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नवाचार डिजिटल इंडिया का लक्ष्य हासिल करने की कुंजी है: मनोज सिन्हा

देश-विदेश

नई दिल्लीः संचार मंत्री श्री मनोज सिन्हा ने डिजिटल इंडिया का लक्ष्य हासिल करने के लिए खंडित दृष्टिकोण अपनाने की बजाए समग्र आयोजना की आवश्यकता पर बल दिया है। आज यहां ‘‘डिजिटल इंडिया के लिए आईसीटी से उभरती प्रौद्योगिकियां और यूएसओएफ’’ विषय पर एक सेमिनार का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता है, क्योंकि भारत सीमित संसाधनों के कारण विकसित अर्थव्यवस्थाओं का अनुकरण नहीं कर सकता। यूएसओएफ का अर्थ है –यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन फंड यानी सार्वभौम सेवा दायित्व निधि। उन्होंने कहा कि अगर अगले 15 से 20 वर्ष के दौरान भारत उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को आत्मसात नहीं कर पाया, तो देश का अस्तित्व दाव पर लग जाएगा। उन्होंने अधिकारियों और सम्बद्ध पक्षों का आह्वान किया कि वे डिजिटल क्रांति के जरिए परिवर्तन का प्रधानमंत्री का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘‘वॉक द टॉक’’ का अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि अभी तक आईटी क्रांति से वंचित ग्रामीण क्षेत्रों सहित समूची आबादी को डिजिटल दृष्टि से सशक्त बनाना हमारा दायित्व है। उन्होंने यह भी कहा कि यह काम सरकार अकेले नहीं कर सकती, इसलिए सभी पक्षों को इसमें सहयोग करना चाहिए।

श्री सिन्हा ने आशा प्रकट की कि मार्च, 2017 तक एक लाख ग्राम पंचायतें आप्टिकल फाइबर केबल के जरिए जुड़ जाएंगी। इससे व्यापक ग्रामीण समुदायों को नेटवर्क ढांचे से जोड़ा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि नेटवर्क ढांचा हो या डिजिटल हाइवे, समाज के उपेक्षित वर्गों के लिए समुचित प्रौद्योगिकियों की खोज करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर दूरसंचार सचिव श्री जे.एस. दीपक ने कहा कि वित्त मंत्रालय यूएसओएफ के अंतर्गत धन आवंटित करने में तत्पर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस फंड के अंतर्गत 70 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध होने के बावजूद अभी तक 40 प्रतिशत से भी कम धन आवंटित किया गया है। लेकिन, उन्होंने यह स्वीकार किया कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यूएसओएफ से 2016-17 में दस हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

ट्राई के अध्यक्ष श्री आर.एस. शर्मा ने कहा कि देश में डिजिटल दृष्टि से सशक्त समाज और ज्ञानवान अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए सरकारी-निजी भागीदारी निश्चित रूप से उत्कृष्ट विकल्प है।

दो दिन के सेमिनार में यूएसओएफ की बदलती भूमिका, नियामक मुद्दे और भावी संभावनाएं, भारत को डिजिटल बनाने में समेकन संबंधी चुनौतियों और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श किया जाएगा।

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