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भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारियों और प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्‍ट्रपति से भेंट की

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (2013 एवं 2014 बैच) के अधिकारियों तथा 2015 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि इंजीनियर प्रमुख ढांचागत क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज भारत के पास तकनीकी रूप से सक्षम इंजीनियर उपलब्‍ध हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि आजादी के बाद हमने बहुत कुछ उपलब्‍ध किया है। आजादी के समय देश में एक मिलियन टन इस्‍पात का उत्‍पादन होता था, आज हम प्रति वर्ष 90 मिलियन टन से अधिक इस्‍पात का उत्‍पादन कर रहे हैं। वर्ष 1947 में हमारे देश में प्रति वर्ष एक लाख से भी कम वाहनों का उत्‍पादन होता था लेकिन आज हम विश्‍व में सबसे अधिक वाहनों का उत्‍पादन करने वाले देशों में 6वें स्‍थान पर पहुंच गए हैं। हमारे यहां प्रति वर्ष 644 मिलियन टन कोयला पैदा होता है और इस तरह हम विश्‍व में तीसरे नम्‍बर के सबसे बड़े कोयला उत्‍पादक देश हो गए हैं। भारत में आज 462 मिलियन लोग इंटरनेट का इस्‍तेमाल करते हैं। इसके अलावा एक अरब लोग मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल करते हैं। भारत में 4.7 मिलियन किलोमीटर लम्‍बी सड़कें हैं। इस तरह हमारे यहां का सड़क नेटवर्क विश्‍व में दूसरे स्‍थान पर है। बहरहाल, हमें देश की विकास आवश्‍यकताओं और यहां की बड़ी आबादी को ध्‍यान में रखकर लगातार प्रयास करते रहना होगा।

राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि इंजीनियरिंग सेवा से अधिकारियों को समाज की सेवा करने का अवसर मिलता है। उन्‍हें कम आयु में ही भारी दायित्‍वों को सौंपा जाता है। उन्‍हें समाज से सबकुछ प्राप्‍त होता है और इसे ध्‍यान में रखते हुए उन्‍हें समाज की सेवा करनी चाहिए। राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि सभी अधिकारियों को महात्‍मा गांधी की यह बात याद रखनी चाहिए कि सही निर्णय तक पहुंचने के लिए यह देखना आवश्‍यक है कि उस निर्णय से निर्धनतम व्‍यक्ति का कल्‍याण होगा या नहीं।

भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के 2013 और 2014 बैच के अधिकारी इस समय सहायक कर्यकारी अभियंता के रूप में सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय में नियुक्‍त हैं ,जबकि 2015 बैच के प्रशिक्षु अधिकारी गाजियाबाद स्थित सीपीडब्‍ल्‍यूडी प्रशिक्षण संस्‍थान में 35 सप्‍ताहों का बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्‍त कर रहे हैं।

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