लखनऊ: प्रदेश के महिला कल्याण विभाग द्वारा वाराणसी, सहारनपुर, रायबरेली एवं मेरठ में राजकीय पश्चातवर्ती देख-रेख संगठनों द्वारा संचालित आवासीय गृहों में निवासरत् संवासिनियों को विवाह के माध्यम से पुनर्वासित करने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया गया है। प्रमुख सचिव, महिला कल्याण, श्रीमती रेणुका कुमार द्वारा इस संबंध में जारी एक शासनादेश के अनुसार इस समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी या उनके प्रतिनिधि, जो अपर जिलाधिकारी स्तर का हो, होंगे जबकि जिला प्रोबेशन अधिकारी इसके सदस्य सचिव होंगे। इस समिति के सदस्यों में संस्था के चिकित्साधिकारी, संबंधित गृह की अधीक्षिका (राजकीय पाश्चातवर्ती देख-रेख संगठन) तथा अध्यक्ष/सदस्य, बाल कल्याण समिति रहेंगे।
शासनादेश में यह भी कहा गया है कि विवाह के माध्यम से पुनर्वासन के लिए राज्य सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान नगद अथवा वांछित सामग्री के रूप में दिये जाने का निर्णय समिति द्वारा लिया जायेगा। राजकीय गृह की अधीक्षिका 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाली विवाह की इच्छुक संवासिनियों की सूची तैयार कर समिति के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। तदोपरान्त समिति समाचार पत्रों के माध्यम से विवाह की इच्छुक संवासिनियों के उपलब्ध बायोडाटा को प्रकाशित करायेगी। यह समिति विवाह के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों की स्कूटनी कर जनपद के पुलिस अधीक्षक को भेजेगी। पुलिस अधीक्षक द्वारा अभ्यर्थियों के चरित्र आदि का सत्यापन किया जायेगा जिसकी रिपोर्ट अधीक्षिका समिति को भेजेगी। अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद अधीक्षिका संवासिनियों के विवाह का आयोजन करेगी। अधीक्षिका पांच वर्ष की अवधि तक संबंधित संवासिनियों के संतोषजनक पुनर्वासन की समीक्षा करेगी तथा अप्रिय स्थिति की सूचना संबंधित जिलाधिकारी को देगी।