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सरकार ने असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन के लिए उच्च स्तरीय समिति अधिसूचित की

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नई दिल्ली: सरकार ने असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन के लिए उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) अधिसूचित की है। समिति को व्यापक अधिदेश दिया गया है। इसके अध्यक्ष श्री एम.पी. बेजबरौआ है और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित असमिया व्यक्ति इसमें शामिल हैं। समिति अधिसूचना की तारीख से 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। असम की राज्य सरकार समिति को आवश्यक प्रशासनिक और संभार-तंत्र सहायता प्रदान करेगी।

उच्च स्तरीय समिति में निम्नलिखित व्यक्ति शामिल हैं:

  1. श्री एम.पी. बेजबरौआ, भाप्रसे (सेवानिवृत्त) – अध्यक्ष
  2.  श्री सुभाष दास, भाप्रसे (सेवानिवृत्त) – सदस्य
  3. डॉ. नागेन सैकिया- सदस्य, पूर्व अध्यक्ष, असम साहित्य सभा
  4. श्री धीरेन बेजबरुआ, – सदस्य, द सेंटिनल के पूर्व संपादक
  5. डॉ. मुकुंद राजबंशी, – सदस्य, शिक्षाशास्र
  6.  श्री रमेश बोरपात्रगोहिन, – सदस्य, महाधिवक्ता, असम
  7.  श्री रोंगबोंग टेरांग, – सदस्य ,पूर्व अध्यक्ष, असम साहित्य सभा
  8.  ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का एक प्रतिनिधि– सदस्य
  9.  संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय – सदस्य सचिव

समिति के लिए संदर्भ की शर्तें इस प्रकार हैं: –

(क) समिति असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के लिए 1985 से अब तक की गई कार्रवाइयों की प्रभावशीलता की जांच करेगी।

(ख) समिति विभिन्न संगठनों, सामाजिक संगठनों, कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों, कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, संरक्षणवादियों, अर्थशास्त्रियों, भाषाविदों और समाजशास्त्रियों के साथ विचार-विमर्श करेगी।

(ग) समिति असमिया लोगों के लिए असम विधानसभा और स्थानीय निकाय में सीटों के आरक्षण के उपयुक्त स्तर का आकलन करेगी।

(घ) समिति असमिया और असम की अन्य स्थानीय भाषाओं की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों का भी सुझाव देगी।

(ड) समिति असमिया लोगों के लिए असम सरकार के तहत रोजगार में आरक्षण के उचित स्तर की सिफारिश करेगी।

(च) समिति असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक अन्य उपाय सुझा सकती है।

एचएलसी का गठन 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन, जिसे असम समझौता के नाम से जाना जाता है, के खंड 6 के अनुसार गठित किया गया है। समझौते के खंड 6 में कहा गया है कि: “संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा, जैसा कि उचित हो सकता है, असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रदान किया जाएगा।” एचएलसी  को भारत सरकार के गृह मंत्रालय को पूर्वोत्तर प्रभाग द्वारा सेवा प्रदान की जाएगी।

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