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हरदीप एस पुरी ने अनुसंधान और नवोन्‍मेष तथा 1500 पेटेंट दाखिल करने पर इंडियन ऑयल अनुसंधान और विकास की सराहना की

देश-विदेश

इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास के ऐतिहासिक स्वर्ण जयंती समारोह के समापन के अवसर पर आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर केन्‍द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और आवासन और शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप एस पुरी मुख्य अतिथि थे। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और श्रम और रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, पद्म विभूषण डॉ. आर. ए. माशेलकर, पद्म विभूषण डॉ. अनिल काकोदकर, मंत्रालय में सचिव श्री पंकज जैन, इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्री एसएम वैद्य, इंडियन ऑयल के निदेशक (आर एंड डी) डॉ. एसएसवी रामकुमार, सीपीएमजी सुश्री मंजू कुमार और अनेक उद्योगपतियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

इस अवसर पर एक विशेष स्मारक डाक माईस्टैम्प जारी किया गया। एक नवीन सौर कुकटॉप – सूर्य नूतन – को भी चालू किया गया। आईओसी अनुसंधान एवं विकास के 1501 पेटेंटों के प्रशस्ति पत्र का अनावरण किया गया। मंत्री ने सोलर कुकटॉप के लाभार्थियों से नए उत्पाद के उनके अनुभवों के बारे में बात भी की। पेट्रोलियम मंत्री ने इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास स्वर्ण जयंती राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए जिसके लिए 1500 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं।

इस अवसर पर श्री हरदीप एस पुरी ने कहा कि भारत में ऊर्जा को सुरक्षित और सुलभ बनाने के लिए 50 वर्षों का पथप्रदर्शक अनुसंधान वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के लिए शीर्ष संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त आईओसी आर एंड डी उद्योग नवाचार के लिए स्वर्ण मानक को पार कर गया है।

श्री पुरी ने कहा कि आईओसीएल अनुसंधान एवं विकास को उच्च प्रदर्शन वाले ईंधन, मिनी-एलपीजी सिलेंडर, विश्वस्तरीय ऑटोमोबाइल ल्‍यूब्रीकेंट्स, खुदरा दुकानों के स्वचालन और एलपीजी वितरकों जैसे उपभोक्ता केन्‍द्रित उत्पादों को विकसित करने में शानदार सफलता मिली है। यह भारतीय ऊर्जा सुरक्षा के भविष्‍य के प्रतिमानों- जैव ईंधन, ईवी, एफसीईवी और ग्रीन हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर रोलआउट के लिए नवीन टेक्‍नोलॉजी भी विकसित कर रहा है।

आज चालू किए गए सोलर कुकटॉप के बारे में श्री पुरी ने कहा कि यह औसत भारतीय उपभोक्ता के लिए एक पथ-प्रदर्शक नवोन्‍मेष हो सकता है। आईओसीएल से इसे उचित समय में बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बनाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इससे लाखों परिवार, विशेषकर महिलाएं सशक्‍त हो सकती हैं।

53 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और नए उत्पादों के विकास और व्यावसायीकरण के लिए आईओसीएल आर एंड डी की सराहना करते हुए, और पिछले दस वर्षों में उस प्रक्रिया में 1,500 से अधिक पेटेंट दाखिल करने पर, मंत्री ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कितनी फॉर्च्यून 500 कंपनियां- या जहां तक अनुसंधान संस्थानों का प्रश्‍न है- अपने क्षेत्र में उच्‍च गुणवत्‍ता वाले उत्‍पाद पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वर्ण जयंती न केवल आईओसीएल अनुसंधान एवं विकास की निरंतर सफलता का उत्सव है, बल्कि भारतीय नवाचार इकोसिस्‍टम में इसके बढ़ते महत्‍व का भी उत्सव है।

श्री पुरी ने कहा कि भारत आज वैज्ञानिक अनुसंधान का एक वैश्विक केन्‍द्र माना जाता है। “फिर भी, हमें अपने राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। हमें एक तकनीकी सफलता हासिल करने के लिए अपने वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे हमारा आर्थिक विकास तेजी से आगे बढ़ सके। मेरा मानना ​​​​है कि अत्याधुनिक आर एंड डी – जिसका उद्देश्य न्यायसंगत, टिकाऊ और बड़े पैमाने पर नवोन्‍मेषों का उत्पादन करना है- आने वाले वर्षों में बदलाव के मामले में सबसे आगे होगा, खासकर ऊर्जा जैसे गतिशील क्षेत्रों में।”

आईओसीएल आरएंडडी और सभी उद्योगपतियों से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक उन्‍नतिशील आर एंड डी इकोसिस्‍टम के निर्माण के लिए अगली छलांग लगाने और संसाधनों को सुपुर्द करने का आग्रह करते हुए, श्री पुरी ने कहा कि भारत ऊर्जा क्षेत्र में संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां भारत अक्षय ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के बावजूद ऊर्जा-सुरक्षित बनने का प्रयास कर रहा है। यह संक्रमणकाल एक अवसर ही नहीं बल्कि अत्‍यावश्‍यक भी है। उन्होंने कहा कि अवसर एक नियत बिन्‍दु की कल्पना करने में है। 6 करोड़ लोग हर दिन पेट्रोल पंपों पर जाते हैं। 30 करोड़ से अधिक परिवार अपनी खाना पकाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए एलपीजी या अन्य ईंधन का उपयोग करते हैं। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि यह न केवल नई प्रौद्योगिकियों बल्कि व्यावसायिक प्रक्रियाओं में सुधार और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का पता लगाने के लिए एक विशाल कैनवास है।

वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार के केन्‍द्र के रूप में भारत की क्षमताओं पर, श्री पुरी ने कहा कि मोदी सरकार की प्रगतिशील नीतियों के तहत भारत की नवाचार और उद्यमशीलता की कहानी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 28,000 पेटेंट दिए गए जबकि 2014 में केवल 4,000 पेटेंट दिए गए थे; वर्ष 2020-21 में 2.5 लाख ट्रेडमार्क दर्ज किए गए जबकि 2013-14 में 70,000 ट्रेडमार्क दर्ज किए गए थे। पिछले वर्ष 42 स्‍टार्ट अप यूनीकॉर्न दर्जे तक पहुंचे जबकि औसत एक वर्ष में एक यूनीकॉर्न था। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार की दूरदर्शी नीतियों के कारण संभव हुआ है, जिसमें ‘मेड इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ और ड्रोन जैसे बहु-विषयक अनुसंधान क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना शामिल है।

इस अवसर पर  श्री तेली ने कहा कि इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास ने अपने कठिन प्रयासों और उपलब्धियों से अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि वे कम लागत, पर्यावरण-अनुकूल और ग्राहक- अनुकूल समाधान और उत्पादों के जरिये भारत को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कम से कम समय में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की प्रधानमंत्री की संकल्‍पना को प्राप्त करने में एक सार्थक भूमिका निभाने के लिए कहा।

देश की रक्षा आवश्यकता को पूरा करने के लिए 1972 में स्थापित, इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास अब एक विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी समाधान प्रदाता के रूप में उभरा है और एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्‍पना में योगदान दिया है। इंडियन ऑयल का आधुनिक अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र एशिया के सर्वश्रेष्‍ठ डाउनस्‍ट्रीम पेट्रोलियम अनुसंधान, विकास और व्‍यावसायिक परिनियोजन में से एक है। इंडियन ऑयल आर एंड डी विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियों, रिफाइनिंग प्रोसेस सॉल्यूशंस और अभिनव उत्पादों का विकास कर रहा है। ल्‍यूब्रीकेंट्स, रिफाइनिंग प्रक्रियाओं, पाइपलाइन परिवहन और उत्प्रेरक में पांच दशकों के अग्रणी शोध कार्य के साथ, इंडियन ऑयल की प्रौद्योगिकियों की टोकरी में पेट्रोकेमिकल्स, नैनो टेक्नोलॉजी, हरित ईंधन जैसे जैव ईंधन, हाइड्रोजन और हाइड्रोजन-सीएनजी, सौर ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण उपकरण, बैटरी और कार्बन कैप्चर और उपयोग के डोमेन शामिल हैं।

अपने अनुसंधान और नवाचार पदचिह्न को और विस्तारित करने के लिए, इंडियन ऑयल एक नए प्रौद्योगिकी विकास और परिनियोजन केंद्र के साथ आ रहा है, जो देश के ऊर्जा परिदृश्य को बदल देगा। यह विश्व स्तर पर सबसे बड़ा और सबसे टिकाऊ नेट जीरो आर एंड डी परिसर होगा। इसमें प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और व्यावसायीकरण पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए, यह वैकल्पिक और अक्षय ऊर्जा, संक्षारण अनुसंधान, नैनो प्रौद्योगिकी और सिंथेटिक जीवविज्ञान में उत्कृष्टता के चार केन्‍द्र होंगे।

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