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7 सितंबर, 2015 को सुशासन और विकास में उपकरण तथा अनुप्रयोग आधारित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय सम्मेलन

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जून, 2014 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (एसडीएससी-एसएचएआर) में अपने संबोधन के दौरान सुशासन और विकास में अंतरिक्ष विज्ञान के अधिकतम उपयोग के लिए अंतरिक्ष विभाग से सभी हितधारकों के साथ सक्रियता से कार्य करने का आग्रह किया था। उसके बाद कैबिनेट सचिव ने सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिवों से उनके मंत्रालय/विभाग में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों के उपयोग का आकलन करने और नये संभावित अनुप्रयोग के क्षेत्रों की तलाश करने को कहा। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ सक्रिय बातचीत करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) में विशेषज्ञों की 18 टीम गठित की गई। इन टीमों ने प्रत्येक मंत्रालयों/विभागों के साथ बातचीत की और 60 केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ मिलकर “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग” पर संयुक्त कार्रवाई योजना तैयार की। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा एवं बुनियादी ढांचा, आपदा तथा पूर्व चेतावनी, संचार एवं नौ-वहन, ई-गवर्नेंस एवं भू स्थानिक सुशासन, सामाजिक सेवाएं और प्रमुख कार्यक्रमों के सहायक के क्षेत्रों की करीब 170 परियोजनाएं तैयार की गई।

7 सितंबर, 2015 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की कार्रवाई योजना पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें केन्द्रीय और राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिमंडलीय सचिवालय के अधिकारी, सचिव, विशेष सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव और सभी मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, सभी राज्यों/संघशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और राज्यों के विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा अकादमी/संस्थान के कार्यकारी अधिकारी तथा अंतरिक्ष विभाग/इसरो के अधिकारी शामिल होंगे। राष्ट्रीय सम्मेलन को जबरदस्त समर्थन मिला है और 1500 से अधिक प्रतिनिधियों के इसमें शामिल होने की आशा है। राज्यमंत्री (प्रधानमंत्री कार्यालय) के साथ नीति आयोग के उपाध्यक्ष राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और कैबिनेट सचिव सम्मानीय अतिथि होंगे।

इसमें कृषि, ऊर्जा और पर्यावरण, बुनियादी ढांचा योजना, जल संसाधन, प्रौद्योगिकी प्रसार, विकास योजना, संचार एवं नौ-वहन, मौसम और आपदा प्रबंधन तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में 9 विषय आधारित सत्र आयोजित किये जायेंगे। केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिव प्रभावी कार्य करने, योजना तैयार करने और निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग पर संयुक्त कार्रवाई योजना प्रस्तुत करेंगे। चयनित राज्य के मुख्य सचिव प्रत्येक विषय सत्र में विषय विशिष्ट प्रस्तुति देंगे, जिसके बाद उस पर सभी विचार-विमर्श करेंगे।

प्रधानमंत्री की उपस्थिति में एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें 9 विषय सत्रों के परिणामों को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद मंत्रालयों/विभागों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्य नीति की योजना पर अंतरिक्ष विभाग के सचिव द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। माननीय प्रधानमंत्री विशेष सत्र में संबोधित करेंगे।

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