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हिमालय दिवस के अवसर पर दून विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए: मुख्यमंत्री

उत्तराखंड

देहरादून: हिमालय दिवस के अवसर पर दून विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि जब हम हिमालय बचाओं की बात करते हैं तो स्वयं को बचाने की बात करते हैं। हिमालय को बचाना है तो हमें उन लोगों को भी अपने प्रयासों से जोड़ना होगा जिनका जीवन हिमालय पर आधारित है। हिमलाय संरक्षण के लिए एक सामुदायिक चेतना जगानी होगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हिमालय के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। हिमालय दिवस हमसे समर्पण व समझ की अपेक्षा करता है। हमें एक डायरेक्ट एक्शन प्रोग्राम के रूप में खुद को समर्पित करना है। श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी हमारे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने जब वन संरक्षण अधिनियम संसद में प्रस्तुत किया था तो उन्होंने सुंदरलाल बहुगुणा जी का जिक्र किया था।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें सजग व सचेत रहते हुए पर्यावरण की रक्षा करनी है। इसके लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करनी है। हम पहले राज्य हैं जो कि पेड़ लगाने पर बोनस दे रहा है। खासतौर पर चैड़ी पŸाी वाले पेड़ लगाने को प्राथमिकता दी जा रही है। केवल सरकारी प्रयासों से हिमालय की रक्षा नहीं की जा सकती है। इसमें व्यक्तिगत प्रयासों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है। सतत विकास हमारे जीवन जीने का तरीका होना चाहिए। पर्यावरण से संस्कृति को जोड़ने के लिए वृक्षारोपण को हरेला से जोड़ा गया। हिमालय बचाने को लेकर पहल की गई है। देश के लोग भी इससे जुड़ रहे हैं, परंतु इसमें निरंतरता नहीं बन पा रही है। हमने वन विभाग के तहत पिछले वर्ष एक हजार जलाशय बनाए हैं और अब उन्हें 10 हजार जलाशयों का लक्ष्य दिया गया है। सिंचाई विभाग ने भी 10 बड़े जलाशय बनाए हैं।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् संुदरलाल बहुगुणा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को हिमालय संरक्षण की शपथ दिलाई। इस अवसर पर श्रीमती विमला बहुगुणा, प्रोफेसर वीके जैन, प्रोफेसर कुसुम अरूणाचलम सहित विश्वविद्यालय की अन्य फेकल्टी व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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