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मोदी सरकार अनुच्छेद 371 का पूरी तरह सम्मान करती है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा: गृह मंत्री

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह ने गुवाहाटी में आज पूर्वोत्तर परिषद के 68वें पूर्ण सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। श्री शाह ने भारत रत्न स्वर्गीय भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि देकर अपने उद्बोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आज के दिन की महत्ता यह है कि आज स्वर्गीय भूपेन हजारिका का जन्मदिवस है जिन्होंने अपनी कला एवं संगीत के माध्यम से समूचे पूर्वोत्तर को शेष दुनिया से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि भूपेन हजारिका को देश के अन्य भागों एवं यहां तक कि विदेशों तक में बसने के पर्याप्त अवसर मिले, क्योंकि वे महान थे जिन्होंने स्वयं को संगीत एवं गानों के रूप में विभिन्न भाषाओं में प्रकट किया।

श्री शाह ने आगे कहा कि उन्होंने कभी भी पूर्वोत्तर को नहीं छोड़ा क्योंकि उनका विचार था कि यदि उन्होंने अपने पैतृक स्थान को छोड़ा, तो पूर्वोत्तर की सम्पन्न विरासत, संस्कृति एवं विशिष्ट परंपराएं सम्पूर्ण विश्व के समक्ष मंच पाने से रह जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि भूपेन हजारिका अपने पूरे जीवन में पूर्वोत्तर की संस्कृति के संवाहक रहे एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने क्षेत्र की भरी पूरी संस्कृति को संपन्न बनाने में उनके योगदान के सम्मान में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

श्री शाह ने प्रधानमंत्री के उस बयान का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर पूर्व भारत की विकास यात्रा का संवाहक हो सकता है एवं देश के विकास एवं प्रगति में इस क्षेत्र का योगदान अन्य सभी प्रदेशों की तुलना में उच्चतम होना चाहिए। पूर्वोत्तर अपने आप में एक मिनी इंडिया है जिसके एक तरफ शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला है और दूसरी ओर विश्व की सुंदरतम भूमि के खंड- बराक, ब्रह्मपुत्र एवं इम्फाल घाटी हैं। क्षेत्र में निहित अत्यधिक क्षमताओं की ओर संकेत करते हुए श्री शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर लगभग 5 करोड़ जनसंख्या, जो कुल जनसंख्या का 3.78 प्रतिशत है, के साथ देश के कुल भूभाग का 9 प्रतिशत हिस्सा है।

लगभग 5300 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने के कारण क्षेत्र की रणनीतिक महत्ता भी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र की विविधतापूर्ण संस्कृति का ज़िक्र करते हुए श्री शाह ने कहा कि क्षेत्र में लगभग 270 संजातीय समूह व 150 बोलियां हैं और सभी विकासात्मक गतिविधियां एवं पहल क्षेत्र की सम्पन्न विरासत की रक्षार्थ तथा उसको और उन्नत बनाने की दिशा में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान कभी भू-राजनीतिक नहीं थी बल्कि भू सांस्कृतिक थी और यदि यह सिद्धांत समूचे भारत द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो पूर्वोत्तर के साथ कभी पृथकता से व्यहवार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तेज़ी से होने वाले विकास के बीच पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं भाषाई पहचान की रक्षा की जानी चाहिए।

महाभारत से उद्धरण देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर एवं भारत का शेष भाग पौराणिक समय से ही संबंधित हैं एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के योग्य नेतृत्व में यह कभी अलग नहीं किया जा सकेगा। श्री शाह ने जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र समृद्ध व विकसित होकर भारत का गर्व बनेगा। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में पूर्वोत्तर का विकास आज़ादी के 70 साल में हुए विकास की तुलना में अधिक है। 2014 में शुरू की गई विकास की प्रक्रिया के 2022 में पूरा होने की आशा है। श्री शाह ने कहा कि आठ पूर्वोत्तर राज्य अष्टलक्ष्मी की तरह हैं एवं वह देश के विकास में महती भूमिका अदा करेंगे ।

श्री शाह ने घोषणा की कि पूर्वोत्तर परिषद उत्तर पूर्वी समाज के अभावग्रस्त वर्गों एवं प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में केंद्रित फंडिंग के लिये अपनी धनराशि का 30 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित रखेगी। श्री शाह ने कहा कि हर प्रदेश ऐसे गांवों और इलाकों की पहचान करेगा जो कि विकास के विभिन्न मापकों में पिछड़े हैं और उन क्षेत्रों को देश के अन्य हिस्सों के बराबर लायेगा। उन्होंने आगे कहा कि जब तक पूरा प्रदेश देश के अन्य हिस्सों के बराबर प्रगति नहीं करता विकास का सफ़र पूरा नहीं होगा ।

मंत्री महोदय ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की योजना बनाने एवं क्रियान्वयन करने के लिए पूर्वोत्तर परिषद 1971 से नोडल एजेंसी है और 2022 में एनईसी 50 वर्ष पूरे कर लेगी, जबकि भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा। उन्होंने कहा कि यही वक़्त है जब पूर्वोत्तर परिषद को 2022 तक पूर्वोत्तर द्वारा हासिल की जाने वाली प्रगति का एवं उत्तर पूर्व की संस्कृति, परंपरा एवं भाषा को सम्पन्न बनाने के लक्ष्यों का ख़ाका तैयार करने पर काम शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज़ादी से पहले एक क्षेत्र के रूप में पूर्वोत्तर देश की जीडीपी का सबसे बड़ा योगदानकर्ता था और आज हमें लक्ष्य तय करने चाहिए और उन्हीं दिनों की प्राप्ति के लिये प्रयास तेज कर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि एनईसी को वनीकरण, जैविक खेती के विकास, लुप्त हो चुकी भाषाओं के पुनर्जीवन तथा पूर्वोत्तर राज्यों के बीच आपसी विवादों के निपटारे के कदम उठाने पर ध्यान देना चाहिए ।

बांग्लादेश लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर बोलते हुए श्री शाह ने कहा कि यह महत्वपूर्ण निर्णय कोलकाता और ढाका बंदरगाहों के बीच संपर्क को पुनर्स्थापित करेगा। आज़ादी से पहले इन बंदरगाहों ने उत्तर पूर्वी राज्यों में व्यापार एवं वाणिज्य गेटवे के रूप में अपनी भूमिका निभाई है। पूर्वोत्तर के विशाल प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए इस मार्ग से व्यापार खुलने से यह क्षेत्र दोबारा देश के लिए जीडीपी में योगदान देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सभी आठ राज्यों को देश के रेल तथा हवाई मानचित्र पर साथ लाने के लक्ष्य तय किए हैं।

श्री शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद अनुच्छेद 371 में भी परिवर्तन किये जाने की ग़लत सूचना थी। हालांकि उन्होंने जोर दिया कि केंद्र पूर्वोत्तर को विशेष दर्जा देने वाले इस अनुच्छेद 371 का सम्मान करता है और इसको नहीं छुएगा।

उन्होंने विस्तार से अस्थायी स्वभाव वाले अनुच्छेद 370 एवं पूर्वोत्तर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 का अंतर बताया। श्री शाह ने आगे जोड़ा कि, “मैंने संसद में स्पष्ट किया है कि यह नहीं होने जा रहा है और आज असम में भी आठ मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में मैं यह दोबारा कह रहा हूं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर टिप्पणी करते हुए श्री शाह ने कहा कि 13वें वित्त आयोग से 14वें वित्त आयोग तक एनइसी के बजट में 3376 करोड़ से 5053 करोड़ तक डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है।

क्षेत्र के विकास के लिये विभिन्न विकास योजनाओं की गणना करते हुए श्री शाह ने कुछ योजनाओं का उदाहरण दिया और कहा कि प्रलंबित 558 परियोजनाओं में से 352 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, 997 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो चुका है, 2480 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें पूरी की जा चुकी हैं, एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर फ़ॉर पॉलिसी एंड रिसर्च की स्थापना हो चुकी है, बोगिबील ब्रिज का कार्य पूरा हो चुका है तथा 1400 करोड़ रुपये में मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना की संस्तुति दी जा चुकी है।

हाल ही में एनआरसी के हालिया प्रकाशन पर श्री शाह ने इस प्रक्रिया के समयबद्ध समापन पर संतोष व्यक्त किया एवं साथ में यह भी कहा कि सरकार देश में एक भी ग़ैरकानूनी अप्रवासी को रुकने की अनुमति नहीं देगी।

श्री शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास के मार्ग पर लगातार प्रगति कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र जो नकारात्मक बातें जैसे बंद, नाकाबंदी, अतिवाद, हथियारों की तस्करी एवं भ्रष्टाचार से पहचाना जाता था, अब ढांचागत व्यवस्था के विकास, जैविक खेती, खेलकूद, कनेक्टिविटी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए जाना जाता है।

श्री शाह ने सभी राज्यों को इस अनुरोध के साथ अपने संबोधन की समाप्ति की कि वे बांस मिशन के लिये अधिक निवेश करें और साथ में जोड़ा कि यदि इसमें निहित पूर्ण क्षमता से इसका विकास किया जाए, तो यह 1 लाख करोड़ रुपये के आयात को रोक सकता है ।

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की विशेषता स्वीकार करते हुए कहा कि जहां तक पूर्वोत्तर का प्रश्न है पूर्वोत्तर के लिए शेष भारत से सीखने की बजाय शेष भारत के लिये यहां से सीखने को बहुत कुछ है। पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर अधिक फोकस में आया है और यह इसलिए संभव हो पाया है कि सरकार वास्तव में उस दिशा में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर हर पखवाड़े एक मंत्री, लोगों की बात सुनने और यह सुनिश्चित करने कि क्षेत्र का हर मामले में विकास हो रहा है, पूर्वोत्तर में किसी न किसी राज्य के दौरे पर जाएगा। उत्तर पूर्व के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए डॉक्टर सिंह ने कहा कि उत्तर पूर्व परिषद को वर्ष 2019-20 के लिये अब तक सबसे बड़ा बजटीय आवंटन 1476 करोड़ रुपये दिया गया है।

डॉक्टर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पिछले पांच सालों के दौरान सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक यह रही है कि पूर्वोत्तर के छात्रों को देश के अलग-अलग हिस्सों में छात्रावासों एवं अन्य माध्यमों द्वारा सस्ती दरों पर रहने की सुविधा मुहैया कराई गई है। उन्होंने जानकारी दी कि बंगलुरू विश्वविद्यालय परिसर के भीतर पूर्वोत्तर से पढ़ने वाली लड़कियों के लिए छात्रावास का कामकाज पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में केवल पूर्वोत्तर के छात्रों के लिये होस्टल निर्माणाधीन है जहां बड़ी संख्या में युवा उच्च अध्ययन प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए इसी प्रकार का छात्रावास रोहिणी में बनाया जाएगा ।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के युवाओं को उनके परिश्रम एवं आकांक्षापूर्ण ध्येय के लिये बधाई देते हुए डॉक्टर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारम्भ “स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया” कार्यक्रम पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा “उद्यम हेतु पूंजी” के रूप में अतिरिक्त प्रोत्साहन के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्यान्वित किया गया है, “उद्यम हेतु पूंजी” किसी भी स्टार्ट-अप या युवा उद्यमी द्वारा मुहैया कराई जाती है जो क्षेत्र में इसको जारी रखना चाहता हो। उन्होंने कहा कि इसका जवाब बहुत प्रोत्साहित करने वाला है एवं आने वाले सालों में पूर्वोत्तर पूरे देश से युवा स्टार्ट-अप उद्यमियों के लिये पसंदीदा स्थान बन सकता है।

पूर्वोत्तर के युवाओं के लिये मंत्री महोदय ने कहा कि वह भारत के सफ़र के सर्वश्रेष्ठ समय में हैं। भारत भर से प्रत्येक युवा अपने गंतव्य के लिये उत्तर पूर्व की ओर आएगा और यह पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों पर है कि वह इस अवसर का फायदा उठाएं एवं तीव्र गति से खुल रहे विकास के इन अवसरों का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने की क्षमता का निर्माण करें ।

एनईसी के पूर्ण सत्र में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्वोत्तर के सांसद एवं आठ पूर्वोत्तर राज्य एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।

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