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ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) के इस्तेमाल से हृदय रोगों के उपचार परिणामों में सुधार: डॉ. योगेंद्र

उत्तराखंड

देहरादून: ताजा अध्ययनों के अनुसार, ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) ऐसे रोगियों के लिए बेहद लाभप्रद है जिन्हें सर्जरी करवानी पड़ सकती है या फिर जो सिम्पटोमैटिक और गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस (एएस) से जूझ रहे हैं। एएस सर्जरी से नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दिल में मौजूद खराब वाल्व को बदलना संभव है। इस प्रक्रिया में कैथेटर (तारों और छोटी नलियों) और एक कंप्रेस्ड वाल्व का उपयोग किया जाता है, जो छाती को खोले बिना काट दिया जाता है।

इस बारे में बात करते हुए, डॉ. योगेंद्र सिंह, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, देहरादून ने कहा, “एओर्टिक स्टेनोसिस एक बहुत ही गंभीर, जान लेवा बीमारी है, जिससे हृदय गति रुक सकती है और अचानक हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के बाद भारत में भी उपचार के लिए तेजी से उपयोग में लाया जाने लगा है। यह नॉन-इंवेसिव प्रक्रिया है और इसमें कॉम्प्लिकेशन की संभावना भी कम है। कमर के रास्ते से बड़ी धमनी में एक कैथेटर डाला जाता है। कैथेटर के सिरे पर एक गुब्बारा बंधा होता है और एक बार जब यह क्षतिग्रस्त वाल्व तक पहुँच जाता है, तो गुब्बारे को स्टेंटिंग के समान नए टिशूवाल्व के लिए जगह बनाने के लिए फुलाया जाता है। नया वाल्व अब क्षतिग्रस्त वाल्व के अंदर पहुंच जाता है और गुब्बारे को कैथेटर से धीरे से बाहर निकालने के लिए अलग किया जाता है।

डॉ. योगेंद्र सिंह ने आगे कहा, “टीएवीआर से रोगियों को कम मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती है क्योंकि यह एक ओपन-हार्ट तकनीक नहीं है। इस प्रक्रिया से गुजरने वाले अधिकांश लोग स्वस्थ जीवन जी सकते हैं बशर्ते वे कुछ सावधानियों का पालन करें। रोगी को कुछ हफ्तों के लिए दवाएँ दी जाती हैं जो बाद में कम हो सकती है या पूरी तरह से बंद कर दी जाती है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि रिकवरी कितनी अच्छी है।

एओर्टिक स्टेनोसिस को रोकने के लिए कुछ सुझाव

रयूमैटिक बुखार को रोकने के कदम उठाएं। जिन लोगों को बार-बार गले में खराश होती है, उनके लिए यह जरूरी है कि किसी विशेषज्ञ से जल्द से जल्द सलाह लें क्योंकि, इससे रयूमैटिक बुखार हो सकता है।

ऐसे कार कों पर नजर रखें जिनसे हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना हो सकती है। रक्तचाप, वजन और कोलेस्ट्रोल स्तर की जांच नियमित रूप से करवाएं। जिन लोगों को पहले से हृदय संबंधी परेशानी है या जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, उन्हें बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। अपने दांतों और मसूड़ों की देखभाल करें। किसी भी संक्रमण के कारण दिल के ऊतकों में सूजन, धमनियों का सिकुड़ना आदि जैसी संभावनाएं हो सकती हैं और महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस को बढ़ा सकती हैं।

डिस्क्लेमर: “आर्टिकल में दी गई जानकारी, डॉयोगेंद्र सिंहइंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्टफोर्टिस एस्कॉर्ट्सदेहरादून के निजी विचार हैं, जो सामान्य जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्त किए गए हैं।”

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