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पहले की सरकारों में होते थे अवैध कब्जे के टूर्नामेंट: मोदी

उत्तर प्रदेशदेश-विदेश

क्रांतिधरा में रविवार को प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली सरकारों में हुए खेल को लेकर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में यूपी में अपराधी अपना खेल खेलते थे और माफिया अपना। पहले अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे। बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घूमते थे। लोगों के घर जला दिए जाते थे और पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। इसका नतीजा था कि लोग अपना पुस्तैनी घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे। पहले क्या-क्या खेल खेले जाते थे, अब योगी जी की सरकार ऐसे अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है।

यह बातें उन्होंने मेरठ के सलावा में आयोजित जनसभा में कहीं। इस दौरान उन्होंने करीब 91 एकड़ भूमि में सात सौ करोड़ की लागत से बनने वाले मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने काली पलटन मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की। साथ ही राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय मेरठ का निरीक्षण, अमर जवान ज्योति और शहीद स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने करीब 32 राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों से भी संवाद किया। इसके अलावा मेरठ के देश और विदेश में मशहूर खेल उत्पादों की प्रदर्शनी को बारीकी से देखा और संवाद किया। उन्होंने प्रस्तावित मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का मॉडल भी देखा।

भीड़ से खचाखच भरे मैदान में पीएम मोदी ने क्रांतिकारियों, युवाओं, किसानों, जवानों सहित खेल उद्यमियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मेरठ और आसपास के इस क्षेत्र ने स्वतंत्र भारत को भी नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्र रक्षा के लिए सीमा पर बलिदान हो या फिर खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान। राष्ट्र भक्ति की अलख को इस क्षेत्र ने सदा सर्वदा प्रज्ज्वलित रखा है। नूरपुर मड़ैया ने चौधरी चरण सिंह के रूप में देश को एक विजनरी नेतृत्व भी दिया। मैं इस प्रेरणा स्थली का वंदन करता हूं।

सोतीगंज बाजार में गाड़ियों के साथ होने वाले खेल का भी एंड हो रहा: मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने से डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। यहां मेरठ के सोतीगंज बाजार में गाड़ियों के साथ होने वाले खेल का भी द एंड हो रहा है। अब यूपी में असली खेल को बढ़ावा मिल रहा है। यूपी के युवाओं को खेल की दुनिया में छा जाने का मौका मिल रहा है।

पहले की सरकारों ने युवाओं के सामर्थ्य को महत्व नहीं दिया: पीएम

पीएम ने कहा कि पहले की सरकार की नीतियों की वजह से खेल और खिलाड़ियों की तरफ देखने का नजरिया बहुत अलग रहा है। पहले शहरों में जब कोई युवा अपनी एक पहचान एक खिलाड़ी के रूप में बताता था, तो सामने वाले पूछते थे, अरे बेटे, ये तो ठीक है, लेकिन काम क्या करते हो। यानि खेल की कोई इज्जत ही नहीं मानी जाती थी। गांव में अगर कोई खुद को खिलाड़ी बताता था, तो लोग कहते थे, चलो फौज या पुलिस में नौकरी के लिए खेल रहा होगा। यानि खेलों के प्रति सोच या दायरा बहुत सीमित हो गया था। पहले की सरकारों ने युवाओं के इस सामर्थ्य को महत्व नहीं दिया।

जब तक हम जागे तब तक बहुत देर हो चुकी थी: मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि यह सरकारों का दायित्व था कि समाज में खेल के प्रति जो सोच है, उस सोच को बदलकर खेल को बाहर निकालना बहुत जरूरी है, लेकिन हुआ उलटा। ज्यादातर खेलों के प्रति देश में बेरुखी बढ़ती गई। परिणाम यह हुआ कि जिस हॉकी में गुलामी के कालखंड में भी मेजर ध्यानचंद जैसी प्रतिभाओं ने मेडल दिलाया, उसमें भी हमें मेडल के लिए दशकों का इंतजार करना पड़ा। दुनिया की हॉकी प्राकृतिक मैदान से एस्ट्रो टर्फ की तरफ बढ़ गई, लेकिन हम वहीं रह गए। जब तक हम जागे तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पारदर्शिता का तो नामो निशान नहीं था: पीएम

पीएम ने खेलों में होने वाले भेदभावों को लेकर कहा कि ट्रेनिंग से लेकर टीम सेलेक्शन तक हर स्तर पर भाई-भतीजावाद, बिरादरी का खेल, भ्रष्टाचार का खेल, लगातार हर कदम पर भेदभाव और पारदर्शिता के नाम पर तो नामो निशान नहीं। हॉकी तो एक उदाहरण है यह हर खेल की कहानी थी। बदलती टेक्नॉलाजी, बदलती डिमांड और स्किल्स के लिए पहले की सरकारें बेहतरीन ईको सिस्टम तैयार ही नहीं कर पाईं। युवाओं का जो असीम टैलेंट था वह सरकारी बेरूखी के करण बंदिशों में जकड़ा हुआ था। 2104 के बाद उसे जकड़ने से बाहर निकालने के लिए हमने हर स्तर पर रिफार्म किए।

अब मिलें बंद नहीं होती, मिलों का विस्तार होता है, नई मिलें खोली जाती हैं: पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि जो पहले सत्ता में थे, उन्होंने गन्ने का मूल्य किस्तों में तरसा-तरसा कर दिया। योगी जी की सरकार में जितना गन्ना किसानों को भुगतान किया गया है, उतना पिछली दोनों सरकारों के दौरान किसानों को नहीं मिला था। पहले की सरकारों में चीनी मिलें कौड़ियों के भाव बेची जाती थीं। योगी जी की सरकार में मिलें बंद नहीं होती, यहां तो मिलों का विस्तार होता है, नई मिलें खोली जाती हैं।

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