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इस्पात मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने इस्पात की मांग बढ़ाने के उपायों पर भोपाल में सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने आज भोपाल में इस्पात की मांग बढ़ाने के उपायों पर सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इस सलाहकार समिति ने इस्पात उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की और देश में इस्पात की मांग बढ़ाने के उपाय़ों पर जोर दिया।

इस बैठक में ढांचागत और निर्माण क्षेत्र में सुनियोजित निवेश, रेलवे नेटवर्क का विस्तार, घरेलू जहाज निर्माण उद्योग का विकास, निजी भागीदारी के लिए रक्षा क्षेत्र को खोलना और देश में इस्पात की उपयुक्त मांग तैयार करने के लिए आटो मोबाइल क्षेत्र में अनुमानित विकास को हासिल करने पर जोर दिया गया।

केन्द्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में हुई सलाहाकार समिति की बैठक में निम्नलिखित मुद्दों को रेखांकित किया गया।

.विभिन्न क्षेत्रो में इस्पात के अधिकतम इस्तेमाल पर ध्यान केन्द्रित करना।

.ग्रामीण और शहरी इलाकों में इस्पात ढांचे का निर्माण करना।

.तटवर्तीय क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे जैसे- पुल, बंदरगाहों इत्यादि में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देना।

.2016-17 के अनुमानित बजट के हिसाब से ढांचागत क्षेत्र में 2.21 लाख करोड़ रुपये का नियोजित व्यय।

इस्पात आधारित ढांचे के कई फायदे होते हैं जैसे के ढांचा तैयार करने में आधा समय लगना, ढांचे का लंबे समय तक बने रहना।

इस्पात आधारित ढांचा पर्यावरण के भी अनुकूल होता है और इसे दोबारा इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है।

परंपरागत आरसीसी पुलों की जगह स्टील निर्मित पुल भी बनाये जा सकते हैं। इससे लागत में भी कमी आएगी और इसे जल्दी ही तैयार किया जा सकता है।

इस बैठक में उऩ क्षेत्रों में भी ध्यान दिया जहां पर इस्पात आधारित ढांचा तैयार किया जा सकता है। ग्रामीण विकास, शहरी ढांचा और रेलवे और राजमार्ग, फ्लाई ओवर इत्यादि के निर्माण में इस्पात कारगर साबित हो सकता है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना, पंचायत घर, ग्रामीण स्कूल, अस्पताल इत्यादि में भी इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सकता है।

“सभी के लिए आवास” 2022 तक सभी को सस्ते मकान उपलब्ध कराने के लिए सरकार का मिशन भी इस्पात की खपत को बढ़ाने में सहायक साबित होगा।

देश के सकल घरेलू उत्पाद मे इस्पात का योगदान दो प्रतिशत का है। इस्पात क्षेत्र में सीधे तौर पर साढ़े छह लाख लोग काम करते हैं जबकि इसके सहायक उद्योगों में 13 लाख लोग कार्यरत हैं।

भारत में इस्पात क्षमता 50 प्रतिशत से भी अधिक सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग के रूप में हैं जहां पर दो लाख लोग काम करते हैं।

2015 में भारत चीन और जापान के बाद इस्पात का उत्पादन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।साथ ही चीन के बाद दुनिया का दूसरा उत्पादक देश बढ़ने की और अग्रसर है।

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