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पुस्‍तकों के संयुक्‍त प्रकाशन के लिए प्रकाशन वि‍भाग और सस्‍ता साहित्‍य मंडल के बीच समझौता

Joint publication of books for the publishing agreement between the Department and the Board of cheap literature
देश-विदेश

नई दिल्‍ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग और सस्‍ता साहित्‍य मंडल ने आज यहां एक समझौता-दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर किये। समझौते के तहत दोनों संस्‍थान स्‍वतंत्रता संग्राम के महानायकों, सांस्‍कृतिक हस्तियों और राष्‍ट्र विकास में कार्य करने वाले अन्‍य प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों के बारे में संयुक्‍त रूप से पुस्‍तकों का प्रकाशन करेंगे। यह समझौता दोनों संगठनों के बीच एक संयुक्‍त पहल है, जिसके तहत युवा पीढ़ी को भारत की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्‍कृति तथा इतिहास की जानकारी दी जायेगी। विभिन्‍न विषयों पर लोगों को बेहतर साहित्‍य उपलब्‍ध कराया जायेगा। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री अजय मित्तल, सस्‍ता साहित्‍य मंडल के सचिव प्रोफेसर इंद्रनाथ चौधरी, प्रकाशन विभाग की एडीजी डॉ. साधना राउत और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव श्री मिहिर कुमार सिंह उपस्थित थे।

समझौते में 20 पुस्‍तकों के एक सेट का संयुक्‍त प्रकाशन किया जायेगा, जिनमें 10 पुस्‍तकों को दोनों संस्‍थान एक दूसरे के कैटलॉग से चुनेंगे। इसके अलावा स्‍वतंत्रता संग्राम, भारतीय संस्‍कृति और नैतिकता और आदर्शों पर 10 छोटी नई पुस्‍तकों के एक सेट का संयुक्‍त प्रकाशन भी किया जायेगा। इस समझौते से दोनों संगठनों को यह अवसर मिलेगा कि वे अपने एक-दूसरे द्वारा प्रकाशित पुस्‍तकों की प्रदर्शनी और ब्रिकी का आयोजन कर सकते हैं। यह समझौता हस्‍ताक्षर करने की तिथि से 3 वर्षों तक मान्‍य होगा जिसे आपसी रजामंदी के तहत बढ़ाया जा सकता है। चुनी हुई 20 पुस्‍तकों की सूची नीचे दी जा रही है:-

उल्‍लेखनीय है कि महात्‍मा गांधी ने 1925 में न्‍यास के रूप में सस्‍ता साहित्‍य मंडल की स्‍थापना की थी, जिसका उद्देश्‍य उच्‍चस्‍तरीय हिंदी साहित्‍य को प्रोत्‍साहित, विकसित और प्रकाशित करना तथा जनता को सस्‍ती कीमतों पर उपलब्‍ध कराना था। अपनी स्‍थापना के समय से अब तक सस्‍ता साहित्‍य मंडल ने भारतीय संस्‍कृति, विरासत, भारतीय महाकाव्‍यों और कहानियों की 2500 से अधिक पुस्‍तकें प्रकाशित की हैं। संगठन ने बच्‍चों के लिए विशाल साहित्‍य का सृजन किया है ताकि उन्‍हें राष्‍ट्र और मानवता के प्रति प्रेम और जीवन के आदर्शों की शिक्षा दी जा सके।

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