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माडल पुलिस अधिनियम

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नई दिल्ली: गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने 30 अक्टूबर, 2006 को माडल पुलिस अधिनियम का प्रारूप पेश किया । दिनांक 31 अक्टूबर, 2006 के गृह सचिव के अर्ध शासकीय पत्र के माध्यम से प्रारूप को विचार और उचित कार्रवाई के लिए राज्यों को भेजा गया । उपलब्ध सूचना के अनुसार 15 राज्यों – असम, बिहार , छत्तीसगढ़ , हरियाणा , हिमाचल प्रदेश , केरल , महाराष्ट्र , मेघालय , मिजोरम , पंजाब राजस्थान , सिक्किम , तमिलनाडु , त्रिपुरा तथा उत्तराखंड – ने अपना राज्य पुलिस अधिनियम तैयार का है और दो राज्यों – गुजरात तथा कर्नाटक- ने वर्तमान पुलिस अधिनियम में संशोधन किया है। इस तरह कुल 17 राज्यों ने या तो अपना पुलिस अधिनियम तैयार कर लिया है या वर्तमान अधिनियम में संशोधन किया है। माडल पुलिस अधिनियम की विशेषताएं इस प्रकार हैं-

माडल अधिनियम ने लोकतांत्रिक समाज में एक पेशेवर पुलिस सेवा की आवश्यकता पर बल दिया है जो सक्षम, कारगर तथा लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप जवाबदेह हो और कानून के शासन के प्रति उत्तरदायी हो। अधिनियम में पुलिस की समाजिक जिम्मेदारी का प्रावधान है और इस बात पर बल दिया गया है कि पुलिस निष्पक्षता और मानवाधिकार के तौर-तरीकों के अनुसार काम करेगी और अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गों की रक्षा पर विशेष ध्यान देगी(अधिनियम की प्रस्तावना)। माडल पुलिस अधिनियम की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

कामकाजी स्वायत्ताः यह मानते हुए कि पुलिस राज्य की एजेंसी है और इसलिए वह निर्वाचित के प्रति उत्तरदायी है समिति ने विशेष तौर पर राज्य सरकार द्वारा पुलिस अधीक्षण की भूमिका रेखांकित किया है।(धारा 39) माडल पुलिस अधिनियम ने प्रतिक्रियाशील और उत्तरदायी पुलिस व्यवस्था के संबंध में व्यापक नीति बनाने के लिए राज्य पुलिस बोर्ड(धारा 42-50) के गठन का सुझाव दिया है। मेधा आधारित चयन तथा पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति एवं कार्यकाल की सुरक्षा(धारा-6), अधिकारियों द्वारा गैर-कानूनी आदेशों की शिकायतों की जांच के लिए प्रतिष्ठापना समितियां बनाने(धारा 53) , महानिदेशक को छोड़ कर सहायक / उप अधीक्षक तथा उससे ऊपर के अधिकारियों की पदस्थापना के लिए राज्य सरकार को उचित अधिकारियों के नाम की सिफारिश करना है।

पेशेवर प्रोत्साहनः प्रतिक्रियाशील और पेशेवर पुलिस सेवा के लिए माडल अधिनियम में अपराध जांच के लिए समर्पित कैडर , नागरिक पुलिस तथा सशस्त्र पुलिस के लिए अलग कैडर का प्रावधान है।(अध्याय III और IV)

उत्तरदायी मानकः अधिनियम पुलिस के उत्तरदायित्व पर बल देता है , पुलिस के कार्य-प्रदर्शन और आचरण दोनों के प्रति उत्तरदायित्व पर बल। (अध्याय XII)

बेहतर सेवा शर्तेः अधिनियम का उद्देश्य पुलिस कर्मियों के लिए बेहतर सेवा शर्तें उपलब्ध कराना है। इनमें पुलिस कर्मियों के कार्य घंटे को तर्कसंगत बनाना , प्रत्येक सप्ताह में एक दिन का अवकाश देना या इसके बदले में पूरक अवकाश देना । अधिनियम में पुलिस कल्याण ब्यूरो बनाने का प्रावधान है ताकि पुलिस कर्मियों का स्वास्थ्य देखभाल ,आवास तथा कानूनी सहायता और सेवा काल में मृत्यु की स्थिति में परजनों को वित्तीय सहायता दी जा सके। अधिनियम में राज्य सरकारों द्वारा सभी अधिकारियों को बीमा कवच प्रदान करना और विशेष इकाइयों में तैनात अधिकारियों को काम के जोखिम के अनुरूप विशेष भत्ता प्रदान करने का प्रावधान है।

पुलिस व्यवस्था और पुलिस दोनों राज्य के विषय हैं और यह भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II की प्रविष्टि 1 और 2 में है। राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश को विभन्न पुलिस सुधार उपायों को लागू करना है। केंद्र राज्यों को समय-समय पर लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप पुलिस प्रशासन में सुधार लाने के लिए प्रेरित करता है।

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