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गन्ना विभाग द्वारा सर्वेक्षण के दौरान भू-अभिलेखीय साक्ष्यों को लेकर आ रही कृषकों की समस्या का त्वरित समाधान

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: गन्ना एवं चीनी उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेश राणा के निर्देश के क्रम में पेराई सत्र 2018-19 के लिए निर्गत गन्ना सर्वेक्षण नीति में कृषकों से घोषणा-पत्र एवं उसके साथ खतौनी एवं हिस्से का विवरण लिये जाने की व्यवस्था की गई है। इस सम्बन्ध में यह तथ्य संज्ञान में आया कि कतिपय क्षेत्रों में कृषकों से उनके नाम खतौनियों में अंकित हिस्से का प्रमाण पत्र सम्बन्धित राजस्व अधिकारियों से प्रमाणित कराकर लिया जा रहा है, जिसके कारण गन्ना किसानों को अनावश्यक परेशानी आ रही है। साथ ही ऐसे क्षेत्रों में जहां चकबन्दी चल रही है वहां नवीनतम खतौनी देने में असुविधा हो रही है।

प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवं चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने कृषकों की आशंकाओं और उनकी व्यवहारिक कठिनाईयों के दृष्टिगत यह व्यवस्था कर दी है कि गन्ना किसानों से घोषणा पत्र लिये जाने के साथ उनकी खतौनी की प्रमाणित कापी ली जाएगी किन्तु उसमें उनका हिस्सा राजस्व अधिकारी से प्रमाणित कराकर दिये जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि खतौनी में कृषक के नाम अंकित हिस्से के साक्ष्य के रूप में यदि उसके पास हिस्से का विवरण उपलब्ध है तो उसे संलग्न किया जा सकता है अन्यथा की स्थिति में घोषणा पत्र के काॅलम-07 में गन्ना किसान द्वारा हिस्से के सम्बन्ध में वर्णित विवरण ही मान्य होगा।

आयुक्त द्वारा यह भी व्यवस्था दी गयी है कि ऐसे क्षेत्रों में जहां चकबन्दी चल रही है, वहां चकबन्दी के पूर्व की खतौनी किसान द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी और इसे ही उसके भू-अभिलेख के साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

सर्वे कार्य में नियत प्राधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि घोषणा पत्र में अंकित विवरण एवं खतौनी में अंकित सूचनाओं का मिलाने कराने का दायित्व सम्बन्धित गन्ना पर्यवेक्षक/विभागीय अधिकारी का होगा और यदि कृषक द्वारा गलत सूचना अंकित की गई हो तो उसका उत्तरदायित्व सम्बन्धित किसान का होगा।

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