17 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

विशेषज्ञों ने एएचपीआई वेबिनार में कोविड के कम्युनिटी ट्रांसमिशन और हर्ड इम्युनिटी पर विचार-विमर्श किया

उत्तराखंड

देहरादून: भारत में वर्तमान में अमेरिका और ब्राजील जैसे कई अन्य देशों की तुलना में कोविड रोगियों की मृत्यु दर कम है और रिकवरी दर अधिक है। लेकिन यहां लोगों को अभी मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाये रखने और हाथ की स्वच्छता को बनाए रखने और फर्श को संक्रमण मुक्त रखने जैसी बुनियादी बातों पर अमल करते रहने की जरूरत है जब तक कि कोविड का सुरक्षित और प्रभावी टीका बन नहीं जाता है और यह महामारी समाप्त नहीं हो जाती है। ऐसा एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया द्वारा ष्कोविड केयर रू कम्युनिटी ट्रांसमिशन एंड हर्ड इम्युनिटीष् विषय पर आयोजित एक वेबिनार में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित पैनलिस्टों का कहना है।

इस चर्चा की अध्यक्षता एएचपीआई के महानिदेशक डॉ गिरधर जे ज्ञानी ने की और इसमें एएचपीआई के अध्यक्ष डॉ अलेक्जेंडर थॉमस, पुष्पांजलि मेडिकल सेंटर के एमडी डॉ विनय अग्रवाल, फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष और मेडिका ग्रूप ऑफ हास्पिटल्स के चेयरमैन डॉ आलोक रॉय, फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के सलाहकार डॉ नरोत्तम पुरी, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की निदेशक प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग, और अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजीव सिंह जैसे वक्ता शामिल थे।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरधर जे ज्ञानी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहारू “भारत कोविड से संबंधित मौत या रिकवरी दर के मामले में ब्राजील या अमेरिका जैसे देशों से बेहतर स्थिति में है। ब्राजील में 464 और अमेरिका में 492 की तुलना में भारत में प्रति 10 लाख कोविड रोगियों में केवल 30 मौतें हो रही हैं। भारत की रिकवरी दर 65 प्रतिशत हो गई है, जो अच्छी है। मृत्यु  दर भी लगातार कम हो रही है। एक समय में यहां कोविड के कारण होने वाली मृत्यु दर 3.6 प्रतिशत थी, जो अब कम होकर 2 प्रतिशत तक हो गयी है, हालांकि हम चाहते हैं कि यह 1.5 प्रतिशत तक नीचे आ जाए। ”

अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजीव सिंह ने कहारू “कोविड 19 एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। हालांकि भारत में संक्रमण दर अधिक है, लेकिन यहां मृत्यु दर कम है। यहां प्रति लाख मृत्यु दर कम है, क्रूड मृत्यु दर कम है, घातक मामले कम हैं और क्रूड संक्रमण दर भी कम है। इस महामारी के संक्रमन से बचे रहने का सबसे अच्छा तरीका सक्रिय रूप से स्क्रीनिंग, संक्रमित व्यक्ति से संपर्क का पता लगाना, लक्षणों के अनुसार आरटी पीसीआर से परीक्षण करना,जो एक स्वर्ण मानक नैदानिक परीक्षण और रोगसूचक प्रबंधन है। संक्रमण की जल्द पहचान और रोगी को हाई डिपेंडेसी यूनिट या क्रिटिकल केयर यूनिट  में रेफर करना आवश्यक है। सामुदायिक प्रसारण को कम करने के लिए टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। छह अध्ययन समूह परीक्षणों के तीसरे चरण में हैं और जल्द ही उनसे अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रतिरक्षा पर पर आशाजनक परिणाम आने की उम्मीद है। लेकिन इससे बचने के लिए सबसे जरूरी कदम  मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाये रखना और हाथ की स्वच्छता को बनाये रखना और फर्श को संक्रमण मुक्त रखना ही है।”

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की निदेशक प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग ने कहा,  “पिछले एक महीने में कोविड के एपिसेंटर में बदलाव आया है, जिससे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इसके मामलों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है, जबकि दिल्ली अब बहुत बेहतर स्थिति में है। यदि सामुदायिक प्रसारण होने लगता है, तो आइसोलेशन और क्वारंटीन सीमित हो जाएगा या इनकी कोई भूमिका नहीं होगी। तब समुदाय द्वारा संचालित सामाजिक परिवर्तन संक्रमण को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जैसे मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना और सामाजिक दूरी बनाए रखना। विशिष्ट समूहों में लॉकडाउन की भी आवश्यकता होगी। टीकाकरण के माध्यम से या पिछले संक्रमण से विकसित प्रतिरक्षा के माध्यम से हर्ड इम्युनिटी आबादी को संक्रामक बीमारी से अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। जबकि आइसोलेशन और क्वारंटीन दोबारा संक्रमण के खतरे को बढाता है और हर्ड इम्युनिटी लंबे समय में सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, भारत जैसे देश में सामुदायिक प्रसारण भयावह साबित हो सकता है और दोबारा संक्रमण हर्ड इम्युनिटी को रोकने वाला एक प्रमुख कारक साबित होगा।”

एएचपीआई के अध्यक्ष डॉ अलेक्जेंडर थॉमस ने कहा, ष्कोविड के संबंध में चीजें अभी भी विकसित हो रही हैं। कोविड मामलों और घातक मामलों की रोकथाम के लिए किसी व्यक्ति में लक्षण होने पर अस्पताल में जल्दी आना जैसे कदम शामिल हैं। ऐसे मामलों में बुजुर्गों और कोदृमार्बिडिटी पर ध्यान केंद्रित करना, मास्क पहनाना, शारीरिक दूरी बनाये रखना और सैनिटाइजेशन आवश्यक है। सरकार को मास्क पहनने को सख्ती से लागू करना होगा क्योंकि बहुत से लोग अभी भी मास्क नहीं पहन रहे हैं या अपनी नाक के नीचे अनुचित तरीके से मास्क पहन रहे हैं। हमें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर से सुसज्जित बिस्तरों को पर्याप्त रूप से उपलब्ध कराने, साथ ही डॉक्टर और नर्स जैसे चिकित्सा कर्मियों की भी आवश्यकता है। इसमें निजी अस्पताल तो असफल हो ही रहे हैं, सरकारी अस्पतालों में भी बेड की कमी है। इसलिए सार्वजनिक निजी भागीदारी कोविड की तरह स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण है। ”

फिक्की, स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष और मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ आलोक रॉय ने कहारू “भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने पर इस महामारी का काफी प्रभाव पड़ा है। निजी अस्पताल मरीजों को सुरक्षित रखने के लिए वित्तीय कमी का सामना कर रहे हैं। हेल्थकेयर डिलीवरी क्षेत्र बेहद महंगा है और लोग इंटेंसिव हैं। हम फिक्की में सरकार से जीडीपी के न्यूनतम 3ः तक वित्तीय प्रोत्साहन देने का आग्रह कर रहे हैं। इस प्रकृति की महामारी को संभालने के लिए कौशल विकसित करने के लिए निजी स्वास्थ्य सेवा डोमेन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और हेल्थकेयर इनोवेशन फंड जैसे विशिष्ट फंड को उद्यमिता, स्टार्ट-अप और नए व्यापार मॉडल को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया जाना चाहिए, जो कि विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच, उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक हैं। सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण प्रभावी होते हैं क्योंकि वे अधिकारियों को उन इंटर्वेंशन के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं जिनमें महामारी को शामिल करने की आवश्यकता होती है। इससे हमें एक दृष्टिकोण मिलेगा कि क्या भारत हर्ड इम्युनिटी हासिल कर सकता है। संक्रमण दर तेजी से बढ़ रही है क्योंकि सरकार ने लॉकडाउन प्रतिबंधों को कम करना शुरू कर दिया। भारत ने तब से 10 लाख नए मामले आ गये हैं, लेकिन रिकवरी दर 67.61% है, जिसका अर्थ है कि 13 लाख से अधिक लोग स्वस्थ हो चुके हैं। जब अस्पताल वायरस से प्रभावित रोगियों का इलाज करते हैं, तो उन्हें गैर-कोविड क्रिटिकल केयर रोगियों के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। समय पर मामले की पहचान और बेहतर तथा तेज परीक्षण सुविधाओं के साथ, हम एक ऐसे चरण की ओर बढ़ रहे हैं जो हमें महामारी से आगे रहने में मदद करेगा।”

फिक्की हेल्थ सर्विसेज कमेटी के सलाहकार डॉ नरोत्तम पुरी ने कहा, श्श् इस महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवा बुनियादी तौर पर बदलने जा रही है। इसे तेजी से एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता के रूप में देखा जा रहा है और सभी के लिए गुणवत्ता पूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा देने के लिए नीति निर्माताओं और राजनेताओं पर जनता का बहुत दबाव होगा। कोविड ने सामाजिक दूरी की आवश्यकता के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी तेज कर दिया है। इनका समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हमारी बीमारियों का एक बड़ा हिस्सा श्वसन संक्रमण से संबंधित है, और यह निवारक सामाजिक व्यवहार ऐसे मामलों को कम करने में मदद करेगा। एक और बदलाव यह होगा कि हमारे अस्पताल कैसे काम कर रहे हैं। महामारी पर  अस्पतालों द्वारा कभी विजय नहीं पायी जाती हैंय समुदायों और व्यक्तियों द्वारा इन पर विजय पायी जाती है। इसलिए अब हमें हास्पिटल मिटिगेशन से कम्युनिटी मिटिगेशन और कम्युनिटी मिटिगेशन से इंडिविजुअल मिटिगेशन की ओर बढ़ना होगा। हमने इसमें लापरवाही की क्योंकि हमने गैर-संचारी रोगों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। एक मरीज से दूसरे मरीज में संक्रमण को रोकने के लिए अस्पतालों के डिजाइन और संरचना में  परिवर्तन करना अब अनिवार्य हो सकते हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी हेल्थकेयर डिलीवरी का चेहरा बदलने जा रही है। हम पहले से ही टेलीमेडिसिन के उपयोग में वृद्धि देख रहे हैं जो क्रोनिक बीमारियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण हो जाएगा। होम हेल्थकेयर को भी व्यापक बढ़ावा मिलेगा। ”

पुष्पांजलि मेडिकल सेंटर, नई दिल्ली के एमडी डॉ विनय अग्रवाल ने कहारू “कोविड से बचने के लिए स्वर्ण मानकों में अभी भी मास्क पहनना, सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी का उचित रूप से पालन करना शामिल है, उसके बाद परीक्षण और होम आइसोलेशन जरूरी है। पहले ठीक से प्रबंधन नहीं किये जाने  के कारण  आज हमारी यह स्थिति है। कोविड प्रबंधन को लेकर राज्य से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों में समन्वय की कमी थी, जिसके कारण मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले 15 दिनों में देश में मामले दोगुने हो गए हैं। कोविड ने स्वास्थ्य संगठनों को पुनर्व्यवस्थित होने, पुनर्निमाण करने और पुनर्गठन करने के लिए कडा सबक दिया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं में मुख्य प्रतिमान के रूप में आगे बढ़ने वाले हैं। ”

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More