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कोटियाडा, कोटियाडा, घनसाली आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करते हुएः मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

टिहरी: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जनपद टिहरी के आपदा से सर्वाधिक प्रभावित गांव कोटियाडा, घनसाली पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्षेत्र के प्रभावित गांवों को हर सम्भव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि किसी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। मुख्यमंत्री प्रातः घनसाली पहुंचे और कोटियाडा सहित केमरा, सिल्यारा, सेन्दुल, बहेड़ी, गनगर गांव का भ्रमण कर भारी बर्षा और बादल फटने की घटना से हुये नुकसान का जायजा लिया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यो को गति प्रदान किये जाने के लिये 1 करोड़ रू0 की धनराशि राज्य सरकार की ओर से दिये जाने की घोषणा की। उन्होंने जिलाधिकारी इन्दुधर बौडाई को निर्देश दिये कि क्षेत्र के 150 से अधिक प्रभावित परिवारों को अहेतुक धनराशि का प्राथमिकता के आधार पर वितरण सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने आपदा के दौरान क्षेत्र की जिन दो बच्चों की मृत्यु हुई है, उनके परिजनों को 4-4 लाख रूपये के चैक राहत के रूप में प्रदान किये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने पूर्व विधायक बलबीर सिंह नेगी को आपदा से हुए नुकसान के सर्वे हेतु सर्वे समिति का अध्यक्ष तीन माह के लिए नामित किया हैं। जिनकी देखरेख में समिति क्षेत्र में कृषि, भवनो, विद्युत, पेयजल, पशुओं की हुई क्षति का मूल्यांकन करेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रभावित परिवारों के लिये स्थायी व्यवस्था होने तक टीन शेड बनाने अथवा रहने हेतु 20-20 हजार रू0 की धनराशि तात्कालिक सहायता के रूप में प्रदान किये जाने की घोषणा की। उन्हांने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि प्रभावित परिवारो के लिये सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण शीघ्र किया जाए ताकि जनता को असुविधा न हो।
भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री श्री रावत ने सिल्यारा नाले की सफाई करवाने हेतु जिलाधिकारी को निर्देश दिये, ताकि मानसून में होने वाली बरसात के खतरे से गांव को बचाया जा सके। उन्होंने क्षेत्र में खेतों के समतलीकरण का कार्य मनरेगा के माध्यम से करवाने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान राहत बचाव कार्य में लगे एस.डी.आर.एफ. के जवानों द्वारा किये गये कार्यो की सराहना की। प्रभावित गांवों के क्षतिग्रस्त स्कूल भवनों, गौशालाओं, पेयजल हेतु हैडपम्प स्थापित करने की दिशा में तत्काल कार्यवाही के भी निर्देश दिये हैं, साथ ही जिन मकानों में भूस्खलन व आपदा की जद में आने से खतरो हो सकता है। उन परिवारो के विस्थापन की कार्यवाही के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए।
इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक भीम लाल आर्य ने प्रभावितां की विभिन्न समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। भ्रमण के दौरान विधायक प्रतापनगर विक्रम सिहं नेगी, कॉग्रेस के जिलाध्यक्ष शान्ति भटट सहित क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि व विभिन्न विभागों के अधिकारी आदि मौजूद थे।
ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री रावत ने मंगलवार देर रात सचिवालय में वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से हाल ही में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बादल फटने, भूस्खलन से हुए नुकसान की समीक्षा की थी।
आपदा बचाव व राहत कार्यों में मानव संसाधन की कमी को देखते हुए जो तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो रिटायर हो रहें है या पिछले छः माह में रिटायर हुए हैं, उन्हें प्रदेश भर में 1 वर्ष का सेवा विस्तार कांट्रेक्ट के रूप में दिया जाएगा। आपदा राहत कोष में प्रत्येक जिले को 1-1 करोड़ रूपए दिए गए हैं। जिलाधिकारी आपदा से हुए नुकसान के सर्वे व प्रभावितों को राहत पहुंचाने में लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार देर रात तक सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हाल ही में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बादल फटने, भूस्खलन से हुए नुकसान की समीक्षा करते हुए उक्त निर्देश दिए। आपदा प्रबन्धन विभाग, प्रत्येक गांव में कुछ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देकर स्वंय सेवी के रूप में तैयार करें। दैवीय आपदा से प्रभावित इलाको में बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई, खाद्यान्न सहित सभी अवस्थापना सुविधाओं को प्राथमिकता के तौर पर मुहैया कराए जाएं। चकराता क्षेत्र में समय से आपदा राहत न मिलने की शिकायत पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने डीएम देहरादून को जांच के निर्देश दिए। चारधाम यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि बद्रीनाथ जाने वाले यात्रियों को रात्रि 8 बजे बाद जोशीमठ से आगे ना जाने दिया जाए।
आपदा प्रभावितों को राहत न पहुंचाए जाने की शिकायतों पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने में किसी स्तर पर कोई लापरवाही क्षम्य नही होगी। सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का भलीभांति सर्वे कर लिया गया हो और आपदा प्रभावितों को मानकों के अनुरूप राहत प्रदान कर ली गई हो। कोई भी प्रभावित परिवार सहायता से वंचित न रह पाये। प्रभावित क्षेत्रों में ब्लाक प्रमुख, एसडीएम एवं अन्य संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम बनाकर निरीक्षण किया जाय। विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ.अनुसूया प्रसाद मैखुरी द्वारा यह बताए जाने पर कि कर्णप्रयाग में कालेश्वर नदी में सिल्ट के कारण नदी का बहाव गांव की तरफ होने से खतरा बना हुआ है, मुख्यमंत्री श्री रावत ने सिल्ट को तत्काल हटाए जाने के निर्देश दिए। कर्णप्रयाग आईटीआई के रास्ते को भी तत्काल खोला जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिये कि थराली के प्रा0विद्यालय आगरा में रह रहे आपदा प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों में ठहारने की व्यवस्था कर उन्हें आवास बनाने के लिए एकमुश्त राशि हेतु प्रस्ताव तैयार किया जाए। उन्होने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा सम्भावित क्षेत्रों में आने वाले सभी नाले व गधेरों को चिन्हित कर वहां रहने वाले लोगों को सर्तक किया जाए। मुख्यमंत्री ने लोनिवि के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बन्द सड़क मार्ग को खोलने के लिए अधिशासी अभियन्ता को फिक्स टारगेट दे। इन सड़को की जानकारी रिजनल चीफ इंजीनियर के पास भी होनी चाहिए।
जनपद उत्तरकाशी में आपदा से क्षतिग्रस्त सिलक्यारा-कोटधार-जिब्या मोटर मार्ग बनाने हेतु प्रस्ताव भेजा जाए। कल्याणी-जुणगा मोटर मार्ग में भू-धसाव से डामडा गांव को उत्पन्न हो रहे खतरे को दूर करने के लिए जिलाधिकारी उत्तरकाशी डीडीएमए के तहत आवश्यक कार्यवाही करें।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि बीएसएनएल व अन्य प्राईवेट कम्पनियों के साथ बैठक कर संचार नेटवर्क को दुरूस्त कराएं। जिलाधिकारी पौड़ी देवलगांव, चरागांव, परसुन्डाखा, रवास्यूं, अगरोड़ा आदि गावों में निरीक्षण कराना सुनिश्चित करें। दैवीय आपदा की स्थिति के बारे में गलत रिपोर्ट पाए जाने पर संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों को निलम्बित किया जाए। थराली, श्रीनगर पुल, बग्वान पुल, बौरागाड़, चोपडा, नारायणबगड, नंदप्रयाग आदि पुल जो मंजूर हुए है, वर्ल्ड बैंक से बैठक कर कार्यों में तेजी लाएं। मुख्यमंत्री ने इन कार्यों के अभी तक शुरू न होने पर नाराजगी भी व्यक्त की। त्यूनी एवं चकराता क्षेत्र में दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के लोगो को सहायता तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमेश्वर में दैवीय आपदा से जो मलबा आया है उसे तत्काल हटाया जाए। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा अमित नेगी को निर्देश दिए कि वे आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी तैयारियां पूर्ण रखें और जिलों से नियमित रूप से फीडबैक भी प्राप्त करते रहें। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा प्रभावितों को सुविधाएं मुहैया कराएं।

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