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राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए भारत सरकार 15,000 करोड़ रुपये प्रदान करेगी

देश-विदेश

वित्त मंत्रालय ने राज्यों को पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 15,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त रकम प्रदान करने का फैसला किया है। व्यय विभाग ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए वित्तीय सहायता की योजना” पर नए दिशानिर्देश जारी किए है। इससे पहले वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी कि केंद्र बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च करने को लेकर अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों को आगे बढ़ाने का उपाय करेगा।

पूंजीगत व्यय विशेष रूप से गरीबों एवं अकुशल लोगों के लिए रोजगार पैदा करता है और इसका उच्च बहुगुणक प्रभाव होता है। इसके अलावा यह अर्थव्यवस्था की भविष्य की उत्पादक क्षमता को बढ़ाता है और आर्थिक वृद्धि की उच्चतर दर के रूप में इसके परिणाम दिखाई देते हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद पिछले साल “पूंजीगत व्यय को लेकर राज्यों को विशेष सहायता के लिए योजना” शुरू करने का फैसला लिया गया था।

इस योजना के तहत राज्य सरकारों को 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जानी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस योजना के लिए अधिकतम 12,000 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गई थी और राज्यों को 11,830.29 करोड़ रुपये की रकम जारी की गई थी। इससे महामारी वर्ष में राज्य स्तर के पूंजीगत व्यय को बनाए रखने में मदद मिली थी।

इस योजना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया और राज्य सरकारों के अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2021-22 में इसे जारी रखने का फैसला लिया है।

2021-22 के लिए पूंजीगत व्यय को लेकर राज्यों की विशेष सहायता की योजना के तीन भाग हैं :

  1. भाग-I : योजना का यह भाग उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों के लिए है और इस हिस्से के लिए 2600 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गई है। इनमें से असम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में प्रत्येक को 400 करोड़ रुपये और इस समूह में बाकी राज्यों को 200 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
  2. भाग-II: योजना का यह हिस्सा, भाग-I में शामिल राज्यों को छोड़कर सभी के लिए है। इसके लिए 7400 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। यह रकम इन राज्यों के बीच वर्ष 2021-22 के लिए 15वें वित्त आयोग के निर्णय के अनुरूप केंद्रीय करों के अपने हिस्से के अनुपात में आवंटित की गई है।
  • iii. भाग-III: योजना का यह भाग बुनियादी ढांचे की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण/पुनर्चक्रण एवं राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (एसपीएसई) के विनिवेश के लिए राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए है। इस भाग के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये है। इस भाग के तहत परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण, सूचीकरण और विनिवेश के माध्यम से राज्यों को उनके द्वारा प्राप्त की गई रकम का 33 फीसदी से 100 फीसदी तक 50 वर्षों का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा।

परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण उनके मूल्य को खोलता है, उसकी होल्डिंग लागत को खत्म करता है और नई परियोजनाओं के लिए अल्प सार्वजनिक निधियों को लगाने में सक्षम बनाता है, जिससे राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के कार्यान्वयन की गति तेज होती है।

इस योजना के तहत राज्यों को प्रदान किए गए निधियों का उपयोग राज्य में दीर्घावधि लाभ को लेकर नई और चालू पूंजीगत परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। वहीं इन निधियों का उपयोग चालू पूंजीगत परियोजनाओं में लंबित बिलों को निपटाने के लिए भी किया जा सकता है।

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