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एकाकी महिलाओं से संबंधित संस्था स्वयंसिद्वा व राज्य महिला आयोग के द्वारा संयुक्त रूप से ‘‘एकांकी महिलाओं‘‘ की दशा पर लोक सुनवाई कार्यक्रम को संबोधित करते हुएः सीएम

उत्तराखंड

देहरादून: न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में एकाकी महिलाओं से संबंधित संस्था ‘स्वयंसिद्धा’ व राज्य महिला आयोग के द्वारा संयुक्त रूप से ‘‘एकाकी महिलाओं की दशा पर लोक सुनवाई’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसमें प्रतिभाग करते हुए कहा कि शासन सत्ता को आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर महिलाओ के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। केवल पेंशन देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगारी व स्वावलंबी बनाना होगा। भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा कि भविष्य में जब भी बीपीएल के लिए मानक संशोधित किए जाएं तो उसमें आर्थिक तौर पर कमजोर एकाकी महिलाओं को भी शामिल किया जाए। ओन वाले समय में राज्य सरकार के संसाधनों के अनुरूप सामाजिक सुरक्षा की पेंशनों की राशि को 3 हजार रूपए तक किया जाएगा। एकाकी महिलाओं को भी पेंशन के दायरे में लाने का प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन के साथ ही परित्यक्ता महिलाओं को भी पेंशन दे रहे हैं। इसके लिए उन्हें किसी से प्रमाणित करवाने की आवश्यकता नहीं है। वे स्वयं ही प्रमाणित कर पेंशन क्लेम कर सकती हैं। अब हम उन महिलाओं को पेंशन के दायरे में लाने पर विचार कर रहे हैं, जो कि किन्हीं कारणों से अविवाहित रहकर एकाकी जीवन व्यतीत कर रही हों और जिनका कोई सहारा नहीं हो।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमने सामाजिक पेंशनों की राशि को 200 रूपए से बढ़ाकर 1000 रूपए किया है। 65 वर्ष से अधिक आयु के लिए इसे 1500 रूपए किया गया है। पेंशन लाभार्थियों की संख्या 1 लाख 74 हजार से बढ़कर 7 लाख 25 हजार हो चुकी है। हमारी मंशा सामाजिक सुरक्षा की पेंशनों की राशि को राज्य सरकार के संसाधनों के अनुरूप 3 हजार रूपए तक ले जाने की है। मुख्मयंत्री ने कहा कि पेंशन को कहीं भी पूर्ण नहीं माना जा सकता है। हम यद्यपि दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक पेंशन दे रहे हैं, परंतु हमारा मानना है कि ये राशि काफी नहीं है। कमजोरों को सहारा देना राज्य सरकार का दायित्व होता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य महिला आयोग एकल महिलाओं की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने के लिए एकल महिला प्रकोष्ठ स्थापित करे। सामाजिक सुरक्षा की पेंशनों के लिए भी एक नियामक निकाय बनाया जा सकता है। जिला स्तर पर भी फोरम स्थापित किया जा सकता है। यहां लोग पेंशन न मिलने या समय पर न मिलने की अपनी शिकायतें कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केवल पेंशन देना पर्याप्त नहीं है बल्कि महिलाओं को स्वरोजगारी व स्वावलंबी बनाना होगा। हमने इस दिशा में पहल की है। महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए 5 हजार रूपए की वेकअप मनी व स्वयं का उद्यम शुरू करने पर 20 हजार रूपए की सहायता दे रहे हैं। यदि सामूहिक खेती के लिए कोई महिला स्वयं सहायता समूह आगे आता है तो राज्य सरकार 1 लाख रूपए की सहायता दे रही है। हमने 4 महिला सराय स्थापित की हैं। यदि कोई व्यक्ति जिसकी भूमि मुख्य सड़क के किनारे पर है, तो सरकार उसके साथ साझेदारी में सराय स्थापित कर सकती है। मुख्यमंत्री ने आयोजक संस्था द्वारा एकाकी महिलाओं को स्वरोजगारी बनाने की योजना की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार इन चयनित महिलाओं को क्राफ्ट वूमेन के तौर पर नंदा देवी सेंटर आॅफ एक्सीलेंस से ट्रेनिंग कराने के लिए तत्पर है। ट्रेनिंग के बाद महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर काम शुरू करने पर इनके उत्पादों की विपणन की व्यवस्था भी राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई उŸाराखण्ड जनआवास योजना में एकाकी महिलाओं के लिए अपेक्षाकृत कम धनराशि में प्रोविजन करने पर विचार किया जाएगा।
इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष प्रभावती गौड़, सचिव समाज कल्याण डा. भूपिंदर कौर औलख, आयोजक संस्था के हर्षमणि व्यास, लोकेश नवानी, तन्मय ममगाईं सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे ।

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