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गजेन्द्र सिंह शेखावत और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने ‘जल जीवन मिशन’ के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त समीक्षा बैठक की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात में ‘जल जीवन मिशन’ की योजना और कार्यान्वयन की संयुक्‍त रूप से समीक्षा की। पेयजल की आपूर्ति दरअसल लोगों को मुहैया कराई जाने वाली एक विशिष्‍ट सेवा है जिसमें आपूर्ति किए गए जल की मात्रा, गुणवत्ता और जल आपूर्ति की समयावधि सुनिश्चित की जाती है। इसके लिए प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन (जेजेएम)’ को राज्यों के साथ साझेदारी में पिछले साल से लागू किया जा रहा है। मिशन का उद्देश्य सार्वभौमिक कवरेज है यानी गांवों में हर घर को नल का जल कनेक्शन सुलभ कराना है।

गुजरात इस मिशन के तहत परिकल्पित वर्ष 2024 के बजाय वर्ष 2022 तक ही राज्य के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए 100% कवरेज की योजना बना रहा है।

गुजरात सरकार ने विकेन्द्रीकृत, मांग-आधारित और समुदाय प्रबंधित पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम लागू किया, जो वर्ष 2002 में जल एवं स्वच्छता प्रबंधन संगठन (वास्‍मो) के माध्यम से शुरू किया गया। इन प्रयासों की बदौलत राज्य में 70% से भी अधिक घरों में नल कनेक्शनों के जरिए सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था की गई। गांवों में जलापूर्ति योजनाओं के नियोजन, प्रबंधन, कार्यान्वयन, संचालन एवं रखरखाव की अगुवाई करने के लिए ग्राम पंचायत और पानी समिति को बढ़ावा देकर ‘वास्‍मो’ सेवा मुहैया कराने का एक सफल विकेन्द्रीकृत मॉडल बन गया।

गुजरात राज्य में 93.03 लाख ग्रामीण परिवारों में से 68.63 लाख को नल कनेक्शन प्रदान कर दिए गए हैं। गुजरात ने वर्ष 2020-21 के दौरान 11.15 लाख घरों में नल कनेक्शन देने की योजना बनाई है। वर्ष 2020-21 में 883.08 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और राज्य की हिस्सेदारी सहित 1,777.56 करोड़ रुपये की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई है। पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदान के तहत गुजरात को 3,195 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और इसके 50% का उपयोग जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए अनिवार्य रूप से किया जाना है।

राज्य के 18,191 गांवों में से 17,899 गांवों में मौजूदा समय में पाइप युक्‍त जलापूर्ति प्रणालियां हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि अन्य 6,000 गांव दिसंबर, 2020 तक नल कनेक्शनों के साथ 100% कवर हो जाएंगे। इसके अलावा, राज्य के 5 जिले इस साल के आखिर तक घरेलू नल कनेक्शनों से पूरी तरह कवर हो जाएंगे। दरअसल, राज्य इस वित्त वर्ष में 12 जिलों को 100% घरेलू नल कनेक्शनों के साथ कवर करने की योजना बना रहा है। यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य के शेष गांवों को सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के लिए सतह-आधारित जल प्रणालियों का काम शुरू किया गया है, जिसे अगले दो वर्षों में पूरा किया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को आश्वासन दिया कि गांवों में जलापूर्ति और स्वच्छता हेतु शुरू किए जाने वाले कार्यों के लिए वित्त आयोग के अनुदान के साथ सामजंस्‍य स्‍थापित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ‘आईओटी’ आधारित सेंसर निगरानी प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है। इसके लिए प्रायोगिक परियोजना राज्य के दो जिलों के 1,000 गांवों में पहले से ही चल रही है,ताकि जलापूर्ति की कार्यक्षमता की निगरानी हो सके अर्थात प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता वाला पेयजल नियमित रूप से और लंबे समय तक उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पायलट परियोजना के सफल साबित होने पर इसे पूरे राज्य में अपनाया जाएगा, ताकि गांवों में जलापूर्ति की स्थिति की ऑनलाइन निगरानी की जा सके।

केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत ने समग्र रूप से जल प्रबंधन के लिए गुजरात सरकार की पहलों की सराहना की। दरअसल, गुजरात ने पूरे देश के लिए एक अनूठी मिसाल पेश की है कि किस तरह से एक सूखा-प्रभावित राज्य विभिन्न सेक्‍टरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जल संसाधनों का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने में सक्षम हो पाया है। ‘वास्‍मो’ के माध्यम से शुरू किए गए विकेंद्रीकृत, मांग-आधारित एवं समुदाय-प्रबंधित पेयजल कार्यक्रम की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने विकेन्द्रीकृत मॉडल में गुजरात की अग्रणी भूमिका का उल्लेख किया, जो पूरे भारत में प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन’ का पूर्ववर्ती है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों के भीतर जलापूर्ति अवसंरचना की योजना, डिजाइन, कार्यान्वयन एवं संचालन और रखरखाव में ग्राम पंचायत/पानी समिति की भूमिका के बारे में विस्‍तार से बताते हुए श्री शेखावत ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि ग्राम पंचायतों या पानी समितियों को ‘उपक्रमों’ के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इस राज्य में पानी समितियां/ग्राम पंचायतें जल सेवा शुल्क के रूप में समुदाय से वार्षिक परिचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) खर्च का लगभग 70% वसूल लेती हैं।

जल जीवन मिशन का उद्देश्य नियमित रूप से और लंबे समय तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पर्याप्त मात्रा (प्रति दिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर की दर से) में और निर्धारित गुणवत्ता वाले पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू नल कनेक्शन की व्‍यवस्‍था हो जाने से महिलाओं, विशेषकर लड़कियों को ‘कठिन परिश्रम’ से मुक्ति दिलाने में काफी मदद मिलेगी। यही नहीं, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ‘जीवन यापन’ करना कुछ और आसान हो जाएगा।

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