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पेंशनर्स की समस्याओं पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी: ब्रजेश पाठक

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: आजाद भारत के पुनर्निर्माण में आज के पेंशनर्स का बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने अपने जीवन का स्वर्णिम काल देश को बनाने में लगा दिया। देश व समाज के निर्माण की जिम्मेदारी को इन्होंने पूरी मेहनत व लगन से निभाया, जिसे आज की पीढ़ी भुला नहीं सकती। यह बात प्रदेश के विधायी एवं न्याय, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत व राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने आज यहां गांधी भवन में आयोजित ‘अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ‘ के अधिवेशन को संबोधित करते हुये कही।

प्रदेश के विधायी एवं न्याय मंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने पेंशनर्स महासंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि पेंशनर्स की सभी समस्याओं पर प्रदेश व केन्द्र सरकार गंभीरता से विचार करेगी तथा पेंशनर्स की मांगों को पूरा करने का प्रयास करेगी। उन्होंने स्वयं पूरी ताकत से इन मांगों को पूरा कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि इस अधिवेशन में केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह को प्रतिभाग करना था, किन्तु किन्हीं कारणवश वे नहीं आ सके। यद्यपि वे पेंशनर्स की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का सुझाव दिया है।

साथ ही उन्होंने पेंशनर्स को भरोसा दिलाया कि उनकी सभी समस्याओं का समाधान कराने का पूरा प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का पूरा ध्यान आपकी समस्याओं को लेकर है, क्योंकि पारिवारिक जीवन में हर किसी को कई जिम्मेवारियों से गुजरना पड़ता है। पेंशनधारक को भी इसे निभाना पड़ता है। उन्होंने इस अवसर पर पेंशनर्स की मांगों को प्रदर्शित करती हुई ‘पेंशन वाणी‘ पत्रिका का विमोचन भी किया।

आन्ध्र प्रदेश निवासी पेंशनर्स महासंघ के महासचिव श्री जी0पी0 राव महासंघ का 12 सूत्रीय मांगपत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि पेंशनर्स को बहुत समस्याओं से समझौता करना पड़ता है। देश के 29 राज्यों के 1.25 करोड़ पेंशनर्स देश के 125 करोड़ लोगों का नेतृत्व करता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के 50 लाख पेंशनर्स, राज्य सरकारों के 90 लाख तथा निजी क्षेत्र के 45 लाख पेंशनर्स केन्द्र व राज्य सरकारों से सुविधा बढ़ाने की मांग कर रहा है। हमें पेंशन में भी टैक्स देना पड़ता है, जबकि जनप्रतिनिधियों की पेंशन टैक्स मुक्त है। उन्होंने कहा कि पेंशन सेवानिवृत्ति के बाद जीवन को सम्मानपूर्ण बनाये रखने की गारण्टी है, जिसको छीना नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि पेंशनर्स की पेंशन व स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ (एआईएसपीएफ) की स्थापना 16 जून, 2016 को हैदराबाद में हुई थी। इनकी समस्याओं पर विचार करने के लिए ही राष्ट्रीय स्तर का यह दूसरा महाअधिवेशन बुलाया गया है।

महासंघ की ओर से उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि पेंशनर्स को आयकर में छूट मिले, सभी को एक समान निःशुल्क चिकित्सा सुविधा व एक हजार रुपये प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता, सभी राज्यों में समान रूप से सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करना, पेंशन संशोधन के लिए राष्ट्रीय पेंशन आयोग का गठन किया जाना, पंजाब व हिमाचल प्रदेश की भांति आयु आधारित पेंशन निर्धारित किया जाना, पेंशन का अन्तिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 67 प्रतिशत किया जाना तथा पारिवारिक पेंशन को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत, पेंशन राशिकरण की कटौती 12 वर्ष में करना, नई पेंशन प्रणाली को हटाकर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना, भ्रमण एवं तीर्थयात्रा के लिए प्रतिवर्ष 01 माह की पेंशन के बराबर राशि का भुगतान तथा निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में एक ही शासकीय आदेश लागू किया जाना आदि।

कार्यक्रम में 19 राज्यों के महासंघ के प्रतिनिधियों सहित संगठन के सभी राज्यों से 800 पेंशनर्स ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन महाअधिवेशन के अध्यक्ष श्री शिव शंकर दुबे ने किया।

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