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ब्रिक्‍स देशों का जल और स्‍वच्‍छता प्रबंधन में ‘शून्‍य कचरा’ का आह्वान

देश-विदेश

नई दिल्ली: तेजी से शहरीकरण में जल और स्‍वच्‍छता प्रबन्‍धन को सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए ब्रिक्‍स देशों ने शून्‍य कचरा नीति अपनाने का आहवान किया है। आंध्रप्रदेश के विशाखापत्‍तनम में ब्रिक्‍स शहरीकरण मंच में जल और स्‍वच्‍छता प्रबन्‍धन पर संवाद में सदस्‍य देशों के नीति निर्माता और विशेषज्ञों ने कचरे में कमी और कचरे का फिर से इस्‍तेमाल करने पर बल दिया।

चीन ने शेनजेन शहर को दिखाया है जहां केवल छह प्रतिशत शहरी कचरा खुले में फैंका जाता है। चीन के निर्माण समूह के मुख्‍य अभियन्‍ता श्री जू हेयुन ने बताया कि प्रतिदिन 2,10,000 टन शहरी कचरे को रिसाइकिल करके 4,300 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होता है। उन्‍होंने कहा कि कचरे से ऊर्जा बनाने की कोशिश में 1988 से काफी वृद्धि हुई है। तब केवल 150 टन कचरे से बिजली बनाई जाती थी। उन्‍होंने बताया कि चीन के शहरों के 94 प्रतिशत कचरे को पुन: चक्रित किया जाता है।

विशेषज्ञों ने इस बात पर बल दिया कि शहरों के पास शून्‍य कचरा प्रयास को सुनिश्चित करने की क्षमता होनी चाहिए। तमिलनाडु के राजस्‍व सचिव डॉक्‍टर बी चन्‍द्रमोहन ने कहा कि चेन्‍नई लचीले जल प्रबन्‍धन का प्रमुख उदाहरण है। चेन्‍नई शहर में प्रतिदिन दो सौ मीलियन समुद्री जल के नमक को हटाकर उसका फिर से उपयोग करने की प्रणाली स्‍थापित की गई है। शहर के सभी भवनों में नागरिकों की जल आवश्‍यकता पूरी करने के लिए वर्षा जल संचयन सुनिश्चित किया गया है। तमिलनाडु सरकार 240 मीलियन लीटर शोधित पुन: उपयोगी जल औद्योगिक इकाईयों को सप्‍लाई करने का कदम उठा रही है। इस कदम से नियमित जल सप्‍लाई से अधिक आय होगी और राजस्‍व बढ़ेगा।

ब्राजील के रूथ जुरबर्ग ने कहा कि महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के अतिरिक्‍त कारगर जल एवं स्‍च्‍छता प्रबन्‍धन सुनिश्चित करने की तारीख तय करनी चाहिए।

दक्षिण अफ्रीका की सुश्री एन. ए. बुथेलेगी ने बताया कि मानवता को केवल एक प्रतिशत तैयार उपयोगी जल उपलब्‍ध है, जबकि 97 प्रतिशत जल समुद्र में है और दो प्रतिशत गहरी जलवाही स्‍तर पर है। उन्‍होंने लोगों की जल आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए उचित तथा त्‍वरित उपाय व्‍यवस्‍था अपनाने को कहा। उन्‍होंने जल प्रबन्‍धन के समग्र प्रबन्‍धन पर बल दिया। उन्‍होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका ने जल के उचित उपयोग के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए 15 हजार वाटर एम्‍बेस्‍डर सेवा में लगाए गए हैं।

फाउंडेशन फॉर फ्यूचरिस्टिक सिटीज की अध्‍यक्ष सुश्री करूणा गोपाल ने कहा कि भारत सरकार ने विभिन्‍न शहरी मिशनों के अन्‍तर्गत उचित जल सप्‍लाई तथा शहरी क्षेत्रों में प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं।

नए शहर तथा क्षेत्रीय नियोजन विषय पर चर्चा में विशेषज्ञों ने ठोस आर्थिक बुनियाद पर नए शहर बसाने का आह्वान किया ताकि नई जगहों के लोग गरीबी की चपेट में न आएं। उत्‍पादन के अन्‍य केन्‍द्रों के साथ आवश्‍यक सम्‍पर्कों के जरिये और सतत आधार पर रोजगार सृजन के जरिये यह जरूरत पूरी की जा सकती है। ब्राजील, चीन, भारत तथा दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों ने अनियोजित और अप्रत्‍याशित शहरी विस्‍तार पर चिंता प्रकट की।

दक्षिण अफ्रीका की आवास उपमंत्री सुश्री जोउ-कोटा फ्रेडेरिक्‍स ने शहरी क्षेत्रों में रहने योग्‍य और सतत बसावट सुविधा सुनिश्चित करने पर बल दिया।

      शहरी विकास मंत्रालय के शहरी मामलों के राष्‍ट्रीय संस्‍थान के निदेशक डॉक्‍टर जगन शाह ने बताया कि शहरी स्‍थानीय निकायों को सशक्‍त बनाकर, नागरिकों की भागीदारी से, हितधारकों के क्षमता सृजन से, कारगर शहरी नियोजन और शहरों के वित्‍तीय संसाधनों के मजबूत स्‍तम्‍भों पर भारत का शहरी पुनर्जारण खड़ा है।

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