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प्रधानमंत्री 28 जून को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान , झारखंड की आधारशिला रखेंगे

देश-विदेश

नई दिल्ली: देश में कृषि क्षेत्र में विकास और अनुसंधान की अग्रणी संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(आईएआरआई) का झारखंड में क्षेत्र की कृषि को गति देने के लिए एक हजार एकड़ का जल्द ही अपना परिसर होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 28 जून, 2015 को झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़ही के गोरिया कर्मा गांव में इस संस्थान की आधारशिला रखेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह भी रहेंगे।

भारत सरकार ने झारखंड राज्य में उच्च कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का काम मिशन रूप में लिया है। आईएआरआई, झारखंड क्षेत्र में एकीकृत कृषि प्रणाली(आईएफएस) के माध्यम से समावेशी कृषि विकास हासिल करेगा। यह बहु-विषयी अनुसंधान से संभव होगा और अनुसंधान तीन प्रमुख पद्धतियों पर केंद्रित होंगे। यह पद्धतियां हैं- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन , फसल सुधार एवं सुरक्षा तथा क्षेत्र में स्थानीय कृषि प्रणाली की आवश्कताओं को पूरा करने के लिए पशु विज्ञान , मौलिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के साथ एकीकृत बागवानी पद्धति।

यह संस्थान क्षेत्र विशेष अनुसंधान के लिए देश-विदेश के मेधावी विद्यार्थियों को  स्नातकोत्तर तथा डाक्टरेट के लिए आकर्षित करेगा।

आईएआरआई, झारखंड क्षेत्रीय चुनौतियों का मुकाबला करते हुए निम्नलिखित कार्य करेगाः-

  • बहु-विषयी अनुसंधान के जरिए मृदा स्वास्थ में सुधार , जल उपयोग सक्षमता(डब्ल्यूयूई) तथा क्षेत्र में भारी वर्षा(1200-16—एमएम) में सतह तथा भूजल संसाधनों का प्रबंधन।
  • धान-अजोत मौसम में उत्पादन दोगुना करने के लिए फसलों को विविधता प्रदान करना।
  • उचित बागवानी टेक्नोलाजी अपना कर जन-जातीय क्षेत्रों के खेतिहर परिवारों की पौष्टिकता से जुड़ी सुरक्षा में सुधार तथा उनके लाभ में सुधार ।
  • क्षेत्र विशेष कृषि प्रणाली का विकास।
  • स्थान विशेष आवश्यकता आधारित विस्तार रणनीति तथा व्यवस्था से टेक्नोलाजी को तेजी से अपनाने पर बल।
  • मानव संसाधन विकास के लिए उच्त कृषि शिक्षा। इसकी शुरुआत 2015-16 से 10 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के साथ मृदा विज्ञान , जल विज्ञान एवं टेक्नोलाजी, कृषि विज्ञान , बागवानी तथा आनुवांशिकी में होगी।
  • क्षेत्रीय क्षमता तथा किसानों की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में अत्याधुनिक टेक्नोलाजी के कारगर इस्तेमाल के लिए एनएआरईईएस तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग।
  • कुशल वैज्ञानिक , तकनीकी , प्रशासनिक तथा समर्थनकारी मानव शक्ति के माध्यम से रोजगार सृजन के संदर्भ में संपूर्ण सामाजिक प्रभाव सुनिश्चित करना।
  • क्षेत्र के पहली पीढ़ी के उद्यमियों के माध्यम से सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए टेक्नोलाजी प्रेरित कृषि उद्योग का विकास ।
  • स्नातकोत्तर शिक्षा तथा लैंगिक समानता के माध्यम से उत्पादकता , लाभ और सतत कृषि के लिए सर्व-हरित क्रांति के युग में प्रवेश करना और क्षेत्र की समृद्धि सुनिश्चित करना।

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