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टेलीमेडिसिन प्रौद्योगिकी लागू करने से भारत को 5 बिलियन डॉलर की सालाना बचत हो सकती है: डॉ. जितेन्द्र सिंह

देश-विदेश

केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री; लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अन्तरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि टेलीमेडिसिन प्रौद्योगिकी लागू करने से भारत को सालाना 5 बिलियन डॉलर की बचत हो सकती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि टेलीमेडिसिन एक विकल्प ही नहीं बल्कि अब यह एक आवश्यकता बन गई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की सभी के लिए सुलभता, उपलब्धता और किफायत सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल हेल्थ अगला उपाय है।

‘बेहतर कल के लिए स्वास्थ्य देखभाल में बदलाव’ विषय पर सीआईआई एशिया स्वास्थ्य सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत जैसे देशों में टेलीमेडिसिन के नवीन स्वास्थ्य देखभाल उपायों को लागू किए जाने का आह्वान किया, जहां चिकित्सा पेशेवरों की कमी है और जहां ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों की संख्या में लोग उचित स्वास्थ्य देखभाल या उपचार की सीधी पहुंच से वंचित हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि टेली-मेडिसिन प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन से भारत को हर साल 4 से 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हो सकती है और अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले मरीजों की संख्या को आधा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में टेलीमेडिसिन व्यक्तिगत रूप से अस्पताल में जाकर चिकित्सक की परामर्श लेने की तुलना में 30% तक सस्ती साबित हुई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसी कारण इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में 137% की वृद्धि की गई और यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5%-3% की उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप पहुँच गया है। साथ ही यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के 2025 तक 2.5% के लक्ष्य के भी अनुरूप है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत इस वर्ष स्वास्थ्य पर 2.23 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा, जिसमें कोविड-19 टीकों के लिए खर्च किया गया 35,000 करोड़ रुपये का व्यय भी शामिल है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ मिलकर टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस गाइडलाइंस तैयार की, जिसने पंजीकृत चिकित्सकों (आरएमपी) को टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए स्वास्थ्य सेवाएं देने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की, जिसमें लोगों के स्वास्थ्य संबंधी सभी रिकॉर्ड दर्ज होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में विशेष रूप से देश भर में अधिक से अधिक इंटरनेट पहुंच के साथ टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में व्यापक उछाल आएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल का केंद्र बन रही है क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ती है, मरीजों का सशक्तिकरण होता है और सक्रियता बढ़ती है। साथ ही यह देखभाल के लिए बेहतर स्व-प्रबंधन में सक्षम बनाता है। यह स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम करते हुए स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता, दक्षता और सुरक्षा में सुधार के प्रयासों के प्रमुख घटकों में से एक है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा स्वास्थ्य देखभाल के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई जिनमें प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन, आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना, आयुष्मान स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शामिल हैं। इन योजनाओं ने देश के करोड़ों गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ और सस्ता बना दिया है।

स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में डॉ. नरेश त्रेहन, अध्यक्ष, सीआईआई स्वास्थ्य देखभाल परिषद और सीएमडी, मेदांता – मेडिसिटी; श्री क्रिस गोपालकृष्णन, पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई और संस्थापक सदस्य, इंफोसिस; श्री पंकज साहनी – मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मेदांता – मेडिसिटी; डॉ. मृदुल कौशिक- मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मैक्स हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड; श्री शशांक एनडी, अध्यक्ष, डिजिटल स्वास्थ्य पर सीआईआई उप-समिति, सीईओ और सह-संस्थापक, प्रैक्टो; श्री धर्मिल शाह, संस्थापक, फार्मईजी और श्री प्रशांत टंडन, संस्थापक, टाटा1एमजी ने भाग लिया।

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