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साहित्य समाज का दर्पण होने के साथ-साथ समाज के सृजन का आधार- मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होने के साथ-साथ समाज के सृजन का आधार भी होता है। कालजयी लेखनी को पुनर्जीवित किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि कालजयी लेखनी समाज को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। अयोध्या में टाइमलेस अयोध्याः लिटरेचर एण्ड आर्ट फेस्टिवल के रूप में साहित्य जगत का एक अभिनव उत्सव प्रारम्भ किया गया है। यह स्वयं में अदभुत प्रयास है। इस आयोजन को और अधिक अच्छे ढंग से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद अयोध्या में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अशोक के पौधे को जल अर्पित कर टाइमलेस अयोध्याः अयोध्या लिटरेचर एण्ड फेस्टिवल का शुभारम्भ करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अयोध्या भारत के सनातन धर्म की आधार भूमि है। यह आदिकाल से सनातन धर्म की प्रेरणा स्थली रही है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर मानव धर्म जैसी पौराणिक व्यवस्था का सूत्रपात इसी अयोध्या नगरी में हुआ था। यह सप्तपुरियों में प्रथम पुरी है। इसी अयोध्या में सूर्य वंश की परम्परा में श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में मानवीय मर्यादा और आदर्श के सर्वोत्तम स्वरूप प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिस लेखक ने भी भगवान श्रीराम के विषय में अपनी लेखनी चलाई, वह अवश्य महानता के शिखर पर पहुंचा है। जब महर्षि वाल्मीकि ने महर्षि नारद से पूछा कि वह अपने छंद किसको समर्पित करें तो नारद जी ने उनसे कहा कि इस धरती पर प्रभु श्रीराम ईश्वरीय सत्ता का संचालन कर रहे हैं। यदि आप अपने छंद उन्हें समर्पित करेंगे, तो आपकी लेखनी धन्य होकर महानता को प्राप्त करेगी। रामायण दुनिया में व्यावहारिक संस्कृत का पहला महाकाव्य है। यह महाकाव्य साहित्य जगत के लिए आधार भूमि का कार्य करता है। महर्षि वाल्मीकि से सीखा जा सकता है कि व्यावहारिक संस्कृत से अपनी लेखनी को कैसे धन्य किया जा सकता है। महर्षि वाल्मीकि ने प्रभु श्रीराम को आधार बनाकर महाकाव्य की रचना की। व्यावहारिक संस्कृत पुराणों में भी अपनाई गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई भाषा नहीं है, जिसको अनुवादित कर रामायण या रामचरितमानस किसी न किसी रूप में लोगों के हृदय को न छू रही हो। दीपोत्सव के अवसर पर दुनिया के अनेक देशों के रामलीला कलाकार यहां आते हैं। भले ही वह अपनी स्थानीय कला के अनुरूप रामलीला का मंचन करते हों, लेकिन सबके भाव सन्त तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस तथा महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित आदि काव्य रामायण पर आधारित होते हैं। संत तुलसीदास को भगवान शिव तथा हनुमान जी से श्री रामचरितमानस की रचना स्थानीय भाषा में करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। परिणामस्वरुप संत तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की। उत्तर भारत का ऐसा कौन सा परिवार है, जहां मांगलिक कार्यक्रमों के अवसर पर सुन्दरकाण्ड व अखण्ड रामायण का पाठ न होता हो।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विरासत और विकास को एक साथ जोड़ते हुए भारत की परम्परा को गौरव के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। यह कार्य वर्तमान में लेखनी का आधार बनना चाहिए। यह लेखनी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत व धरोहर का कार्य करेगी। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के रूप में परिवर्तित हुआ है। प्रत्येक भारतवासी अब भारतीय होने पर गर्व की अनुभूति करता है। प्रत्येक उत्तर प्रदेश वासी अब गर्व से कहता है कि वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। पूरी दुनिया में भारत के प्रति सम्मान का भाव है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में अयोध्या में दीपोत्सव के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया। उस समय हम सभी के मन में एक ही बात थी कि किसी भी स्थिति में अयोध्या को उसकी पहचान की पुनर्प्राप्ति होनी चाहिए। अयोध्या को वह सम्मान प्राप्त होना चाहिए, जिसका वह हकदार है। दीपोत्सव अब अयोध्या का एक पर्व बन चुका है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु  अयोध्या आते हैं। वर्ष 2016-17 में 02 लाख 34 हजार श्रद्धालु अयोध्या आए थे। अयोध्या धाम में गत वर्ष 16 करोड़ श्रद्धालु आए थे। आज भी लाखों श्रद्धालु यहां प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए आए हैं।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री राकेश सचान, टाइमलेस अयोध्या फेस्टिवल के संयोजक श्री यतींद्र मिश्र, मुख्यमंत्री जी के सलाहकार श्री अवनीश कुमार अवस्थी, आचार्य श्री मिथलेश नन्दनी शरण, अयोध्या के महापौर श्री गिरीश पति त्रिपाठी, लोक गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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