहीं से उसे विदेश भेजा जाएगा। उन्हें पूरा यकीन है कि यह स्टील बस्तर के नौजवानों का भाग्य बदल देगी।

अगर मैं राजनीति में नहीं होता तो भगवान से यहीं मांगता कि वे मुझे जिंदगी भर बालक बनाकर रखें। माओ हिंसा से पीडि़त बच्चों के कुछ इसी तरह के दिलचस्प सवालों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जवाब दिए। इन बच्चों के साथ मोदी ने करीब आधा घंटा बिताया और उनसे खूब बातें कीं। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह थे। दंतेवाड़ा के जावंगा एजुकेशन सिटी के ऑडिटोरियम में माओवाद से प्रभावित बच्चों से मिलने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी से आस्था विद्या मंदिर की आठवीं कक्षा की छात्रा नीलेश्वरी नाग ने पूछा था कि यदि आप राजनीति में नहीं होते तो क्या होते, जिसका जवाब प्रधानमंत्री ने एक लाइन में देना पसंद किया।

यहां प्रधानमंत्री ने बच्चों के बीच अपने जीवन के अनुभव बांटे और बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलने व किताबें पढऩे की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य जरूरी है और इसे पाने हरसंभव प्रयास करना चाहिए तभी जिंदगी में कुछ बन सकेंगे। इस दौरान वे मंच से उठकर बच्चों के बीच पहुंचे और उनसे सीधी बात भी की। प्रधानमंत्री को करीब से जानना बच्चों के लिए भी रोमांचक अनुभव रहा। माओ प्रभावित ग्रामीणों से पहुंचे बच्चों ने बड़ी निडरता से उनसे सवाल किए और वे बच्चों की बोली में ही उनके सवालों काजवाब देते रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री को एजुकेशन सिटी पांच मिनट की शार्ट फिल्म भी दिखाई गई। प्रधानमंत्री को छू लो आसमान संस्था की ओर से कमला तुरेम ने स्मृति चिह्न भेंट किया।

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