36 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारतीय रेल के भव्य स्टेशन, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भवन के 130 वर्ष

देश-विदेश

नई दिल्लीः छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) ने 20 मई, 2018 को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे कर लिए हैं। मध्य रेल का मुख्यालय भवन जिसका लोक प्रिय नाम विक्योरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) है, वास्तु-कला का उत्कृष्ट नमूना है। प्रारम्भ में इस भव्य भवन में जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिसुलर) रेलवे का कार्यालय स्थापित करने की योजना बनाई गई थी। ताज महल के पश्चात् यह इस भवन के सबसे अधिक फोटो खीचे जाते हैं। इस भवन का डिजाइन वास्तुकार फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा तथा 16,13,863 रूपये की लागत आई। स्टीवेंस के द्वारा डिजाइन किए गए इस ऐतिहासिक टर्मिनस को उस समय एशिया के सबसे बड़े भवन का दर्जा हासिल था।

इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1887 में महारानी विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्योरिया टर्मिनस रखा गया। 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। जुलाई 2017 में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रखा गया। 2004 में यूनेस्को ने इस भवन को वास्तु कला की उत्कृष्टता के लिए विश्व विरासत की सूची में स्थान दिया। दिसंबर 2012 से इस विरासत भवन को सभी कार्य दिवस में लोगों के भ्रमण के लिए खोला गया है।

शिवाजी महाराज टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) का निर्माण 16.14 लाख रुपये की लागत से किया गया था। गॉथिक शैली में डिजाइन किए गए इस भवन को भारतीय संदर्भ के अनुरूप निर्मित किया गया था। यह एक सी-आकार की इमारत है जिसका निर्माण पूर्व पश्चिम धुरी पर समरूप तरीके से किया गया है। पूरी इमारत का सर्वोत्कृष्ट बिंदु मुख्य गुंबद है। इस पर एक विशाल महिला की आकृति (16 फुट 6 इंच) है। उसके दाहिने हाथ में एक ज्वलंत मशाल है जो ऊपर की ओर इशारा करता है और बाएं हाथ में एक कमानीदार पहिया है जो ‘प्रगति’ का प्रतीक है। इस गुंबद को पहला अष्टकोणीय धारीदार चिनाई गुंबद माना जाता है जिसे इतालवी गॉथिक शैली की इमारत के अनुरूप बनाया गया था।

1929 में इस स्टेशन में 10.4 लाख रुपये की लागत से 6 प्लेटफॉर्म बनाए गए। पहले पुनर्निर्माण के पश्चात् प्लेटफॉर्मों की संख्या 13 हो गई। यार्ड और स्टेशन में फिर कुछ बदलाव किए गए। 1994 में प्लेटफॉर्मों की संख्या 15 हो गई। अभी इस स्टेशन में 18 प्लेटफॉर्म हैं। पूर्व से प्रवेश करने के लिए खुली जगह है। अप्रैल 2018 में प्लेटफॉर्म संख्या 18 के बगल में एक विरासत गली का निर्माण किया गया है। इसमें जीआईपी हेरिटेज इलेक्ट्रिक लोको, सर लेजली विल्सन तथा अन्य विरासत की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भवन के शताब्दी समारोह के दौरान एक डाक टिकट जारी किया गया था। 2013 में भवन के 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष डाक कवर जारी किया गया था।

http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image002PLAR.gif

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More