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वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की घोषणा की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने 17 मई को नई दिल्ली में शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मानव पूंजी में निवेश राष्ट्र की उत्पादकता और समृद्धि में निवेश के समान है। मौजूदा महामारी देश की शिक्षा प्रणाली के लिए नई चुनौतियों के साथ कई अवसर भी लेकर आई है।

श्रीमती सीतारामन ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र ने इस अवसर को अभिनव पाठ्यक्रम तैयार करने, कमियों को पाटने पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करने, अधिक समावेशी होने तथा हर चरण में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढावा देते हुए मानव पूंजी में निवेश के लक्ष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश की योजना बनाई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सभी के लिए समान रूप से शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि देशभर में सभी भौगोलिक क्षेत्रों यहां तक की दूर दराज के इलाकों में भी छात्रों को सभी स्तर की शिक्षा की सुविधा मिल सके।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र के लिए की गई पहलों के लिए वित्त मंत्री को भी धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि इससे  शिक्षा प्रणाली में आमूल बदलाव आएंगे, जिससे देश में छात्रों का समग्र विकास हो सकेगा।

श्री पोखरियाल ने कहा  “एक राष्ट्रएक डिजिटल प्लेटफॉर्म” और “एक कक्षा एक चैनल” यह सुनिश्चित करेंगे कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री देश के दूर-दराज के इलाकों में मौजूद छात्रों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह पहल देश में सब तक समान रुप से शिक्षा की पहुंच को बढ़ावा देगी और आने वाले समय में स्कूलों में नामाकंन के अनुपात में सुधार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांग बच्चों के लिए भी उचित व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है और ये उपाय नए भारत के निर्माण में एक नए प्रतिमान स्थापित करेंगे।

वित्त मंत्री ने इस दिशा में निम्नलिखित पहलों की घोषणा की:

  1. पीएम ई-विद्या नाम से एक व्यापक पहल शुरू की जाएगी जो डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एक साथ जोडगी। यह शिक्षा के लिए वैकल्पिक पहुंच उपलब्ध कराएगा।  इसमें दीक्षा (एक राष्ट्र-एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म) जो सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता ई-सामग्री प्रदान करने के लिए देश का डिजिटल बुनियादी ढांचा बन जाएगा; टीवी (एक कक्षा-एक चैनल) जहां कक्षा 1 से 12 तक प्रत्येक छात्र के लिए प्रति ग्रेड एक समर्पित चैनल होगा जो गुणवत्ता युक्त शैक्षिक सामग्री तक पहुंच प्रदान करेगा: स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए एमओओसीएस प्रारूप में स्वयंम ऑनलाइन पाठ्यक्रम; आईआईटीजेई/नीट की तैयारी के लिए आईआईटीपीएएल; सामुदायिक रेडियो और सीबीएसई शिक्षा वाणी के माध्यम से ब्राडकास्ट; और डिजिटल रूप से सुगम्य सूचना प्रणाली (डेसी) पर विकसित एनआईओएस वेबसाइट/यूट्यूब पर सांकेतिक भाषा में विकसित की गई अध्ययन सामग्री शामिल है। इससे देशभर के लगभग 25 करोड़ स्कूली बच्चों को फायदा होगा।
  2. वैश्विक महामारी की मौजूदा स्थिति में, यह महत्वपूर्ण है कि हम छात्रों, शिक्षकों और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक सहयोग प्रदान करें। इस दिशा में मनोदर्पण पहल की शुरुआत की जा रही है। इसके लिए एक वेबसाइट, एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर, काउंसलरों की राष्ट्रीय सूची, इंटरैक्टिव चैट प्लेटफॉर्म शुरु किया गया है। इस पहल से देश के सभी स्कूली बच्चों साथ उनके माता-पिता और शिक्षक भी लाभान्वित होंगे।
  1. सरकार खुली, दूरी और ऑनलाइन शिक्षा नियामक ढांचे को उदार बनाकर उच्च शिक्षा में ई-लर्निंग का विस्तार कर रही है। शीर्ष 100 विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेंगे। साथ ही, पारंपरिक विश्वविद्यालयों और ओडीएल कार्यक्रमों में ऑनलाइन घटक भी वर्तमान 20% से बढ़ाकर 40% किया जाएगा। यह विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लगभग 7 करोड़ छात्रों को सीखने के अवसर प्रदान करेगा।
  1. सीखने पर ध्यान केंद्रित करने वाले छात्रों के लिए अनुभवनात्मक और सहज सीखने की प्रक्रिया के साथ-साथ उनमें रचनात्मक सोच और कौशल को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम में भारतीय लोकाचार और मूल्य निहित होने चाहिए तथा उसे वैश्विक स्तर पर आवश्यक कौशल के अनुरुप ढाला जाना चाहिए। इसलिए, वैश्विक बेंचमार्क के अनुरुप ही छात्रों और शिक्षकों के भविष्य के लिए एक नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया गया है।
  1. देश में प्रत्येक बच्चे तक ग्रेड 3 में साक्षरता और न्यूमरेसी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय साक्षरता और न्यूमेरसी मिशन शुरू किया जाएगा। इसके लिए, शिक्षकों में क्षमता निर्माण, एक मजबूत पाठ्यक्रम ढांचा, सीखने की सामग्री को आकर्षक बनाने-  ऑनलाइन और ऑफलाइन, सीखने के परिणामों और उनके माप सूचकांकों, मूल्यांकन तकनीकों तथा सीखने की प्रगति पर नज़र रखने जैसे कार्यों को एक व्यवस्थित रूप दिया जाएगा। इस मिशन से 3 से 11 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 4 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे।

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