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मनुष्य की स्मृतियां क्रियाकलाप कार्यशैली सिद्धांत व्यवहार हमेशा जिंदा रहते हैं और उन्हीं से उसे याद किया जाता: सुरेश कुमार खन्ना

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक एवं वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना आज यहां विधान भवन स्थित समिति कक्ष में राज्य विधानमंडल पेंशनर्स संस्थान द्वारा आयोजित राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयंती समारोह में सम्मिलित हुए। दोनों लोगों ने राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन को याद करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उप मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जब किसी राज ऋषि की जयंती पर हम इकट्ठा होते हैं तो उनके बताए हुए रास्ते एवं परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें याद करते हैं। उन्होंने कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जी हिंदी प्रेमी, कर्तव्यनिष्ठ एवं इमानदार व्यक्तित्व के धनी थे। वे मानव सेवा को सर्वोच्च सेवा मानते थे। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी व्यक्ति को निराश नहीं करना चाहिए मानव सेवा ही सबसे बड़ा मानव धर्म है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी के जीवन में बदलाव लाने एवं उसकी पीड़ा को दूर करने की जिस परंपरा को भारतीय राजनीति में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जी ने स्थापित किया है उसको और आगे ले जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजर्षि जी ने जिस परंपरा को कायम की है उसे यदि वही तक भी बनाए रखा जाए तो भारत बहुत आगे चला जाएगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी शक्ति और अपने पद को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने देना चाहिए तभी मनुष्य सफल माना जाएगा।
वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन एक योग्य समर्पित देशभक्त एवं जबरदस्त हिंदी प्रेमी थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जो परिपाटी डाली उसे आज जो भी विधानसभा अध्यक्ष पद की शपथ लेता है उन्हें जरूर याद करता है। राजर्षि जी ने कहा था कि यदि एक भी सदस्य उनके प्रति अविश्वास व्यक्त करेगा तो वे अपना पद छोड़ देंगे। उनकी निष्ठा और ईमानदारी का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके व्यक्तिगत पत्र की स्याही और सरकारी पत्र की स्याही अलग-अलग होती थी।
श्री टंडन जी हिंदी के बहुत बड़े प्रेमी थे वर्तमान हिंदी के स्वरूप को उच्च बिन्दु तक पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान है उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा हिंदी को बढ़ावा दिया प्रयागराज के एक टाउन एरिया से लेकर संसद तक जितनी भी राजनीति की यात्रा उन्होंने की हर स्तर पर उनका हिंदी प्रेम झलकता रहा। मनुष्य की स्मृतियां क्रियाकलाप कार्यशैली सिद्धांत व्यवहार हमेशा जिंदा रहते हैं और उन्हीं से उसे याद किया जाता है। इस दौरान प्रमुख सचिव श्री प्रदीप दूबे, संस्थान के पदाधिकारी एवं अन्य उपस्थित थे।

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