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भारत ने सफलता के साथ सहकारिता का एक मॉडल दुनिया के सामने रखा है: अमित शाह

देश-विदेश

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में ‘डेयरी क्षेत्र के लिए सहकारी संस्थानों की प्रासंगिकता’ विषय पर विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन-2022 को संबोधित किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन मंत्री श्री पुरूषोत्तम रूपाला सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज सुबह विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया। 1974 के बाद पहली बार अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फ़ेडरेशन के डेयरी शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत में हो रहा है। उन्होने कहा कि 1974 में दुग्ध उत्पादन में भारत जहां खड़ा था उससे बहुत आगे निकालकर आज 2022 में हम आत्मनिर्भर और निर्यातक बनकर दुनिया के सामने खड़े हैं। इस पूरे कालखंड में हमारे करोड़ों पशुपालक भाईयों और विशेषकर बहनों व किसानों के पुरूषार्थ के कारण देश इस क्षेत्र में ना केवल आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि हम निर्यात भी कर पा रहे हैं। उन्होने कहा कि लाखों छोटे और सीमांत डेयरी किसानों के योगदान से आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में गत 8 साल में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था से विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और पूर्ण विश्वास है कि जल्द ही हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे जिसमें सहकारिता क्षेत्र बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। श्री शाह ने कहा कि जब भारत तीसरे नंबर पर पहुंचेगा तब पूरा विश्व इसमें सहकारिता के योगदान की भी चर्चा करेगा। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाकर ग़रीबी में जी रहे देश के 70 करोड़ लोगों को देश के अर्थतंत्र में योगदान करने और सम्मान के साथ जीने योग्य बनाने का प्रयास किया है। लाखों छोटे और सीमांत डेयरी किसानों के योगदान से आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है और आज डेयरी क्षेत्र में भारत में सबसे ज़्यादा प्रासंगिकता कोऑपरेटिव संस्थानों की है

श्री अमित शाह ने कहा कि भारत में सहकारिता 125 साल से भी पुराना कॉन्सेप्ट है और कई ऐसी सहकारी संस्थाएं हैं जो 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं और आज भी सफलता के साथ सहकारिता के सभी सिद्धांतों के अनुरूप चल रही हैं। उन्होने कहा कि भारत ने दुनिया के सामने सहकारिता  मॉडल के रूप में सफलता के साथ एक तीसरा विकल्प रखा है। इसमें भारत ने प्रोडक्शन बाए मासेज़ (Production By Masses) और मास प्रोडक्शन बाए मासेज़ (Mass Production By Masses) के सूत्र के साथ डेयरी क्षेत्र में मानव-केन्द्रित मॉडल दुनिया के सामने रखने का काम किया है।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कॉर्पोरेट डेयरी दुग्ध उत्पादन के ज़रिए कंपनियों के शेयरधारकों और अपने मालिकों के लिए अर्थोपार्जन कर देश के विकास में योगदान देती है। वहीं, कोऑपरेटिव डेयरी अनेक प्रकार के आयामों को छूते हुए देश के विकास में अपना योगदान देती है और हम इसके माध्यम से स्वावलंबी बन सकते हैं। साथ ही कोऑपरेटिव के माध्यम से कुपोषण के ख़िलाफ़ लड़ाई भी ही आगे बढ़ती है और कोऑपरेटिव डेयरी महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य को भी सिद्ध करती है। उन्होने कहा कि कोऑपरेटिव डेयरी के माध्यम से इस देश की करोड़ों महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। गुजरात में ग्रामीण विकास में सहकारी डेयरी व अन्य सहकारी संस्थाओं ने बहुत बड़ा योगदान दिया है और इस सम्मेलन में आए सभी महानुभावों को गुजरात जाकर उस सहकारी मॉडल को नजदीक से देखना चाहिए।

श्री अमित शाह ने सम्मेलन में उपस्थित कोऑपरेटिव डेयरी संचालित करने वाले लोगों का आह्वान किया कि उन्हे प्राकृतिक खेती को डेयरी का प्राण बनाना चाहिए। उन्होने कहा कि सहकारी डेयरी का लक्ष्य पैसा कमाना नहीं बल्कि एक सशक्त भारत का निर्माण कर हर नागरिक को उत्तम स्वास्थ्य देना है और इसमें हम दुनिया भर के किसानों को रास्ता दिखा सकते हैं। प्राकृतिक खेती से उपजे उत्पाद देश के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने के साथसाथ भारत के अर्थतंत्र के विकास में अहम योगदान देंगे। श्री शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों के सर्टिफिकेशन, मार्केटिंग और निर्यात के लिए तीन अलग-अलग मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ बनाई जा रही हैं।

सहकारिता मंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव के अलावा समान आर्थिक विकास का मंत्र कोई और मॉडल नहीं दे सकता। भारतीय कोऑपरेटिव डेयरी ने विश्व की सबसे बेहतरीन आपूर्ति श्रंखला का प्रबंधन किया है। उन्होने कहा कि मोदी सरकार मानती है कि भारत के साथसाथ विश्वभर के गरीब किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जाना चाहिए और इसके लिए दुनियाभर के देशों के बीच भारत की अमूल जैसी कोआपरेटिव की success स्टोरी का आदान प्रदान होना चाहिए जिससे पूरे विश्व के लोगों का कल्याण हो सके। श्री शाह ने कहा कि बेस्ट प्रैक्टिस का एक्सचेंज पूरी दुनिया का विकास करता है और भारत के लोग मानते हैं कि पूरे विश्व में कोऑपरेटिव बननी चाहिए और हर विकासशील और अल्पविकसित देश में गरीबों का जीवन स्तर ऊपर आना चाहिए।

श्री अमित शाह ने कहा कि वैश्विक दूध उत्पादन में 21% हिस्सेदारी के साथ भारत दुनियाभर में डेयरी मानचित्र में बहुत आगे है और अमूल आज 40 देशों में अपने उत्पादों का निर्यात करता है। आज भारत में कई अच्छे ब्रांड के दूध उत्पाद बने हैं जो भारत के लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ किसानों की आर्थिक प्रगति में भी मदद कर रहे हैं। उन्होने कहा कि 27 राज्यों में डेयरी फेडरेशन का निर्माण हो चुका है तथा इसे और आगे बढ़ाने का लक्ष्य है। श्री शाह ने कहा कि अमूल पैटर्न से त्रिस्तरीय संरचना का निर्माण हुआ है। इससे डेयरी किसानों की सामूहिक नेगोशिएशन की शक्ति बढ़ गई है जिससे सीमांत किसानों को दूध का अच्छा भाव मिलने के साथ ही उपभोक्ताओं को कम कीमत पर अच्छे दूध उत्पाद भी मिल रहे हैं।

सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में डेयरी उद्योग का कोआपरेटिव क्षेत्र में 360 डिग्री विकास हुआ है और कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा है। कोऑपरेटिव डेयरी अनेक प्रकार के आयामों को छूते हुए देश के विकास में अपना योगदान देती हैं और हम इसके माध्यम से स्वावलंबी बन सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि आज कोऑपरेटिव डेयरी केवल दूध संकलन और उत्पादन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होने पशु चारा, चारा बीज, कृत्रिम गर्भाधान और गोबर से खाद व गैस बनाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी जी के गोबर बैंक के प्रयोग को भी आगे बढ़ाया है। उन्होने कहा कि मोदी जी के गोबर बैंक के प्रयोग को पूरी दुनिया को समझना चाहिए क्योंकि इसमें समग्र विश्व के स्वास्थ्य का मूल चिंतन समाहित है।

श्री अमित शाह ने कहा कि विश्वभर के देशों में डेयरी उद्योग में दुग्ध उत्पादन से मुनाफे का सिर्फ 40-50% तक पैसा ही किसानों को मिल पाता है, लेकिन भारत में डेयरी सहकारिताएं उपभोक्ता मूल्य का 70% रिटर्न दूध उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक अकाउंट में जमा करती हैं जो भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। पूरे विश्व को इस मॉडल को अपनाना चाहिए। उन्होने कहा कि आज भारत में 1.8 करोड़ किसान कोऑपरेटिव सेक्टर के माध्यम से डेयरी के साथ जुड़े हैं। अभी लगभग दो लाख ग्रामीण डेयरी हैं और 2024 से पहले दो लाख ग्रामीण डेयरी और बनाई जाएंगी।

सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम दूध में तो आत्मनिर्भर हो गए हैं लेकिन दूध उत्पादों की प्रोसेसिंग करने वाली मशीनें आज भी विदेश से ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (NDDB) और अमूल मिलकर इस काम को अपने हाथ में लें हैं तो दूध उत्पाद प्रोसेसिंग मशीनरी के उत्पादन में भी भारत आत्मनिर्भर होकर विश्व में अपना योगदान कर सकता है। श्री अमित शाह ने कहा कि एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या के अनुपात में आज भी दूध की कमी है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हर गरीब देश तक दूध उत्पाद पहुँचाकर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को चरितार्थ करना भारत का लक्ष्य है।

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