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‘रणनीतिक जल साझेदारी’ पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत-डच सहयोग विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ा है: गजेंद्र सिंह शेखावत

देश-विदेश

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और नीदरलैंड सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर और जल प्रबंधन मंत्री मिस्टर मार्क हारबर्स की उपस्थिति में आज नई दिल्ली में भारत और नीदरलैंड के बीच संयुक्त कार्य समूह की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई। भारत और नीदरलैंड के प्रधानमंत्रियों के बीच अप्रैल 2021 में एक वर्चुअल बैठक के दौरान ‘रणनीतिक जल साझेदारी’ की शुरुआत की गई थी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और इंफ्रास्ट्रक्चर और जल प्रबंधन मंत्री श्री मार्क हारबर्स ने 29 मार्च, 2022 को ‘रणनीतिक जल साझेदारी’ पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी द्विपक्षीय जल सहयोग का विस्तार करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करती है और वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों के कल्याण और सतत विकास के लिए सतत विकास लक्ष्यों, जल सुरक्षा, पानी की उपलब्धता और पानी की गुणवत्ता के महत्व को पहचानने के लिए भारतीय और नीदरलैंड सरकारों का एक संयुक्त प्रयास है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने प्रारंभिक संबोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अप्रैल 2021 में भारत और नीदरलैंड के प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने समग्र परिदृश्य की विस्तृत समीक्षा की थी तथा द्विपक्षीय संबंध और जल क्षेत्र में भारत-डच सहयोग को और गहरा करने के लिए ‘जल के मुद्दे पर सामरिक साझेदारी’ स्थापित करने पर सहमत भी हुए थे। उन्होंने कहा कि जल के मुद्दे पर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) को मंत्री स्तर पर अपग्रेड करने के निर्णय से सहयोग बढ़ा है। नीदरलैंड विभिन्न जल संसाधन परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों और नगरपालिकाओं के साथ जुड़ा हुआ है। श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि दोनों समूह – संयुक्त कार्य समूह और द्विपक्षीय तकनीकी समूह सहयोग के तहत क्रियाकलाप के कुछ क्षेत्रों को चिन्हित करने में सक्षम हैं, जिसमें बहु-हितधारक मंच के माध्यम से प्रदूषण की रोकथाम और औद्योगिक प्रदूषण उपशमन, हरियाणा के पानीपत में टेक्सटाइल क्लस्टर का प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन, वाटर एज लीवरेज और नमामि गंगे, चेन्नई में वाटर एज लीवरेज, नदी परियोजना के लिए प्रावधान – केरल में बाढ़ प्रबंधन परियोजना, दोनों नदियों – अर्नैर और कोरातालैर के बीच के क्षेत्र में पायलट परियोजना और क्षमता विकास कार्यक्रम शामिल हैं।”

श्री शेखावत ने कहा कि ‘रणनीतिक जल साझेदारी’ पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत-डच सहयोग विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ा है। श्री शेखावत ने कहा, “इन सहयोगों के साथ, हम न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 में किए गए कुछ उप-मिशन का समर्थन करने के लिए नीदरलैंड सरकार को भी धन्यवाद देते हैं, जिसमें नदी के संदर्भ में संवेदनशील शहरों के लिए नदी-शहर गठबंधन और नदी के कायाकल्प के लिए तकनीकी रूप से संचालित प्रकृति-आधारित समाधान शामिल हैं।” श्री शेखावत ने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त किया कि बहु-हितधारक परामर्शी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जिससे जल क्षेत्र के लिए व्यापक योजनाएं विकसित करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि अब योजनाओं पर तेजी से काम करने का समय आ गया है।

श्री मार्क हारबर्स ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और नीदरलैंड वाटर एक्शन एजेंडे में रचनात्मक योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी समृद्धि, समानता और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संबल है। उन्होंने कहा, “हमें उभरती हुई जलवायु और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व स्तर पर तैयारी और सहयोग करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, “वर्षा, प्रदूषण आदि में स्थानिक और अस्थायी बदलाव जैसी चुनौतियां हमारे दोनों देशों के लिए एकसमान हैं और हमारे एक साथ आने का आधार भी हैं।”

भारत और नीदरलैंड के बीच हाल के वर्षों में शुरू हुई गतिविधियों की व्यापक सूची इस बात का उदाहरण है कि हम ‘रणनीतिक जल साझेदारी’ के माध्यम से एक साथ आए हैं। श्री हारबर्स ने कहा, “मैं एक बहुत ही दिलचस्प, रचनात्मक और लाभदायक मंत्रिस्तरीय संयुक्त कार्य समूह की प्रथम बैठक की कामना करता हूं।”

दोनों मंत्रियों ने पानीपत, हरियाणा में टैक्सटाइल्स क्लस्टर के लिए बहु-हितधारक मंच के माध्यम से औद्योगिक प्रदूषण उपशमन परियोजना से संबंधित क्रियाकलाप के तहत प्रस्तुत परिणामों के प्रति आशावाद दिखाया।

प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत करते हुए, श्री जी. अशोक कुमार ने जल क्षेत्र में भारत-नीदरलैंड सहयोग की यात्रा का एक संक्षिप्त विवरण दिया और संयुक्त कार्यसमूह की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक को भारत की यात्रा के साथ शुरू किए गए प्रयासों का “परिणाम” कहा। 2015 में डच प्रधानमंत्री श्री मार्क रुटे भारत आए और उसके बाद भारत और नीदरलैंड के बीच राजनयिक संबंधों की 70 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए जून 2017 में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नीदरलैंड की यात्रा की। इस यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया और भारत के जल संसाधन मंत्रालय और नीदरलैंड के इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण मंत्रालय के बीच जून 2017 में दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए जल, डेल्टा प्रबंधन और जल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (ईडब्ल्यू) श्री संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि ढांचे के तहत गतिविधियों को बांग्लादेश, नेपाल, इंडोनेशिया और अफ्रीका सहित अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में भी ले जाया जा सकता है।

विशेष रूप से स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के लिए जल शक्ति मंत्रालय , केरल सरकार का सिंचाई मंत्रालय और पश्चिम बंगाल सरकार का सिंचाई और जलमार्ग मंत्रालय के साथ संयुक्त कार्य समूह की कार्ययोजना में द्विपक्षीय जल सहयोग पर तीन कार्ययोजनाएं शामिल हैं।

कार्ययोजना जल शक्ति/राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन – नीदरलैंड में स्थायी जल गुणवत्ता प्रबंधन, शहरी जल प्रबंधन, निगरानी और निर्णय लेने, जल के साथ जीवन और उसका मूल्यांकन, सशक्त जल प्रणाली और सतत जल गुणवत्ता प्रबंधन सहित पांच कार्यक्रम शामिल हैं। यह कार्यक्रम जल प्रणालियों की जल गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और अन्य सरकारी संगठनों के प्रयासों का समर्थन करेगा। यह गंगा बेसिन जैसी नदी बेसिन में पानी की गुणवत्ता के मुद्दों को कवर करेगा और जल गुणवत्ता प्रबंधन में शामिल राज्य सरकारों और अन्य संस्थानों की ज्ञान संबंधी आवश्यकताओं को भी कवर कर सकता है। शहरी जल प्रबंधन भारत में रिवर सिटीज एलायंस (आरसीए) की चल रही गतिविधियों और नीदरलैंड द्वारा शुरू किए गए वाटर एज लीवरेज कार्यक्रम को एक साथ लाएगा। आरसीए का मुख्य उद्देश्य सदस्य शहरों को उन पहलुओं पर चर्चा और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करना है, जो शहरी नदियों के स्थायी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

निगरानी और निर्णय लेने के कार्यक्रम के तहत, भारत में उपलब्ध विभिन्न स्तरों पर एकत्र किए गए डेटा का उचित उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा। इनमें से कुछ डेटा को सार्वजनिक कर दिया जाता है, अन्य डेटा को वर्गीकृत क्या जाता है अथवा केवल आंतरिक उपयोग के लिए रखा जाता है। निर्णय लेने, निवेश या परिचालन उद्देश्यों के लिए इस हाइड्रोलॉजिकल डेटा का उपयोग करना एक चुनौती है।

जल घटक के साथ रहना और महत्व देना नमामि गंगे के अविरल गंगा (अप्रतिबंधित प्रवाह) और अर्थ गंगा (अर्थव्यवस्था और आजीविका) घटकों से संबंधित है। भारत में अविरल गंगा और अर्थ गंगा उन्हीं सिद्धांतों पर आधारित हैं, जैसे नीदरलैंड में कई अवधारणाएं जैसे पानी के साथ जीना और प्रकृति के साथ निर्माण। सशक्त जल प्रणाली स्थानीय और बेसिन स्तर पर जल सुरक्षा प्राप्त करने और परिवर्तनशील परिस्थितियों से निपटने के लिए जल प्रणालियों को सशक्त बनाने के लिए उन्मुख है।

कार्य योजना केरल – नीदरलैंड ज्ञान के आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा। एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (आईडब्ल्यूआरएम) – केरल में आईडब्ल्यूआरएम अवधारणा को अमल में लाना; – एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान; – शहरी बाढ़ का शमन और संस्थागत तंत्र साझा करना; – प्रकृति आधारित समाधानों का उपयोग, जैसे ‘नदी के लिए संभावना’ और ‘पानी के साथ रहना’ नदी बेसमेंट प्रबंधन से संबंधित ज्ञान का आदान-प्रदान एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन पर होगा।

कार्रवाई पश्चिम बंगाल – नीदरलैंड की कार्ययोजना को दो अवधियों – क्षमता निर्माण का अन्वेषण चरण (2022 – 2023) अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय अच्छी प्रथाओं के अनुसार डाइक डिजाइन और एक स्वस्थ नदी बेसिन की रणनीति निर्माण से परिचित होने के लिए तटीय क्षेत्र प्रबंधन की बुनियादी समझ की एक रूपरेखा समग्र मास्टर प्लान में शामिल है; में विभाजित किया गया है।

सामरिक जल भागीदारी का उद्देश्य नीति विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, ज्ञान संस्थानों, निजी कंपनियों और समुदायों/हितधारकों को शामिल करके और संसाधनों, विशेषज्ञता, ज्ञान कौशल के संयोजन के माध्यम से चल रहे द्विपक्षीय सहयोग को और तेज और विस्तारित करना है। साझेदारी दोनों देशों के लाभों को अधिकतम करने के लिए सहयोग में रणनीतिक दिशा जोड़ती है। सामरिक जल साझेदारी का चरित्र ज्ञान आधारित सहयोग है, जिसमें प्रत्येक भागीदार सहयोग से उत्पन्न होने वाले अपने स्वयं के खर्चों का वित्त पोषण करेगा। ज्ञान का आदान-प्रदान मुख्य रूप से भारतीय और नीदरलैंड के विशेषज्ञों और अधिकारियों के बीच बातचीत से होगा।

नीदरलैंड के प्रतिनिधिमंडल में इंफ्रास्ट्रक्चर और जल प्रबंधन मंत्रालय के श्री लुइट-जान डिजखुइस, इंफ्रास्ट्रक्चर और जल प्रबंधन मंत्रालय के सोशल मीडिया सलाहकार सुश्री जेट वैन पासेन, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के वरिष्ठ नीति समन्वयक श्री थॉर्स्टन वेगे, अंतरराष्ट्रीय मामलों की डिप्टी डायरेक्टर सुश्री ओडिलिया नैप, नीदरलैंड दूतावास में आर्थिक मामलों के प्रमुख श्री जोस्ट गीजर और नीदरलैंड दूतावास की वरिष्ठ नीति अधिकारी सुश्री निशि चंद्र पंत शामिल थे।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार, पश्चिम बंगाल के सिंचाई और जलमार्ग विभाग के प्रधान सचिव श्री प्रभात कुमार मिश्रा, केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष श्री कुशविंदर वोहरा और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सुबोध यादव, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (ईडब्ल्यू) श्री संदीप चक्रवर्ती, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) श्री डी.पी. मथुरिया, केंद्रीय भूजल बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुनील कुमार, केरल के मुख्य अभियंता श्री आर प्रियेश, केरल की चीफ इंजीनियर श्रीमती श्रीदेवी पी., एनआईएच निदेशक श्री सुधीर कुमार और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन केडीएस श्री धीरज जोशी शामिल थे।

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