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परेड ग्राउण्ड में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वाद्य यंत्र रणसिंघा बजाकर नैशनल हैण्डलूम एक्सपो का उद्वघाटन किया।

उत्तराखंड
देहरादून: परेड ग्राउण्ड में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वाद्य यंत्र रणसिंघा बजाकर नैशनल हैण्डलूम एक्सपो का उद्वघाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने देश के विभिन्न प्रान्तों के विशिष्ट हथकरघा उत्पाद की प्रदर्शन थीम पैवेलियन का अवलोकन भी किया। उन्होंने कहा कि हथकरघा उद्योग के संबंध में इस पैवेलियन के माध्यम से आने वाले दर्शकों, छात्रों एवं अन्य उत्सुक लोगों को जानकारियां उपलब्ध करायी जायेगी। इसके बाद मुख्यमंत्री वाद्य यंत्र ढोल को बजाते हुए मंच की ओर पहुंचे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड हैण्डलूम को नये वर्ष में यह सौगात देहरादून को देने के लिए मैं बहुत बहुत बधाई देता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद द्वारा देश के बुनकरों को विपणन सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नेशनल हैण्डलूम एक्सपों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गत वर्षों से देहरादून का नेशनल हैण्डलूम एक्सपों देश में अपनी एक विशिष्ट छाप छोड रहा है। हथकरघा एवं हस्तशिल्प की राज्य में असीम सम्भावनाएं है। यह सैक्टर ऐसा है जिसकी कोई सीमा बाधित नही है। यह ऊचांई की ओर बढ़ने वाला सैक्टर है। उन्होंने दुनिया के तमाम माॅर्डन देशों को धन्यावाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस शिल्प कला की देश व दुनिया में सराहना की जा रहा है। साथ ही इसकी मांग बढ़ती जा रही है। उन्हांेने कहा कि मैंने उद्घाटन के अवसर पर राज्य के संस्कृति वाद्य यंत्र को उठाकर कह दिया कि जो कुछ भी हैण्डलूम एवं हैण्डक्राफ्ट के लिए कर सकता हूं, करूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में उत्साही लोग ही परिवर्तन लाते है। हैण्डलूम एवं हैण्डक्राफ्ट को और आगे ले जाने के लिए हमको जीवंत कारक के रूप में कार्य करना है। उन्होंने कहा कि हमे अपनी इस कला को दूसरे राज्यों के साथ भी साझा करने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि मैं विभिन्न राज्यों से पहंुचे हैण्डलूम एवं हस्तशिल्प से जुडे शिल्पियों के साथ-साथ अन्य सभी का स्वागत करता हंू।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने वर्ष 2012 एवं 2013 में राज्य स्तरीय हथकरघा, हस्तशिल्प एवं लघु उद्यम पुरस्कार प्राप्त करने वालो को भी सम्मानित किया। साथ ही हथकरघा, हस्तशिल्प एवं लघु उद्योग में उत्कृष्ठ कार्य कर रहे बुनकरों, शिल्पियों एवं उद्यमियों को भी पुरस्कृृत किया गया।

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