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भारत ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों और संपत्तियों से निपटने की चुनौती का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत और एकरूप अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया

देश-विदेश

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दुनिया वर्तमान में भगोड़े आर्थिक अपराधियों और संपत्तियों की एक और गंभीर उभरती हुई चुनौती का सामना कर रही है। यह चुनौती उन लोगों से जुड़ी है जो आर्थिक अपराधों के बाद अपने देश के राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से भाग जाते हैं। भारत का ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 कानून’ अधिकारियों को गैर दोषी-आधारित कुर्की और ‘भगोड़े आर्थिक अपराधी’ की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट भारत में किसी भी अदालत से जारी किया गया हो। यह उन भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लागू होता है जिसने आपराधिक अभियोजन या न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने के लिए देश छोड़ दिया हो।

शुक्रवार रात भ्रष्टाचार से लड़ने की चुनौतियों और उपायों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने घरेलू कानून प्रणाली और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप ऐसे अपराधों के लिए मांगे गए व्यक्तियों और संपत्तियों की वापसी पर एक मजबूत और एकरूप अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा, चूंकि आरोपी विदेशों में शरण लेते हैं और विभिन्न देशों और अधिकार क्षेत्र में फैले जटिल कानूनी ढांचे में अपराध की आय को छुपाते हैं। इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमी और कमजोरियों का ऐसे भगोड़ों द्वारा अपने लाभ के लिए पूरी तरह से फायदा उठाया जाता है।

मंत्री ने उन सभी देशों के प्रति भारत की ओर से सराहना व्यक्त की जो संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक घोषणा का समर्थन करके भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयासों को तेज करके, राजनीतिक प्रतिबद्धता को बनाए रखते हुए। साथ ही ये देश निर्णायक कार्रवाई करके इस लड़ाई को सही दिशा में ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत व्यापक संभव सीमा तक पारस्परिक कानूनी सहायता प्रदान करता है और इसने अपने घरेलू कानून को मजबूत किया है और अनुबंधित राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के दायरे को भी बढ़ाया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यूएनजीए का सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब कोरोना हमारे धैर्य और दुख सहने की हम सभी की हदों की परीक्षा ले रहा है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों में इस संकट से निपटने के लिए भारत ने असंख्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ समन्वय किया है और स्थायी कोविड-19 प्रबंधन के लिए विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि देश टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, उचित कोविड व्यवहार और टीकाकरण की पांच-स्तरीय रणनीति को भी लागू कर रहा है जो महामारी के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।

डॉ. सिंह ने कहा, महामारी ने सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार से लड़ने में अभूतपूर्व अल्पकालिक और दीर्घकालिक चुनौतियां पैदा की हैं। यह संसाधनों के वितरण को महत्वपूर्ण रूप से कमजोर कर रहा है, हमारी पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं को खतरे में डाल रहा है, आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है और विकास को वापस पटरी पर लाने में देरी कर रहा है। मंत्री ने कहा कि यह वास्तव में एक साथ आने और भ्रष्टाचार को रोकने और मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने का सबसे उपयुक्त समय है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है और प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया भारत सरकार का लक्ष्य ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ पारदर्शिता और नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देने का है। विकेंद्रीकरण के उद्देश्य से निर्णय लेने और शहरों-कस्बों में स्थानीय सरकारों के साथ समुदायों को जोड़ने के लिए, नागरिकों की आजीविका को प्रभावित करने वाले सभी क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके अभिनव समाधान लागू किए जा रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि भारत पहले से ही डिजिटल-फर्स्ट के रास्ते पर है और दुनिया में सबसे अधिक डिजिटल लेन-देन करने वाले देशों में से एक है। प्रौद्योगिकी के उपयोग ने भारत के नागरिकों को लाभ पहुंचाने में गति बढ़ाने और लीकेज को रोकने में मदद की है। बैंक खातों और मोबाइल फोन के साथ बायोमेट्रिक आईडी कार्ड जोड़े गए हैं जिससे लाखों नागरिकों को तत्काल मौद्रिक सहायता के लिए सीधे बैंक ट्रांसफर के जरिए लाभो प्राप्त होते हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने से लेकर स्वास्थ्य पर डेटा आधारित सार्वजनिक नीति बनाने तक में प्रौद्योगिकी अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी यह संभव हो पा रहा है।

अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने विशेष रूप से संकट के इस समय में भ्रष्टाचार के खतरे का मुकाबला करने के लिए एक दृढ़ और मजबूत प्रतिबद्धता की इच्छा जताई और दोहराया कि भारत अन्य देशों, सिविल सोसाइटी और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करने के लिए तैयार है ताकि भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन में तेजी लाई जा सके।

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