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रानीखेत में हिमालयन सांस्कृतिक औद्योगिक एवं लोक उत्सव के उदघाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
अल्मोडा/देहरादून: विलुप्त हो रही संस्कृति को बचाने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा। यह बात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रानीखेत में आयोजित हिमालयन सांस्कृतिक औद्योगिक एवं लोक उत्सव के उदघाटन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति भी आजिविका का साधन बन सकती है हमें इसको मजबूत करने के लिए ठोस पहल करनी होगी। खेती, बागवानी व सांस्कृतिक गतिविधियों को जोड़कर इन्हें एक धागे में पीरोना होगा ताकि हम पर्यटन के रूप में मजबूत बन सकें।

आज चारधाम यात्रा में देश-विदेशों सहित अनेक प्रान्तों के लोग बड़ी संख्या में आ रहे है यही नहीं पिण्डारी गिलेश्यर को जो टैªकिंग रूट के नाम से जाना जाता वहाॅ और अधिक सुविधायें मुहैया कराने के निर्देश अधिकारियों को दे दिये गये है। सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में इस बार दो सांस्कृतिक मेलो का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है जिनमें एक मेला ऋषिकेश व दूसरा जागेश्वर में आयोजित किया जायेगा। इसी दौरान उदय शंकर नाटय एवं नृत्य अकादमी का भी शुभारम्भ किया जायेगा ताकि यहाॅ से हो रहे सांस्कृतिक पलायन को रोका जा सके तथा विलुप्त हो रही संस्कृति पुर्नजिवित हो सके। पेटशाल व टिहरी में वाद्ययंन्त्रों के संरक्षण के लिए एक-एक संग्रहालय की स्थापना करने का भी निर्णय लिया गया है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने पुरातन संस्कृति को जान सके। मुख्यमंत्री ने राजकीय महाविद्यालय में संगीत विषय की स्वीकृति के साथ ही उसे संस्कृति विभाग द्वारा संचालित भातखण्डे संगीत महाविद्यालय के साथ जोड़ने की बात कही ताकि जिन विद्यालयों में संगीत विषय चल रहे है वे इसका लाभ उठा सके।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 12 वर्ष के बाद आयोजित होने वाले रानीखेत के इस महोत्सव ने एक नयी पहचान देने की जो पहल की है वह सराहनीय है इससे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि से विमुख हो रहे काश्तकारों को कृषि कार्य से जोड़ने के लिए काश्तकारों को पेंशन देने का भी निर्णय लिया गया है। इस अवसर पर उन्होंने रानीखेत के सौन्दर्यकरण के लिए 50 लाख रू0 देने की घोषणा के साथ ही ताड़ीखेत में रोडवेज वर्कशाप की स्थापना, बैना में एनएनएम सेन्टर खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि रानीखेत में शीघ्र नगरपालिका आस्तिव में आ जायेगी जिसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गयी है इसके लिए 50 लाख रू0 की स्वीकृति भी प्रदान कर दी गयी है। उन्होंने कहा रानीखेत के समीप दलमोड़ी में वन अभ्यारण खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के मेले एवं उत्सव जहाॅ एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देने का काम करते है वहीं दूसरी ओर शासन द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी इन्हीं मेलों से किया जा सकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में चैलाई, मडुवा की खेती, भीमल, नीबू, अखरोट के पेड़ लगाने पर भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए चाल-खाल बनाने के लिए भी लोगो को प्रेरित करना होगा जो लोग इस लिए आगे आयेंगे उन्हें भी बोनस दिया जायेगा ताकि आने वाले समय में हम पानी की समस्या से निपट सकें। उन्होंने कहा कि पर्यटन व्यवसाय को और अधिक रौचक बनाने के लिए स्थान-स्थान पर रोपवे लगाने की योजना हेतु रापवे कारपोरेशन बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष अजय भटट ने कहा कि विकास कार्यों के लिए हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहयोग देना होगा तभी विकास कार्य आगे बढ़ पायेंगे। उन्होंने कहा कि समय-समय पर उनके द्वारा जो माॅगें जनहित में रखी जाती है उनकी मुख्यमंत्री द्वारा सहर्ष स्वीकृति प्रदान की जाती है जिसके लिए में उनका आभार व्यक्त करता हूॅ। उन्होंने इस उत्सव की सफलता की कामना के साथ आयोजको के प्रयास की सराहना की। इस अवसर पर पूर्व विधायक करन मेहरा ने भी अपने विचार रखे साथ ही कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए हम सब को टीम भावना से कार्य करना होगा। छावनी परिषद रानीखेत के उपाध्यक्ष मोहन नेगी ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि छावनी परिषद रानीखेत के विकास के लिए कटिबद्व है इसके लिए हमें जनता का सहयोग आवश्यक है साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री के सम्मुख अनेक समस्यायें रखी और उनके समाधान की माॅगं की।
इस महोत्सव से लौटने के बाद मुख्यमंत्री श्री रावत ने गन्याद्यौली, सौनी, ताड़ीखेत में रूककर जनता की समस्या सुनी और पर्यटकों से भरी बस में जाकर उनसे भेंट की और कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में अधिकाधिक संख्या में अन्य साथियों को भी लायें ताकि यहाॅ के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिले और अपने अनुभवो को भी बतायें।

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